लखनऊ : चुनाव आयोग प्रत्याशियों के खर्चों पर नजर रखने के लिए बेहद सतर्क है, तो प्रत्याशी भी मतदाताओं को प्रभावित करने के नए तरीके अपना रहे हैं. मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए प्रत्याशी अब पोस्टर, बैनर, होर्डिंग जैसी प्रचार सामग्री पर कम खर्च कर रहे हैं. वहीं होटल, भोजन और टैक्सी पर खर्चा कई गुना बढ़ गया है. यही वजह है कि चुनाव आयोग ऐसे खर्चों की निगरानी करने में नाकाम साबित हो रहा है.
- देश के आम चुनाव में कभी पोस्टर, बैनर से प्रत्याशियों का चुनावी माहौल तैयार हुआ करता था.
- चुनाव आयोग की ओर से ऐसे खर्चों पर कड़ी निगरानी किए जाने के बाद अब प्रचार सामग्री की दुकानें सूनी पड़ी हुई हैं.
- राजधानी में राजनीतिक दलों के कार्यालयों के बाहर इस तरह की दुकानें हालांकि पूरे साल खुली रहती हैं.
- इनका असली कारोबार चुनाव के माहौल में ही हुआ करता था.
पहले हुए चुनाव के मुकाबले उनका कारोबार इतना कम हो गया है कि सामान्य खर्च भी निकलना मुश्किल है इसकी वजह चुनाव आयोग की सख्ती है.
-संजय श्रीवास्तव, चुनाव प्रचार सामग्री, विक्रेता
राजनीतिक दल भी यह कह रहे हैं कि चुनाव का प्रचार संबंधित खर्च डिजिटल इंडिया ने कम कर दिया है प्रचार अब सोशल मीडिया के माध्यम से हो रहा है ऐसे में पारंपरिक तरीकों की जरूरत कम हो गई है.
-हरीश चंद्र श्रीवास्तव, प्रवक्ता, भाजपा