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लखनऊ: स्टेयरिंग छोड़ खेती करने चले गए ड्राइवर-कंडक्टर, बसों पर लगा ब्रेक

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Published : Nov 26, 2019, 4:50 PM IST

उत्तर प्रदेश की राजधानी में उपनगरीय डिपो के ड्राइवर और कंडक्टर इन दिनों गायब हैं. अधिकारियों का कहना है कि जब कंडक्टर का नंबर मिलाया जा रहा है तो कोई न कोई बहाना बनाकर चले जाते हैं.

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स्टीयरिंग और ईटीएम छोड़ कर खेती करने गए ड्राइवर

लखनऊ: उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के ड्राइवर कंडक्टर बसों की स्टीयरिंग और ईटीएम छोड़ इन दिनों अपने-अपने घर खेती करने चले गए हैं. जब अफसर उनसे संपर्क स्थापित करने के लिए उनके नंबर डायल कर रहे हैं तो फोन भी उनकी पत्नियां या परिजन उठा रहे हैं और अधिकारियों को अनचाहा जवाब मिल रहा है.

स्टीयरिंग और ईटीएम छोड़ कर खेती करने गए ड्राइवर

अब अफसरों के सामने मुश्किल यह पैदा हो गई है कि डिपो में खड़ी बसों का चक्का हिले भी तो कैसे ? तमाम बसों के संचालन पर ब्रेक लग गया है. बिना ड्राइवर बस का संचालन मुश्किल हो रहा है. इससे परिवहन को धन का नुकसान हो रहा है. परिवहन निगम के लखनऊ रीजन के साथ डिपो में से एक है उपनगरीय डिपो. इस डिपो के ड्राइवर कंडक्टर इन दिनों गायब हैं.

घाटे में चल रहा रोडवेज
खेती का समय चल रहा है, शादियों का दौर चल रहा है और रोडवेज ड्राइवर कंडक्टरों की कमी से जूझने के चलते घाटे में चल रहा है. बिना बताए ही तमाम चालक परिचालक अपने गांव में घरवालों के साथ खेती में हाथ बंटाने चले गए हैं. रोडवेज को इन्हीं दिनों सबसे ज्यादा ड्राइवर कंडक्टरों की जरूरत है. इन दिनों शादियों में ही बसों में अच्छी खासी भीड़ होती है जिससे रोडवेज को काफी फायदा होता है.

फोन नहीं उठा रहे ड्राइवर-कंडक्टर
अधिकारियों का कहना है कि जब ड्राइवर-कंडक्टर का नंबर मिलाया जा रहा है तो वह खुद फोन भी नहीं उठाते हैं. अपनी पत्नी को या फिर घर के किसी सदस्य को दे देते हैं और वह कोई न कोई बहाना बना देते हैं. अब बिना सूचना बताए गायब हुए कई ड्राइवर कंडक्टरों को चेतावनी दी गई है कि वे जल्द वापस लौट आएं. नहीं तो उनके वेतन से बड़ी कटौती की जाएगी या फिर संविदा ही समाप्त कर दी जाएगी.

इतने हैं कुल ड्राइवर- कंडक्टर
जहां तक उपनगरीय और हैदर के डिपो में बसों की संख्या और ड्राइवर कंडक्टरों की काफी कमी है. हैदर गढ़ डिपो में कुल 62 बच्चे हैं जिसमें 20 बसें अनुबंधित तो 42 बसें परिवहन निगम की हैं. उपनगरीय डिपो में 85 बसें परिवहन निगम की हैं और कुल 256 कंडक्टर इन दोनों डिपो के लिए हैं. 78 हैदरगढ़ डिपो में और 178 उपनगरीय डिपो में परिचालक हैं. उपनगरीय डिपो में 165 चालक हैं और हैदरगढ़ में 68 चालक, कुल मिलाकर 233 चालक. ड्राइवरों की भी कमी है. रोडवेज में ड्राइवरों की भर्ती भी चल रही है, पर कंडक्टरों की कमी अधिकारियों को खल रही है.


हमारे यहां से पहले से ही ड्राइवर और कंडक्टरों की कमी है. इसके लिए क्षेत्रीय प्रबंधक को पत्र लिखा गया है. इन दिनों गांव में खेती का काम चल रहा है तो ड्राइवर कंडक्टर खेती करने चले गए हैं. इससे हमारी काफी बसें खड़ी हो रही हैं और घाटा भी हो रहा है. सभी को चेतावनी दी गई है कि 2 दिन के अंदर वापस लौट आएं ऐसा नहीं करते हैं तो संविदा समाप्त होगी. इन्हीं दिनों शादी का दौर है और बसें काफ़ी चलती हैं तो रोडवेज को फायदा होता है, लेकिन ड्राइवर कंडक्टर न होने से नुकसान हो रहा है.
-काशी प्रसाद, सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक

लखनऊ: उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के ड्राइवर कंडक्टर बसों की स्टीयरिंग और ईटीएम छोड़ इन दिनों अपने-अपने घर खेती करने चले गए हैं. जब अफसर उनसे संपर्क स्थापित करने के लिए उनके नंबर डायल कर रहे हैं तो फोन भी उनकी पत्नियां या परिजन उठा रहे हैं और अधिकारियों को अनचाहा जवाब मिल रहा है.

