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नामांकन रूम तक पहुंची कांग्रेस के टिकट बंटवारे की लड़ाई, प्रत्याशी का पर्चा फाड़ा - नामांकन रूम में कांग्रेस प्रत्याशी का पर्चा फाड़ा

यूपी निकाय चुनाव में टिकट बंटवारे को लेकर कांग्रेस का द्वंद्व नाामांकन रूम तक पहुंच गया. टिकट न मिलने से नाराज नेता ने पार्षद पद के लिए आवेदन करने पहुंचे दूसरे नेता के नामांकन पर्चा लेकर फाड़ दिया.

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Published : Apr 17, 2023, 8:40 PM IST

लखनऊ : कांग्रेस से टिकट न मिलने से नाराज नेता ने पार्षद पद के लिए आवेदन करने पहुंचे दूसरे नेता के नामांकन पर्चा लेकर फाड़ दिया. इसको लेकर दोनों ही नेताओं के बीच में नामांकन रूम में जमकर हंगामा हुआ और नौबत मारपीट तक पुहंचे गई. मामला संज्ञान में आने के बाद पुलिस मौके पहुंची और दोनों नेताओं को हिरासत में लेकर थाने ले गई. टिकट न मिलने से नाराज निर्दल महिला प्रत्याशी के पति ने कांग्रेस प्रत्याशी का पर्चा फाड़ दिया था. इसको लेकर दोनों पक्षों में कहासुनी और हाथापाई हो गई थी.


ज्ञात हो कि नगर निगम के जोन 5 के गीतापल्ली वार्ड संख्या 54 से आलोक सिंह इस वार्ड से अपनी पत्नी को कांग्रेस का पार्षद प्रत्याशी बनाना चाह रहे थे. जिसके लिए वह लंबे समय से कोशिश कर रहे थे. टिकट न मिलने पर उन्होंने सोमवार को अपनी पत्नी महिमा सिंह का निर्दल प्रत्याशी के तौर पर नामांकन दाखिल कराया. प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि आलोक सिंह व उनकी पत्नी जब अपना पर्चा दाखिल कर जोन कार्यालय से बाहर निकल रहे थे. तभी उसी समय कांग्रेस प्रत्याशी शबाना परवीन अपना नामांकन कराने के लिए जोन कार्यालय पहुंची थीं. कांग्रेस प्रत्याशी को देखकर आलोक सिंह ने उन पर बाहर से आए हुए प्रत्याशी होने का आरोप लगाकर बहस करनी शुरू कर दी. इसी बहस के दौरान आलोक सिंह ने शबाना परवीन के प्रस्तावक से उनका नामांकन पर्चा छीनकर फाड़ दिया. इसको लेकर शबाना परवीन के प्रस्तावक व आलोक सिंह के बीच में अभद्रता भाषा का प्रयोग करने के साथ ही मारपीट हो गई. शबाना परवीन के प्रस्तावक ने आलोक सिंह पर मारपीट करने का आरोप लगाते हुए पुलिस में शिकायत की है. वहीं जैसे ही जोन कार्यालय में नामांकन के दौरान दोनों पक्षों में मारपीट की सूचना मिली, मौके पर आशियाना पुलिस पहुंची. पुलिस दोनों को अपने साथ थाने ले गई.

बीते दिनों कांग्रेस की ओर से जारी पार्षद सूची को लेकर पार्टी कार्यालय में जमकर हंगामा हुआ था. कई कांग्रेसी नेताओं ने पार्टी पर गलत तरीके से टिकट वितरित करने का आरोप भी लगाया था. कार्यकर्ताओं के हंगामे के बाद राष्ट्रीय सचिव धीरज गुर्जर ने जारी सूची को फर्जी बताते हुए एक जांच कमेटी के गठन कराया था, पर पार्टी की ओर से ना तो दूसरी सूची जारी की गई, न ही नाराज कार्यकर्ताओं को कोई जानकारी इस बारे में दोबारा से दी गई.

लखनऊ : कांग्रेस से टिकट न मिलने से नाराज नेता ने पार्षद पद के लिए आवेदन करने पहुंचे दूसरे नेता के नामांकन पर्चा लेकर फाड़ दिया. इसको लेकर दोनों ही नेताओं के बीच में नामांकन रूम में जमकर हंगामा हुआ और नौबत मारपीट तक पुहंचे गई. मामला संज्ञान में आने के बाद पुलिस मौके पहुंची और दोनों नेताओं को हिरासत में लेकर थाने ले गई. टिकट न मिलने से नाराज निर्दल महिला प्रत्याशी के पति ने कांग्रेस प्रत्याशी का पर्चा फाड़ दिया था. इसको लेकर दोनों पक्षों में कहासुनी और हाथापाई हो गई थी.


ज्ञात हो कि नगर निगम के जोन 5 के गीतापल्ली वार्ड संख्या 54 से आलोक सिंह इस वार्ड से अपनी पत्नी को कांग्रेस का पार्षद प्रत्याशी बनाना चाह रहे थे. जिसके लिए वह लंबे समय से कोशिश कर रहे थे. टिकट न मिलने पर उन्होंने सोमवार को अपनी पत्नी महिमा सिंह का निर्दल प्रत्याशी के तौर पर नामांकन दाखिल कराया. प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि आलोक सिंह व उनकी पत्नी जब अपना पर्चा दाखिल कर जोन कार्यालय से बाहर निकल रहे थे. तभी उसी समय कांग्रेस प्रत्याशी शबाना परवीन अपना नामांकन कराने के लिए जोन कार्यालय पहुंची थीं. कांग्रेस प्रत्याशी को देखकर आलोक सिंह ने उन पर बाहर से आए हुए प्रत्याशी होने का आरोप लगाकर बहस करनी शुरू कर दी. इसी बहस के दौरान आलोक सिंह ने शबाना परवीन के प्रस्तावक से उनका नामांकन पर्चा छीनकर फाड़ दिया. इसको लेकर शबाना परवीन के प्रस्तावक व आलोक सिंह के बीच में अभद्रता भाषा का प्रयोग करने के साथ ही मारपीट हो गई. शबाना परवीन के प्रस्तावक ने आलोक सिंह पर मारपीट करने का आरोप लगाते हुए पुलिस में शिकायत की है. वहीं जैसे ही जोन कार्यालय में नामांकन के दौरान दोनों पक्षों में मारपीट की सूचना मिली, मौके पर आशियाना पुलिस पहुंची. पुलिस दोनों को अपने साथ थाने ले गई.

बीते दिनों कांग्रेस की ओर से जारी पार्षद सूची को लेकर पार्टी कार्यालय में जमकर हंगामा हुआ था. कई कांग्रेसी नेताओं ने पार्टी पर गलत तरीके से टिकट वितरित करने का आरोप भी लगाया था. कार्यकर्ताओं के हंगामे के बाद राष्ट्रीय सचिव धीरज गुर्जर ने जारी सूची को फर्जी बताते हुए एक जांच कमेटी के गठन कराया था, पर पार्टी की ओर से ना तो दूसरी सूची जारी की गई, न ही नाराज कार्यकर्ताओं को कोई जानकारी इस बारे में दोबारा से दी गई.

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