लखनऊ : UP Assembly Election 2022 : उत्तर प्रदेश में मुसलमान साढ़े 19 प्रतिशत हैं. कांग्रेस के पास पिछले उप चुनाव के हिसाब से 13 प्रतिशत वोट था. 28 प्रतिशत पर पूर्ण बहुमत की सरकार बन जाती है. अगर मुसलमान कांग्रेस के साथ आ जाएं तो उत्तर प्रदेश में एक सेक्युलर और प्रगतिशील बहुमत वाली सरकार बन जाएगी. ये बातें अल्पसंख्यक कांग्रेस द्वारा हर रविवार को फेसबुक लाइव के माध्यम से होने वाले स्पीक अप कैंपेन की 26वीं कड़ी में कांग्रेस नेताओं ने कहीं.
अल्पसंख्यक कांग्रेस प्रदेश चेयरमैन शाहनवाज़ आलम ने कहा कि अखिलेश यादव इस वक़्त सिर्फ़ ढाई प्रतिशत आबादी के नेता हैं, क्योंकि उनकी बिरादरी जो कुल पांच प्रतिशत है, उसका आधा से ज़्यादा हिस्सा सपा छोड़कर जा चुका है. जो बचे भी हैं वो मुसलमानों से वोट तो ले लेते हैं, वोट देते नहीं हैं. पिछले चुनाव में भी अखिलेश यादव की बिरादरी ने सपा को वोट नहीं दिया था, इसीलिए सपा के 47 विधायकों में 17 मुसलमान थे और 13 यादव विधायक भी मुस्लिम बहुल सीटों से ही जीत पाए थे.
उन्होंने कहा कि अखिलेश यादव को मुसलमानों से चिढ़ है, इसीलिए मुस्लिम नेताओं को उनके मंच से भगाया और पीटा जा रहा है. शाहनवाज़ आलम ने कहा कि मुस्लिम समाज सोचने लगा है कि जब अखिलेश यादव आज़म खान के नहीं हुए, जब सपा के मंच से मुस्लिम नेताओं को धक्का देकर भगाया जा रहा है तो फिर मुसलमान साइकिल की सवारी क्यों करे ? उन्होंने कहा कि मुसलमान यह भी देख रहा है कि सीएए-एनआरसी विरोधी आंदोलन की हिंसा में मारे गए लोगों के बीच सिर्फ़ प्रियंका गांधी ही गईं, अखिलेश तो आजमगढ़ भी नहीं गए, जहां से वो सांसद हैं. उन्होंने कहा कि मुसलमान अब पूरी तरह कांग्रेस में घर वापसी का मन बना चुका है.
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बता दें, उत्तर प्रदेश की राजनीति में मुस्लिम वर्ग बड़ा महत्व रखता है और मुस्लिम वोटर को शुरुआत से ही कांग्रेस और समाजवादी पार्टी का ही माना जाता रहा है. हालांकि 2007 में पहली बार मुसलमानों ने बहुजन समाज पार्टी का भी साथ दिया था, लेकिन फिर से 2012 में मुस्लिम अखिलेश यादव की तरफ आ गए. केंद्र में मुस्लिमों का ज्यादातर वोट कांग्रेस को ही मिलता है. ऐसे में इस बार उत्तर प्रदेश में भी कांग्रेस के पक्ष में मुस्लिम मतदाता मतदान करें, इसके लिए उत्तर प्रदेश अल्पसंख्यक कांग्रेस के नेता समाजवादी पार्टी पर मुस्लिमों के बहाने हमलावर होकर इसकी जुगत में लगे हुए हैं.
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