स्टीयरिंग और ईटीएम छोड़ कर खेती करने गए ड्राइवर

अब अफसरों के सामने मुश्किल यह पैदा हो गई है कि डिपो में खड़ी बसों का चक्का हिले भी तो कैसे ? तमाम बसों के संचालन पर ब्रेक लग गया है. बिना ड्राइवर बस का संचालन मुश्किल हो रहा है. इससे परिवहन को धन का नुकसान हो रहा है. परिवहन निगम के लखनऊ रीजन के साथ डिपो में से एक है उपनगरीय डिपो. इस डिपो के ड्राइवर कंडक्टर इन दिनों गायब हैं.

घाटे में चल रहा रोडवेज
खेती का समय चल रहा है, शादियों का दौर चल रहा है और रोडवेज ड्राइवर कंडक्टरों की कमी से जूझने के चलते घाटे में चल रहा है. बिना बताए ही तमाम चालक परिचालक अपने गांव में घरवालों के साथ खेती में हाथ बंटाने चले गए हैं. रोडवेज को इन्हीं दिनों सबसे ज्यादा ड्राइवर कंडक्टरों की जरूरत है. इन दिनों शादियों में ही बसों में अच्छी खासी भीड़ होती है जिससे रोडवेज को काफी फायदा होता है.

फोन नहीं उठा रहे ड्राइवर-कंडक्टर
अधिकारियों का कहना है कि जब ड्राइवर-कंडक्टर का नंबर मिलाया जा रहा है तो वह खुद फोन भी नहीं उठाते हैं. अपनी पत्नी को या फिर घर के किसी सदस्य को दे देते हैं और वह कोई न कोई बहाना बना देते हैं. अब बिना सूचना बताए गायब हुए कई ड्राइवर कंडक्टरों को चेतावनी दी गई है कि वे जल्द वापस लौट आएं. नहीं तो उनके वेतन से बड़ी कटौती की जाएगी या फिर संविदा ही समाप्त कर दी जाएगी.

इतने हैं कुल ड्राइवर- कंडक्टर
जहां तक उपनगरीय और हैदर के डिपो में बसों की संख्या और ड्राइवर कंडक्टरों की काफी कमी है. हैदर गढ़ डिपो में कुल 62 बच्चे हैं जिसमें 20 बसें अनुबंधित तो 42 बसें परिवहन निगम की हैं. उपनगरीय डिपो में 85 बसें परिवहन निगम की हैं और कुल 256 कंडक्टर इन दोनों डिपो के लिए हैं. 78 हैदरगढ़ डिपो में और 178 उपनगरीय डिपो में परिचालक हैं. उपनगरीय डिपो में 165 चालक हैं और हैदरगढ़ में 68 चालक, कुल मिलाकर 233 चालक. ड्राइवरों की भी कमी है. रोडवेज में ड्राइवरों की भर्ती भी चल रही है, पर कंडक्टरों की कमी अधिकारियों को खल रही है.


हमारे यहां से पहले से ही ड्राइवर और कंडक्टरों की कमी है. इसके लिए क्षेत्रीय प्रबंधक को पत्र लिखा गया है. इन दिनों गांव में खेती का काम चल रहा है तो ड्राइवर कंडक्टर खेती करने चले गए हैं. इससे हमारी काफी बसें खड़ी हो रही हैं और घाटा भी हो रहा है. सभी को चेतावनी दी गई है कि 2 दिन के अंदर वापस लौट आएं ऐसा नहीं करते हैं तो संविदा समाप्त होगी. इन्हीं दिनों शादी का दौर है और बसें काफ़ी चलती हैं तो रोडवेज को फायदा होता है, लेकिन ड्राइवर कंडक्टर न होने से नुकसान हो रहा है.
-काशी प्रसाद, सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक

Intro:स्टीयरिंग, ईटीएम छोड़ खेती करने चले गए ड्राइवर कंडक्टर, बसों पर लग गया ब्रेक

