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...रूट कैनाल ट्रीटमेंट से खराब दातों का कर सकते हैं बचाव - कंजरवेटिव डेंटिस्ट्री

राजधानी लखनऊ में किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के कलाम सेंटर में आयोजित सेकंड नॉर्थ जोन कॉन्फ्रेंस का सोमवार को समापन किया गया. कॉन्फ्रेंस में कंजरवेटिव डेंटिस्ट्री में चल रहे नए आयामों को लेकर चर्चा की गई थी.

केजीएमयू में आयोजित कॉन्फ्रेंस का हुआ समापन.
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Published : Aug 28, 2019, 9:49 AM IST

लखनऊ: किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के कलाम सेंटर में सोमवार को सेकंड नॉर्थ जोन कॉन्फ्रेंस का समापन किया गया. कॉन्फ्रेंस में पूरे उत्तर भारत से आए कई गेस्ट स्पीकर्स और पोस्ट ग्रेजुएट विद्यार्थी शामिल हुए थे. सभी ने कंजरवेटिव डेंटिस्ट्री में चल रहे नए आयामों को लेकर चर्चा की थी.

केजीएमयू में आयोजित कॉन्फ्रेंस का हुआ समापन.

इंडियन एसोसिएशन ऑफ कंजरवेटिव डेंटिस्ट्री ने किया आयोजन

  • केजीएमयू में दो दिवसीय कांफ्रेंस का आयोजन किया गया था.
  • उत्तर भारत से आए कई गेस्ट स्पीकर्स और पीजी के विद्यार्थी शामिल हुए थे.
  • कंजरवेटिव डेंटिस्ट्री को लेकर कॉन्फ्रेंस में चर्चा की गई थी.
  • आयोजन इंडियन एसोसिएशन ऑफ कंजरवेटिव डेंटिस्ट्री एंड एंडोडोंटिक्स ने किया था.
  • कॉन्फ्रेंस में लगभग 300 से भी अधिक रिसर्च पेपर प्रेजेंट किए गए.
  • जिससे डेंटिस्ट्री को लेकर कई नई तरह की बातें सामने आई.

यह भी पढ़ें: अब अरुण जेटली के नाम से जाना जाएगा फिरोजशाह कोटला

कॉन्फ्रेंस में लगभग 300 से भी अधिक रिसर्च पेपर प्रेजेंट किए गए. सबसे अधिक प्रभावशाली रिसर्च पेपर नई दिल्ली के जनसंचार विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अजय लोगानी का था, जिसमें उन्होंने बताया कि मिनिरल ट्राईऑक्साइड नामक मटेरियल का इस्तेमाल करके रूट कैनाल ट्रीटमेंट के दौरान हम दांतों की नसों को खराब होने से बचा सकते हैं.
-डॉ. अनिल चंद्रा, दंत संकाय विभाग

कांफ्रेंस काफी प्रभावशाली और ज्ञानवर्धक साबित हुई. सबसे बेहतरीन टॉपिक और तकनीक मुझे 3D एडवांसमेंट लगा, जिसके तहत हम अपने इलाज के दौरान होने वाली गलतियों को न केवल कमतर कर सकते हैं. बल्कि इलाज में भी आसानी ला सकते हैं.
-डॉ. बृहद जुमना भरत, पीजी स्कॉलर

कई ऐसी तकनीक इलाज में सहायक हो गई है, जिनसे न केवल डॉक्टर्स बल्कि मरीजों को भी सुविधा मिलती है. उदाहरण के तौर पर यदि हम क्राउंस बनाने के लिए डेंटल इंप्रेशंस लेते हैं. उसके लिए अब इसी मटेरियल के स्थान पर डिजिटल स्कैनर का उपयोग कर सकते हैं. इससे मरीज को भी असुविधा नहीं होती है.
-डॉ. अनुराधा, जूनियर रेजिडेंट

लखनऊ: किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के कलाम सेंटर में सोमवार को सेकंड नॉर्थ जोन कॉन्फ्रेंस का समापन किया गया. कॉन्फ्रेंस में पूरे उत्तर भारत से आए कई गेस्ट स्पीकर्स और पोस्ट ग्रेजुएट विद्यार्थी शामिल हुए थे. सभी ने कंजरवेटिव डेंटिस्ट्री में चल रहे नए आयामों को लेकर चर्चा की थी.

केजीएमयू में आयोजित कॉन्फ्रेंस का हुआ समापन.

इंडियन एसोसिएशन ऑफ कंजरवेटिव डेंटिस्ट्री ने किया आयोजन

  • केजीएमयू में दो दिवसीय कांफ्रेंस का आयोजन किया गया था.
  • उत्तर भारत से आए कई गेस्ट स्पीकर्स और पीजी के विद्यार्थी शामिल हुए थे.
  • कंजरवेटिव डेंटिस्ट्री को लेकर कॉन्फ्रेंस में चर्चा की गई थी.
  • आयोजन इंडियन एसोसिएशन ऑफ कंजरवेटिव डेंटिस्ट्री एंड एंडोडोंटिक्स ने किया था.
  • कॉन्फ्रेंस में लगभग 300 से भी अधिक रिसर्च पेपर प्रेजेंट किए गए.
  • जिससे डेंटिस्ट्री को लेकर कई नई तरह की बातें सामने आई.

