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मजदूरों की बस सेवा पर राजनीति न करे योगी सरकार: प्रमोद तिवारी

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Published : May 19, 2020, 11:54 PM IST

मजदूरों की बस सेवा पर छिड़ी सियासी जंग में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद प्रमोद तिवारी ने योगी सरकार पर जमकर हमला बोला. उन्होंने कहा कि मजदूरों की बस सेवा पर योगी सरकार राजनीति न करे. उन्होंने कहा कि सरकार मजदूरों और कामगारों की मदद करने में नाकाम रही है.

मजदूरों की बस सेवा पर राजनीति न करे योगी सरकार
मजदूरों की बस सेवा पर राजनीति न करे योगी सरकार

लखनऊ: मजदूरों की बस सेवा पर छिड़ी कांग्रेस-भाजपा की सियासी जंग में मंगलवार की दोपहर बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद प्रमोद तिवारी ने मोर्चा संभाला. उन्होंने कहा कि मजदूरों की मदद के लिए कांग्रेस ने 4 दिन पहले बस सेवा शुरू करने की पेशकश की है. आगरा बॉर्डर पर 700 से ज्यादा बसें खड़ी हैं. उन्हें प्रवासी मजदूरों की सहायता करने के लिए इस्तेमाल किया जाना चाहिए, लेकिन खिसियाई भाजपा कांग्रेस के प्रस्ताव में मीन-मेख निकालने में जुटी है.

सरकार की ओर से लगातार अव्यावहारिक शर्ते लगाई जा रही है
कांग्रेस प्रदेश कार्यालय पर मीडिया से बातचीत में कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने कहा कि उत्तर प्रदेश और बिहार के सर्वाधिक मजदूर और कामगार हैं जो लॉकडाउन की बंदिशों की वजह से पैदल चलने के लिए मजबूर हुए हैं. ऐसे लोगों की हालत देखकर ही कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा ने 1000 बसों को कांग्रेस पार्टी के खर्च पर संचालित करने की पेशकश योगी सरकार से 16 मई को की है. सरकार ने इस प्रस्ताव पर कई दिन तक ध्यान नहीं दिया. अब सरकार की ओर से लगातार अव्यावहारिक शर्ते लगाई जा रही हैं. गाजियाबाद नोएडा में फंसे श्रमिकों को लाने के लिए सरकार ने 1000 बसों को लखनऊ में पेश करने का आदेश दिया. इसका विरोध किया गया तो नोएडा और गाजियाबाद में बसे मांगी गई है.

सुरक्षा मानकों पर भी हमारी पेशकश खरी उतरेगी
उन्होंने कहा कि आगरा बॉर्डर पर सुबह से 700 बसें खड़ी हैं और उन्हें नोएडा-गाजियाबाद जाने नहीं दिया जा रहा है. उन्होंने सवाल किया कि जब उत्तर प्रदेश के हाईवे से होकर श्रमिक और कामगार ट्रक, टैंकर और अन्य असुरक्षित साधनों से गुजर रहे थे तो सरकार ने उनकी चिंता नहीं की अब जब बस देने की पेशकश की है तो सरकार सुरक्षा मानकों का सवाल खड़ा कर रही है. उन्होंने कहा कि सुरक्षा मानकों पर भी हमारी पेशकश खरी उतरेगी. लेकिन सरकार को धैर्य के साथ सहायता को स्वीकार करना चाहिए. जो बसे ठीक हैं उन्हें मजदूरों की मदद में लगाया जाए.

इसे भी पढ़ें-प्रवासियों को बस उपलब्ध कराने के लिए कांग्रेस ने सरकार से मांगा शाम 5 बजे तक का समय

भाजपा सरकार मजदूरों और कामगारों की मदद करने में रही है नाकाम
उन्होंने सरकार की ओर से बार-बार शर्तों में परिवर्तन करने और आधी रात में पत्र लिखे जाने को लेकर भी एतराज किया और कहा कि दरअसल सरकार मजदूरों और कामगारों की मदद करने में नाकाम रही है. इस खिसियाहट में भाजपा और उसके नेता कांग्रेस की पेशकश में अड़ंगा लगा रहे हैं. उन्होंने कहा कि कोरोना वैश्विक महामारी से निपटने में भी बस सेवा सहायक साबित होगी. क्योंकि जो मजदूर और कामगार इसकी मदद से आएंगे उनकी हर जिले में एक निश्चित स्थान पहुंचने पर जांच भी की जा सकेगी. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के इस दौर में भाजपा सरकार भी चाहती तो निजी बसों की मदद ले सकती है, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया. यही वजह है कि अब कांग्रेस जो गरीब मजदूरों की मदद करना चाहती है. उसकी राह में भाजपा सरकार रोड़ा अटकाने में जुटी है. उन्होंने कहा कि मजदूरों की बस सेवा पर योगी सरकार राजनीति न करे.