लखनऊ। उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के ड्राइवर कंडक्टर बसों की स्टीयरिंग और ईटीएम छोड़ इन दिनों अपने-अपने घर खेती करने चले गए हैं। जब अफसर उनसे संपर्क स्थापित करने के लिए उनके नंबर डायल कर रहे हैं तो फोन भी उनकी पत्नियां या परिजन उठा रहे हैं और अधिकारियों को अनचाहा जवाब मिल रहा है। अब अफसरों के सामने मुश्किल यह पैदा हो गई है कि डिपो में खड़ी बसों का चक्का हिले भी तो कैसे ? तमाम बसों के संचालन पर ब्रेक लग गया है। बिना ड्राइवर बस का संचालन मुश्किल हो रहा है इससे परिवहन को धन का नुकसान हो रहा है।


Body:परिवहन निगम के लखनऊ रीजन के साथ डिपो में से एक है उपनगरीय।डिपो। इस डिपो के ड्राइवर कंडक्टर इन दिनों गायब हैं। खेती का समय चल रहा है, शादियों का दौर चल रहा है और रोडवेज ड्राइवर कंडक्टरों की कमी से जूझने के चलते घाटे में चल रहा है। बिना बताए ही तमाम चालक परिचालक अपने गांव में घरवालों के साथ खेती में हाथ बंटाने चले गए हैं तो कुछ बिना बताए शादियों में शिरकत करने, वहीं रोडवेज को इन्हीं दिनों सबसे ज्यादा ड्राइवर कंडक्टरों की जरूरत है क्योंकि शादियों में ही बसों में अच्छी खासी भीड़ होती है जिससे रोडवेज को काफी फायदा होता है। लेकिन अब जब ड्राइवर कंडक्टर ही न हों तो भला बस डिपो से बाहर निकले भी तो कैसे? परिवहन निगम फायदे के ट्रैक पर दौड़े भी तो कैसे? अधिकारियों का कहना है कि जब ड्राइवर कंडक्टर का नंबर मिलाया जा रहा है तो वह खुद फोन भी नहीं उठाते हैं अपनी पत्नी को या फिर घर के किसी सदस्य को दे देते हैं और वह कोई न कोई बहाना बना देते हैं। अब बिना सूचना गायब हुए दर्जनों ऐसे ड्राइवर कंडक्टरों को चेतावनी दी गई है कि वे जल्द वापस लौट आएं नहीं तो उनके वेतन से बड़ी कटौती की जाएगी या फिर संविदा ही समाप्त कर दी जाएगी।

इतने हैं कुल ड्राइवर- कंडक्टर

जहां तक उपनगरीय और हैदर के डिपो में बसों की संख्या और ड्राइवर कंडक्टरों का सवाल है तो पहले से ही ड्राइवर कंडक्टरों की काफी कमी है। हैदर गढ़ डिपो में कुल 62 बच्चे हैं जिसमें 20 बसें अनुबंधित तो 42 बसें परिवहन निगम की हैं वही उपनगरीय डिपो में 85 बसें परिवहन निगम की हैं। जहां तक कंडक्टर का सवाल है तो कुल 256 कंडक्टर इन दोनों डिपो के लिए हैं। 78 हैदरगढ़ डिपो में और 178 उपनगरीय डिपो में परिचालक हैं। उपनगरीय डिपो में 165 चालक हैं और हैदरगढ़ में 68 चालक, कुल मिलाकर 233 चालक। ड्राइवरों की भी कमी है। रोडवेज में ड्राइवरों की भर्ती भी चल रही है, पर कंडक्टरों की कमी अधिकारियों को खल रही है।


बाइट: काशी प्रसाद: सहायक क्षेत्रीय प्रबंधक, उपनगरीय डिपो

हमारे यहां से पहले से ही ड्राइवर और कंडक्टरों की कमी है। इसके लिए क्षेत्रीय प्रबंधक को पत्र लिखा गया है, वहीं इन दिनों गांव में खेती का काम चल रहा है तो ड्राइवर कंडक्टर खेती करने चले गए हैं। इससे हमारी काफी बसें खड़ी हो रही हैं और घाटा भी हो रहा है। सभी को चेतावनी दी गई है कि 2 दिन के अंदर वापस लौट आएं ऐसा नहीं करते हैं तो संविदा समाप्त होगी और 1 दिन का जितना किलोमीटर होता है उसके मुताबिक रिकवरी की जाएगी। इन्हीं दिनों शादी का दौर है और बसें काफ़ी चलती हैं तो रोडवेज को फायदा होता है, लेकिन ड्राइवर कंडक्टर नहोने से नुकसान हो रहा है।


Conclusion:अफसरों को उम्मीद है कि संविदा समाप्त होने और रिकवरी के डर से शायद जल्दी ड्राइवर कंडक्टर लौटें और बसें डिपो से बाहर निकलकर सड़क पर दौड़ती दिखें। जिससे घाटे के ट्रैक पर दौड़ रहा रोडवेज फायदे के ट्रैक पर वापस हो।

अखिल पांडेय, लखनऊ 93368 64096
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