लखनऊ. उत्तर प्रदेश के चुनावों में बुरी तरह से हारने के बाद कांग्रेस पार्टी अब संगठन में बड़ा बदलाव करेगी. अजय कुमार लल्लू से प्रदेश अध्यक्ष की कमान छीनकर अब आचार्य प्रमोद कृष्णम को उत्तर प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया जा सकता है. प्रमोद कृष्णम प्रियंका गांधी के सलाहकार टीम में हैं.
वह 2019 का लोकसभा चुनाव भी लखनऊ से लड़ चुके हैं. हिंदुओं और मुस्लिमों में उनकी बराबर पैठ है. पार्टी प्रमोद कृष्णम को लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर प्रदेश अध्यक्ष बना सकती है. इसके साथ ही मीडिया एवं कम्युनिकेशन विभाग के चेयरमैन नसीमुद्दीन सिद्दीकी को मीडिया से हटाकर उत्तर प्रदेश के संगठन का दायित्व सौंपा जा सकता है.
उत्तर प्रदेश में एक बार फिर नए प्रदेश अध्यक्ष की तलाश शुरू हो गई है. इस कतार में कई नेताओं के नाम चल रहे हैं. इनमें सबसे पहले वरिष्ठ कांग्रेस नेता अचार्य प्रमोद कृष्णम का नाम है. प्रमोद कृष्णम कल्कि आश्रम के पीठाधीश्वर हैं. साथ ही कांग्रेस पार्टी में उनकी अहम भूमिका भी है.
2019 में लखनऊ से लोकसभा चुनाव लड़े और राजनाथ सिंह के सामने भी उन्हें एक लाख से ज्यादा वोट भी मिले. आचार्य प्रमोद कृष्णम को पार्टी अगर प्रदेश अध्यक्ष का दायित्व सौंपती है, तो लोकसभा चुनाव में फायदा मिल सकता है.
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस कार्यकर्ताओं की मांग किसी ब्राह्मण नेता को प्रदेश अध्यक्ष बनाना है. अगर प्रमोद अध्यक्ष बनते हैं तो कार्यकर्ताओं की एक ख्वाहिश पूरी हो जाएगी. प्रदेश में यह संदेश भी जाएगा कि कांग्रेस ही ऐसी पार्टी है जो अध्यक्ष की कुर्सी पर ब्राम्हण को बिठा सकती है.
इससे ब्राह्मण कांग्रेस की तरफ आकर्षित होंगे. आचार्य प्रमोद कृष्णम पीठाधीश्वर हैं. ऐसे में हिंदू और मुस्लिम दोनों ही वर्गों में उनकी पकड़ हैं. दोनों ही समुदायों के लोग उन्हें पसंद करते हैं. इन दोनों वर्गों को भी साधने में आचार्य सफल हो सकते हैं. इसका भी लाभ लोकसभा चुनाव में पार्टी को मिल सकता है.
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कांग्रेस पार्टी उत्तर प्रदेश की कमान प्रमोद तिवारी के हाथ भी दे सकती है. हालांकि कई बार इस तरह की कोशिशें हुईं लेकिन प्रमोद तिवारी ने इस प्रस्ताव को यह कहकर ठुकरा दिया कि अब उनकी उम्र काफी हो गई है. प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर भागदौड़ करने वाला व्यक्ति बिठाया जाना चाहिए जो लगातार उत्तर प्रदेश के विभिन्न जनपदों में कार्यकर्ताओं के बीच अपनी उपस्थिति दर्ज कराए.
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यही वजह है कि प्रमोद तिवारी के प्रदेश अध्यक्ष बनने पर पार्टी कदम पीछे खींच सकती है. कार्यकर्ताओं के सबसे ज्यादा पसंद अध्यक्ष के रूप में प्रमोद तिवारी ही हैं. उत्तर प्रदेश में उनकी धमक का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि प्रतापगढ़ की रामपुर खास सीट पर वे लगातार नौ बार विधायक रहे. जब अपनी विरासत बेटी को सौंपी तो तीन बार से लगातार बेटी भी विधायक बन रही हैं. इस बार भी बेटी आराधना मिश्रा 'मोना' चुनाव जीती हैं. 12 बार से इस सीट पर कांग्रेस पार्टी का झंडा बुलंद है.
कांग्रेस पार्टी के वाराणसी से पूर्व सांसद व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राजेश मिश्र पर भी कांग्रेस पार्टी प्रदेश अध्यक्ष का दांव लगा सकती है. राजेश मिश्र ब्राह्मण हैं और उनकी भी प्रदेश में कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच लोकप्रियता है. ब्राह्मण भी उनके नाम से कांग्रेस के साथ जुड़ सकते हैं. कांग्रेस की नेता विधानमंडल दल आराधना मिश्रा 'मोना' भी प्रदेश अध्यक्षों की इस कतार में बड़ी दावेदार हैं.
वह प्रियंका गांधी के 'लड़की हूं, लड़ सकती हूं' अभियान का मुख्य चेहरा भी हैं. साथ ही महिलाओं को प्रियंका गांधी महत्त्व दे रहीं हैं. ऐसे में आराधना मिश्रा 'मोना' को भी प्रदेश अध्यक्ष की कमान मिल सकती है.
नसीमुद्दीन सिद्दीकी को मिल सकता है संगठन का दायित्व
बहुजन समाज पार्टी से कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए वरिष्ठ नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी को कांग्रेस ने मीडिया एवं कम्युनिकेशन विभाग का चेयरमैन बनाया था. उन्हें यह पद कभी रास नहीं आया. कई बार उन्होंने ये पद छोड़ने की भी पेशकश की लेकिन चुनाव करीब थे. ऐसे में कांग्रेस पार्टी ने उन्हें इसी पद पर बनाए रखा.
विधानसभा चुनाव में पार्टी की करारी हार हुई और संगठन की पोल खुल गई है. पता चला कि सिर्फ हवा-हवाई संगठन ही तैयार किया गया था. अब पार्टी नसीमुद्दीन सिद्दीकी की ख्वाहिश पूरी कर सकती है. उन्हें उत्तर प्रदेश में संगठन को पुनर्जीवित करने के लिए दायित्व सौंपा जा सकता है.
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