लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की पुलिस ने कांग्रेस की टिकट से विधायकी का चुनाव लड़ चुके और मुख्तार अंसारी के गुर्गे को गुंडा घोषित करते हुए छह माह के लिए जिला बदर कर दिया है. बुधवार को ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर कानून व्यवस्था ने आदेश जारी करते हुए पांच अपराधियों को जिला बदर किया है, जिसमें मुख्तार का गुर्गा सुरेंद्र कालिया भी शामिल है. सुरेंद्र के खिलाफ कोलकाता से लेकर लखनऊ, बाराबंकी और हरदोई में 20 से अधिक मुकदमे दर्ज हैं.
कालिया ने रची थी साजिशः जिला बदर किए गए सुरेंद्र कालिया का काफी लंबा चौड़ा आपराधिक इतिहास है. कालिया उस वक्त चर्चा में आया जब 13 जुलाई 2020 को राजधानी के आलमबाग थाने में उसने बाहुबली पूर्व सांसद धनंजय सिंह पर जानलेवा हमला करने का मामला दर्ज कराया गया था. उसने आरोप लगाया कि वह अस्पताल से निकल रहा था, तभी उसकी बुलेटप्रूफ गाड़ी में बाइक सवार बदमाशों ने फायरिंग की थी. इसके पीछे धनंजय सिंह का हाथ बताया गया. हालांकि, एसटीएफ जांच में सामने आया कि सुरेंद्र कालिया ने माफिया और मौजूदा विधायक अभय सिंह के इशारे पर धनंजय सिंह को फंसाने के लिए खुद पर हमले की साजिश रची थी. इसके बाद पुलिस सुरेंद्र कालिया की गिरफ्तारी के लिए दबिश देने लगी, जिस पर वह परिवार सहित फरार हो गया था.
मुख्तार और अभय सिंह से करीबी बढ़ा बना बड़ा अपराधीः हरदोई के कुकुही का रहने वाला सुरेंद्र कालिया ठेकेदारी करने के उद्देश्य से लखनऊ आ गया. इसी दौरान उसकी मुलाकात अभय सिंह और मुख्तार अंसारी से हुई और धीरे-धीरे दोनों का करीबी बन गया. उसने जौनपुर में अपना अड्डा बनाया और वहां के एक एमएलसी के घर को अपना ठिकाना बनाया. वर्ष 2012 में राज्य में सपा सरकार बनने और माफिया अभय सिंह के विधायक चुने जाने के बाद मानों सुरेंद्र कालिया को अपना भविष्य दिख गया. कालिया अभय सिंह के हर तरह के ठेके से जुड़ा व्यापार का संभालने लगा. सुरेंद्र कालिया का नाम लखनऊ जेल हत्याकांड में भी आया था. इसी मामले में अभय सिंह का भी नाम उछला था.
बुलेट प्रूफ गाड़ी से चलता है कालियाः सुरेंद्र कालिया बुलेट प्रूफ गाड़ियों से चलता है, यह तब पता चला जब उसने जुलाई 2020 में खुद पर फायरिंग करवाई थी. बताया जाता है कि जब वह मुख्तार अंसारी और अभय सिंह का करीबी बना तो उसके कई दुश्मन भी बन गए, जिसके बाद उसने मुख्तार अंसारी की मदद से पंजाब में बुलेट प्रूफ गाड़ी बनवाई थी. कालिया ने लखनऊ पुलिस को भी जम कर छकाया था. खुद पर फायरिंग कर धनंजय सिंह को फंसाने की साजिश रचने वाले सुरेंद्र कालिया को जब पुलिस ढूंढ रही थी, तब वह अलग-अलग लोकेशन बदल कर पुलिस को घूमता रहा. इसी दौरान उसने यूपी पुलिस से बचने के लिए कोलकाता में षड्यंत्र रचते हुए खुद के पास अवैध पिस्टल लगवा गिरफ्तारी करवा ली, जिसके बाद लखनऊ पुलिस को उसे लाने में काफी वक्त लग गया था.
मुख्तार और अभय की तरह बनना चाहता था नेताः सुरेंद्र कालिया, अपने गुरु मुख्तार और अभय सिंह की ही तरह राजनीति में भी अपनी किस्मत आजमाना चाहता था. लिहाजा पहले उसने हरदोई से जिला पंचायत सदस्य चुनाव लड़ा और जीतने के बाद सजवाड़ी पार्टी से विधायकी के टिकट की दावेदारी की. लेकिन, सफलता नहीं मिली तो उसने कांग्रेस का दामन थाम कर हरदोई के बालामऊ से टिकट लेकर चुनाव लड़ा. हालांकि, उसे हार का सामना करना पड़ा था.