लखनऊ: उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की तरफ से दो दिवसीय नव संकल्प शिविर का आयोजन किया गया. प्रयास था कि प्रदेश में कांग्रेस की हालत की समीक्षा के साथ 2024 के लोकसभा और आगामी नगर निकाय चुनाव को लेकर रणनीति तैयार की जाएगी. पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी को इस दो दिवसीय कार्यक्रम में शामिल होना चाहिए. वे इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए बुधवार को लखनऊ पहुंच भी गईं थीं. लेकिन, 2 दिन के इस कार्यक्रम को सिर्फ 30 मिनट में निपटाकर प्रियंका गांधी लौट गईं. अपनी नेता से मिलने की आस लेकर दूरदराज इलाकों से लखनऊ आए कांग्रेस कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों के हाथ मायूसी ही लगी.
बता दें कि कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी बुधवार को लखनऊ आईं थीं. करीब 4 बजे के आसपास उन्होंने कांग्रेस कार्यालय में नव संकल्प में मौजूद पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को संबोधित किया था. वे करीब 30 से 35 मिनट तक पार्टी कार्यालय में रहीं. उसके बाद कौल हाउस चली गईं. पार्टी सूत्रों की मानें तो शाम करीब 7:30 से 8 बजे के बीच प्रियंका गांधी कौल हाउस से रायबरेली के लिए रवाना हुईं. प्रियंका को गुरुवार को पार्टी कार्यकर्ताओं व पदाधिकारियों से बैठक करनी थी. कार्यक्रम सुबह 9:30 बजे से शुरू होना था. लेकिन, उसके पहले ही वे नई दिल्ली के लिए रवाना हो गईं.
यह हाल तब है, जबकि प्रियंका गांधी खुद यह स्वीकार करती हैं कि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की जमीन खिसक रही है. पार्टी प्रवक्ता का कहना है कि अपरिहार्य कारणों के चलते उन्हें अचानक वापस लौटना पड़ा. वहीं, कार्यकर्ताओं और नेताओं में नाराजगी है. उनका कहना है कि वह अपने नेता से मिलने के लिए लखनऊ आए थे. विधानसभा चुनाव 2022 के नतीजों के बाद वैसे ही पार्टी में बिखराव की स्थिति बनती जा रही है. ऊपर से बड़े नेताओं के इस तरह के रवैये से काफी मायूसी हाथ लगी है.
ऐसे नहीं हो पाएगा पार्टी का उद्धार
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी का जनाधार गिर के 2.5 प्रतिशत तक पहुंच गया है. एक जमाने में उत्तर प्रदेश की सत्ता पर राज करने वाली कांग्रेस के विधानसभा में सिर्फ दो विधायक बचे हैं. यह दोनों भी अपने बलबूते पर विधायक बने हैं. इसमें पार्टी का कोई योगदान नहीं है. वहीं, विधान परिषद में सिर्फ एक विधायक है, जिसका कार्यकाल भी पूरा होने जा रहा है. इन मौजूदा हालातों में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के गैर रवैये से कई सवाल खड़े हो गए.
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लखनऊ विश्वविद्यालय के राजनीतिक शास्त्र विभाग के विशेषज्ञ वरिष्ठ शिक्षक प्रोफेसर संजय गुप्ता कहते हैं कि कोई भी पार्टी अपने कार्यकर्ताओं को वेतन नहीं देती है. कार्यकर्ता अपने नेताओं और विचारधारा से जुड़ा हुआ है. ऐसे में अगर पार्टी के वरिष्ठ नेता कार्यकर्ताओं और नेताओं के लिए समय नहीं निकाल पा रहे हैं तो यह चिंतनीय विषय है. क्योंकि इन हालातों में कार्यकर्ता से उम्मीदें लगाना बेमानी होगा. प्रोफेसर संजय गुप्ता का कहना है कि राजनीति जनता के लिए, जनता से जुड़ने की होती है. प्रियंका गांधी ने खुद अपने भाषण में स्वीकार किया कि उनकी पार्टी लोगों के बीच नहीं पहुंच पाएंगी. अगर इस तरह का रवैया रहा तो भविष्य में पहुंच पाना भी संभव नहीं होगा.
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