लखनऊ : वाराणसी के ज्ञानवापी प्रकरण में कांग्रेस पार्टी खांचों में बटी दिखाई दे रही है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रमोद कृष्णम ने कहा है कि प्रत्यक्ष को प्रमाण की जरूरत नहीं, ताज भी हिंदुओं को सौंपे सरकार. उन्होंने कहा कि ज्ञानवापी मामले में अब सब कुछ साफ हो चुका है. यह मामला हमारी आस्था और जनभावना से जुड़ा हुआ है. शिवलिंग को किसने छिपाया और क्यों छिपाया यह बाद का विषय है. हमें उम्मीद है कि न्यायालय शीघ्र निर्णय देगा. इस मामले में कांग्रेस विधायक दीपक सिंह ने अलग ही रुख अपनाया और उन्होंने काशी-विश्वनाथ कॉरिडोर निर्माण के दौरान टूटे शिवलिंगों का विषय उठाया. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी और उप्र कांग्रेस मीडिया कम्युनिकेशन विभाग के अध्यक्ष नसीमुद्दीन सिद्दीकी के अपने-अपने बयान हैं. ऐसे में साफ पता चलता है कि कांग्रेस पार्टी इस मुद्दे पर बटी हुई है. इसीलिए सभी नेताओं के अलग-अलग बयान आ रहे हैं.
उत्तर प्रदेश कांग्रेस में हालात सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं. पार्टी के बड़े नेता भी बड़े मुद्दों पर एकमत नहीं हैं. यही कारण है कि नेता पार्टी लाइन से इतर अपने बयान दे रहे हैं. दो दिन पहले पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रमोद कृष्णम ने अयोध्या में कहा कि भारत सरकार को चाहिए कि वह ताजमहल और कुतुबमीनार को हिंदुओं को सौंप दे.
ज्ञानवापी पर उन्होंने कहा कि यह हमारी आस्था का विषय है. हम न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हैं. दूसरी ओर कांग्रेस विधान परिषद दल के नेता दीपक सिंह ने ट्वीट किया कि 'दिसंबर 2018 में बीजेपी सरकार ने लिखित माना था 13 मंदिर, कई शिवलिंग तोड़े गए हैं. तमाम टूटे शिवलिंग कचरे में मिले. मुझे बताया गया अब वहां मॉल और दुकानें बनेंगी. सदन में सरकार ने मुझे बताया अब शिवलिंग थाने की पुलिस ले गई है. तब जो अंधे और गूंगे चुप थे, वही अब बेशर्मी से चिल्ला रहे हैं.' इस सबसे इतर उप्र कांग्रेस मीडिया विभाग के प्रमुख और पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने कहा कि 'कांग्रेस पार्टी देश को जोड़ने की राजनीति करती है, तोड़ने की नहीं. हम सब पहले भारतीय हैं. उसके बाद धर्म की बात आती है. मामला कोर्ट में है इसलिए वह मामले में कुछ नहीं कहेंगे. वहीं, वरिष्ठ कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने प्रमोद कृष्णम के बयान पर कहा कि यह कांग्रेस पार्टी का आधिकारिक रुख नहीं है. मामला कोर्ट में है और वह देश की संसद और न्यायालयों का सम्मान करते हैं.
इन नेताओं के अलग-अलग बयान बताते हैं कि बड़े विषयों पर भी पार्टी एक मत नहीं है और नेतृत्व का भी अभाव है. यही नहीं इस प्रकार की बयानबाजी पार्टी में अनुशासन की कमी भी दर्शाता है. विधान सभा चुनाव में मिली पराजय से परेशान कांग्रेस अभी प्रदेश के लिए नया अध्यक्ष भी तलाश नहीं कर सकी है. राजस्थान में हुई पार्टी की चिंतन बैठक में क्या नतीजे निकले और इन पर अमल कब तक होगा इस विषय में अब तक किसी को कुछ भी नहीं पता.
इस विषय में राजनीतिक विश्लेषक डॉ. मनीष हिंदवी कहते हैं कि कांग्रेस का एक संकट है. वह तय नहीं कर पा रहे हैं कि उनका अध्यक्ष कौन होगा? उनकी पार्टी में पॉलिसी तय नहीं हो पा रही हैं. कांग्रेस में घमासान मची हुई है. सब भाग रहे हैं और अविश्वास का माहौल है. नतीजा यह है कि हर आदमी अपने स्तर पर जो उसे ठीक लग रहा है, वही बयान दे रहा है. एक सिस्टम तो होना चाहिए, कांग्रेस में उसका अभाव है.
डॉ. हिंदवी कहते हैं कि कांग्रेस में सिस्टम टूट गया है. वह कहते हैं कि जब पार्टी डेढ़ सौ साल पुरानी हो और एक रणनीतिकार पर टिक जाए कि प्रशांत किशोर हमें उबार लेंगे, ऐसी पार्टी के विषय में क्या कहा जाए. राहुल निस्संदेह मुद्दों पर अच्छा बोल रहे हैं, लेकिन वह पॉलिसी तय नहीं कर पा रहे हैं. दूसरा जब वह दिल्ली से चलते हैं, तो अपने साथ चार लोगों को ले आते हैं, जो यहां लोगों को गवर्न करने लगते हैं. प्रियंका जी ने भी बहुत मेहनत की है, लेकिन उनकी मेहनत वोट में तब्दील नहीं हुई. क्योंकि ग्राउंड में उनकी पकड़ जीरो है. डॉ. हिंदवी कहते हैं कि आप कितने भी लोकप्रिय क्यों न हों, यदि संगठन नहीं है नीचे तो कुछ नहीं हो सकता है. वह कहते हैं कि कांग्रेस में इन दिनों संगठन का घोर अभाव है. पार्टी नेतृत्व समझ नहीं पा रहा है कि वह क्या करे.
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