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कॉन्फ्रेंस में लगभग 300 से भी अधिक रिसर्च पेपर प्रेजेंट किए गए. सबसे अधिक प्रभावशाली रिसर्च पेपर नई दिल्ली के जनसंचार विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अजय लोगानी का था, जिसमें उन्होंने बताया कि मिनिरल ट्राईऑक्साइड नामक मटेरियल का इस्तेमाल करके रूट कैनाल ट्रीटमेंट के दौरान हम दांतों की नसों को खराब होने से बचा सकते हैं.
-डॉ. अनिल चंद्रा, दंत संकाय विभाग

कांफ्रेंस काफी प्रभावशाली और ज्ञानवर्धक साबित हुई. सबसे बेहतरीन टॉपिक और तकनीक मुझे 3D एडवांसमेंट लगा, जिसके तहत हम अपने इलाज के दौरान होने वाली गलतियों को न केवल कमतर कर सकते हैं. बल्कि इलाज में भी आसानी ला सकते हैं.
-डॉ. बृहद जुमना भरत, पीजी स्कॉलर

कई ऐसी तकनीक इलाज में सहायक हो गई है, जिनसे न केवल डॉक्टर्स बल्कि मरीजों को भी सुविधा मिलती है. उदाहरण के तौर पर यदि हम क्राउंस बनाने के लिए डेंटल इंप्रेशंस लेते हैं. उसके लिए अब इसी मटेरियल के स्थान पर डिजिटल स्कैनर का उपयोग कर सकते हैं. इससे मरीज को भी असुविधा नहीं होती है.
-डॉ. अनुराधा, जूनियर रेजिडेंट

Intro:लखनऊ। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के कलाम सेंटर में आज सेकंड नॉर्थ जोन कॉन्फ्रेंस का समापन किया गया। इस अवसर पर पूरे उत्तर भारत से आए कई गेस्ट स्पीकर्स और पोस्ट ग्रेजुएट विद्यार्थियों ने अपने रिसर्च पेपर और पोस्टर प्रेजेंट किए और कंजरवेटिव डेंटिस्ट्री में चल रहे नए आयामों पर चर्चा की।


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केजीएमयू में कंजरवेटिव डेंटिस्ट्री पर हुए दो दिवसीय कांफ्रेंस का आयोजन इंडियन एसोसिएशन ऑफ़ कंजरवेटिव डेंटिस्ट्री एंड एंडोडोंटिक्स की ओर से किया गया था। किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के कंजरवेटिव डेंटिस्ट्री के प्रोफेसर डॉ अनिल चंद्रा ने बताया कि कॉन्फ्रेंस में लगभग 300 से भी अधिक रिसर्च पेपर प्रेजेंट किए गए जिनमें कई नई तरह की बातें सामने आई। उन्होंने बताया कि इनमें से सबसे अधिक प्रभावशाली रिसर्च पेपर इन नई दिल्ली के जनसंचार विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ अजय लोगानी का था जिसमें उन्होंने बताया कि मिनिरल ट्राईऑक्साइड नामक मटेरियल का इस्तेमाल करके रूट कैनाल ट्रीटमेंट के दौरान हम दांतों की नसों को खराब होने से बचा सकते हैं और इससे दांतों की प्राकृतिक जिंदगी भी बढ़ सकती है।

पीजीआई रोहतक के पोस्ट ग्रेजुएट स्टूडेंट डॉ वृहत जुमना भरत कहते हैं कि यहां दो दिवसीय कांफ्रेंस काफी प्रभावशाली और ज्ञानवर्धक साबित हुई जिसमें दंत संकाय के तमाम आयामों के बारे में न केवल जानकारी मिली पर उसके बारे में सीखने के विषय में भी आगे बढ़ने की प्रेरणा मिली। उन्होंने बताया कि सबसे बेहतरीन टॉपिक और तकनीक मुझे 3D एडवांसमेंट लगी जिसके तहत हम अपने इलाज के दौरान होने वाली गलतियों को न केवल कमतर कर सकते हैं बल्कि इलाज में भी आसानी ला सकते हैं।




Conclusion:किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी की कंजरवेटिव डेंटिस्ट्री की जूनियर रेजिडेंट अनुराधा कहती है कई ऐसी तकनीक इलाज में सहायक हो गई है जिन से न केवल डॉक्टर्स बल्कि मरीजों को भी सुविधा मिलती है उदाहरण के तौर पर यदि हम क्राउंस बनाने के लिए डेंटल इंप्रेशंस लेते हैं उसके लिए अब इसी मटेरियल के स्थान पर डिजिटल स्कैनर का उपयोग कर सकते हैं इससे मरीज को भी असुविधा नहीं होती है।

बाइट- डॉक्टर अनिल चंद्रा, दंत संकाय विभाग, किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी
बाइट- डॉ बृहद जुमना भरत, पीजी स्कॉलर, पीजीआई रोहतक
बाइट- डॉ अनुराधा, जूनियर रेजिडेंट, केजीएमयू

रामांशी मिश्रा
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