लखनऊ: अंसल के बिल्डर ने सुशांत गोल्फ सिटी के संतुष्टि अपार्टमेन्ट के आवंटियों से किए वादों को पूरा नहीं किया है. सम्पूर्ण ग्रूप हाउसिंग भवन का पूर्णता प्रमाण पत्र भी एलडीए से नहीं लिया है. एलडीए की तरफ से जारी पूर्णता प्रमाण पत्र को ही आधार बनाकर जनता के साथ अंसल का बिल्डर धोखा कर रहा है. लखनऊ जनकल्याण महासमिति के अध्यक्ष उमाशंकर दुबे ने इस सम्बंध में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर शिकायत की है.
बुजुर्गों को नहीं मिल रहीं बुकलेट में दी गईं सुविधाएं
उमाशंकर दुबे ने कहा कि एलडीए ने अपने चार मार्च 2017 के आदेश में कहा था कि क्लब आदि बिल्डिंग का निर्माण पूर्ण कराएं तभी प्राधिकरण सम्पूर्ण बिल्डिंग का पूर्णता प्रमाणपत्र जारी करेगा. एलडीए ने उक्त पत्र में मेंटेनेंस सहित कई अन्य निर्देश दिए थे, लेकिन बिल्डर उसका भी पालन नहीं कर रहे हैं. उल्टे आवंटियों से निर्माणाधीन बिल्डिंग का मेंटेनेंस ले रहे हैं. यह अपार्टमेन्ट बुजुर्गों के लिए बनाया गया था जिसमें बुजुर्गों की सुविधाओं के लिए क्लब, 24 घंटे डॉक्टर और नर्स के साथ दवाखाना, डिपार्टमेंटल स्टोर, इनडोर गेम, अतिथि गृह, इंटरकॉम आदि कई अन्य वादे बुकलेट में किए गए थे लेकिन अभी तक वह वादे पूरे नहीं हुए.
अनाधिकृत है बिल्डिंग, एलडीए को ध्यान नहीं
उमाशंकर दुबे ने कहा कि बिल्डर प्रतिमाह मेंटेनेंस शुल्क के नाम पर मोटी रकम आवंटियों से ले रहा है. एलडीए ने बिल्डिंग के सीसी के संबंध में निर्देश दिए थे कि जब तक क्लब आदि की सुविधाएं आवंटियों को नहीं मिल जाती तब तक सम्पूर्ण बिल्डिंग का पूर्णता प्रमाण पत्र जारी नहीं किया जाएगा. बिल्डर ने एलडीए के निर्देश का पालन भी अभी तक नहीं किया जिसके चलते आवंटी अपने को ठगा महसूस कर रहे हैं. ध्यान देने वाली बात यह है कि उक्त बिल्डिंग की ओसी भी अभी तक जारी नहीं हुई है जिससे कहीं न कहीं बिल्डिंग अनाधिकृत है.
मेंटेनेंस शुल्क पर रोक लगाने की मांग
महासमिति ने मुख्यमंत्री से मामले की शिकायत करते हुए कहा कि संतुष्टि अपार्टमेन्ट के लापरवाही के मामले में एलडीए को निर्देशित करें. बिल्डर बुकलेट में किए गए क्लब सहित अन्य सभी वादे को पूरा करने और कार्पस व मेंटेनेंस के नाम पर अनाधिकृत तरीके से लिए गए आवंटियों के पैसे को वापस करें. जब तक कार्य पूर्ण नहीं हो जाता, तब तक एलडीए के चार मार्च 2017 निर्देश के सभी आदेशों का पालन करे और निर्माणाधीन बिल्डिंग में अनाधिकृत तरीके से लिए जा रहे मेंटेनेंस शुल्क पर तत्काल रोक लगाई जाए.