लखनऊ: मजदूरों की बस सेवा पर छिड़ी कांग्रेस-भाजपा की सियासी जंग में मंगलवार की दोपहर बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व सांसद प्रमोद तिवारी ने मोर्चा संभाला. उन्होंने कहा कि मजदूरों की मदद के लिए कांग्रेस ने 4 दिन पहले बस सेवा शुरू करने की पेशकश की है. आगरा बॉर्डर पर 700 से ज्यादा बसें खड़ी हैं. उन्हें प्रवासी मजदूरों की सहायता करने के लिए इस्तेमाल किया जाना चाहिए, लेकिन खिसियाई भाजपा कांग्रेस के प्रस्ताव में मीन-मेख निकालने में जुटी है.

सरकार की ओर से लगातार अव्यावहारिक शर्ते लगाई जा रही है
कांग्रेस प्रदेश कार्यालय पर मीडिया से बातचीत में कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने कहा कि उत्तर प्रदेश और बिहार के सर्वाधिक मजदूर और कामगार हैं जो लॉकडाउन की बंदिशों की वजह से पैदल चलने के लिए मजबूर हुए हैं. ऐसे लोगों की हालत देखकर ही कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और प्रदेश प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा ने 1000 बसों को कांग्रेस पार्टी के खर्च पर संचालित करने की पेशकश योगी सरकार से 16 मई को की है. सरकार ने इस प्रस्ताव पर कई दिन तक ध्यान नहीं दिया. अब सरकार की ओर से लगातार अव्यावहारिक शर्ते लगाई जा रही हैं. गाजियाबाद नोएडा में फंसे श्रमिकों को लाने के लिए सरकार ने 1000 बसों को लखनऊ में पेश करने का आदेश दिया. इसका विरोध किया गया तो नोएडा और गाजियाबाद में बसे मांगी गई है.

सुरक्षा मानकों पर भी हमारी पेशकश खरी उतरेगी
उन्होंने कहा कि आगरा बॉर्डर पर सुबह से 700 बसें खड़ी हैं और उन्हें नोएडा-गाजियाबाद जाने नहीं दिया जा रहा है. उन्होंने सवाल किया कि जब उत्तर प्रदेश के हाईवे से होकर श्रमिक और कामगार ट्रक, टैंकर और अन्य असुरक्षित साधनों से गुजर रहे थे तो सरकार ने उनकी चिंता नहीं की अब जब बस देने की पेशकश की है तो सरकार सुरक्षा मानकों का सवाल खड़ा कर रही है. उन्होंने कहा कि सुरक्षा मानकों पर भी हमारी पेशकश खरी उतरेगी. लेकिन सरकार को धैर्य के साथ सहायता को स्वीकार करना चाहिए. जो बसे ठीक हैं उन्हें मजदूरों की मदद में लगाया जाए.

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भाजपा सरकार मजदूरों और कामगारों की मदद करने में रही है नाकाम
उन्होंने सरकार की ओर से बार-बार शर्तों में परिवर्तन करने और आधी रात में पत्र लिखे जाने को लेकर भी एतराज किया और कहा कि दरअसल सरकार मजदूरों और कामगारों की मदद करने में नाकाम रही है. इस खिसियाहट में भाजपा और उसके नेता कांग्रेस की पेशकश में अड़ंगा लगा रहे हैं. उन्होंने कहा कि कोरोना वैश्विक महामारी से निपटने में भी बस सेवा सहायक साबित होगी. क्योंकि जो मजदूर और कामगार इसकी मदद से आएंगे उनकी हर जिले में एक निश्चित स्थान पहुंचने पर जांच भी की जा सकेगी. उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के इस दौर में भाजपा सरकार भी चाहती तो निजी बसों की मदद ले सकती है, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया. यही वजह है कि अब कांग्रेस जो गरीब मजदूरों की मदद करना चाहती है. उसकी राह में भाजपा सरकार रोड़ा अटकाने में जुटी है. उन्होंने कहा कि मजदूरों की बस सेवा पर योगी सरकार राजनीति न करे.

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