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मनमानी फीस वसूलने का मामला: प्रसाद मेडिकल कॉलेज की शिकायत पहुंची लोकायुक्त - सोशल एक्टिविस्ट डॉ. नूतन ठाकुर

राजधानी लखनऊ के प्रसाद इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज पर छात्रों के साथ गंभीर अनियमितता और उत्पीड़न करने के आरोप लगे हैं. इस मामले को सोशल एक्टिविस्ट डॉ. नूतन ठाकुर लोकायुक्त में लेकर पहुंची हैं.

प्रसाद मेडिकल कॉलेज
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Published : Aug 4, 2021, 7:53 PM IST

लखनऊ: सोशल एक्टिविस्ट डॉ. नूतन ठाकुर, प्रसाद इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज लखनऊ के मामले को लोकायुक्त में लेकर पहुंची हैं. प्रसाद इंस्टीट्यूट पर छात्रों के साथ गंभीर अनियमितता और उत्पीड़न करने के आरोप हैं. इस संबंध में चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव एवं डीजी से शिकायत की गयी थी लेकिन, कोई कार्रवाई नहीं हुई है. जिम्मेदारों द्वारा कार्रवाई नहीं करने के मामले में लोकायुक्त जस्टिस संजय मिश्र के समक्ष परिवाद दायर किया है.

परिवाद में सोशल एक्टिविस्ट ने कहा कि शासन ने प्रदेश के 24 मेडिकल कॉलेज और 19 डेंटल कॉलेज के लिए शैक्षिक वर्ष 2020-21 हेतु शुल्क का निर्धारण किया. इसमें प्रसाद इंस्टिट्यूट के लिए 10.84 लाख प्रति छात्र/प्रति वर्ष का शैक्षणिक शुल्क, 1.5 लाख का हॉस्टल शुल्क, 3 लाख सिक्योरिटी डिपॉजिट और 0.80 लाख रुपये विविध शुल्क निर्धारित किया गया. इस प्रकार प्रथम वर्ष के लिए 16.14 लाख, अन्य वर्षों के लिए 13.14 लाख तथा अंतिम वर्ष के लिए 6.57 लाख रुपये का शुल्क निर्धारित किया गया. इसके विपरीत प्रसाद इंस्टिट्यूट ने वर्ष 2020-21 के प्रवेश लिए छात्रों से 2.90 लाख रुपये का अतिरिक्त शुल्क मांगा. साथ ही सभी छात्रों से आगामी वर्षों की फीस के पोस्ट-डेटेड चेक भी मांग कर रख लिए हैं, जो निर्धारित शुल्क से बहुत अधिक हैं.

नूतन का कहना है कि जिन लोगों ने अतिरिक्त शुल्क नहीं दिया है, उनके साथ अत्यंत अमानवीय व्यवहार हो रहा है. मसलन उन बच्चों को गन्दा खाना दिया जा रहा है, उन्हें शौचालय आदि की बुनियादी सुविधा भी नहीं दी जा रही है. छात्रों ने इसकी कई बार शिकायत की लेकिन, विभागीय अफसर इन्हें पूरी तरह नजरंदाज कर रहे हैं. उन्होंने इस संबंध में सभी संबंधित अधिकारियों से पत्राचार किया लेकिन. किसी भी स्तर पर कार्रवाई नहीं हुई. इसके बाद अब यह परिवाद दायर किया गया है.

लखनऊ: सोशल एक्टिविस्ट डॉ. नूतन ठाकुर, प्रसाद इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज लखनऊ के मामले को लोकायुक्त में लेकर पहुंची हैं. प्रसाद इंस्टीट्यूट पर छात्रों के साथ गंभीर अनियमितता और उत्पीड़न करने के आरोप हैं. इस संबंध में चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव एवं डीजी से शिकायत की गयी थी लेकिन, कोई कार्रवाई नहीं हुई है. जिम्मेदारों द्वारा कार्रवाई नहीं करने के मामले में लोकायुक्त जस्टिस संजय मिश्र के समक्ष परिवाद दायर किया है.

परिवाद में सोशल एक्टिविस्ट ने कहा कि शासन ने प्रदेश के 24 मेडिकल कॉलेज और 19 डेंटल कॉलेज के लिए शैक्षिक वर्ष 2020-21 हेतु शुल्क का निर्धारण किया. इसमें प्रसाद इंस्टिट्यूट के लिए 10.84 लाख प्रति छात्र/प्रति वर्ष का शैक्षणिक शुल्क, 1.5 लाख का हॉस्टल शुल्क, 3 लाख सिक्योरिटी डिपॉजिट और 0.80 लाख रुपये विविध शुल्क निर्धारित किया गया. इस प्रकार प्रथम वर्ष के लिए 16.14 लाख, अन्य वर्षों के लिए 13.14 लाख तथा अंतिम वर्ष के लिए 6.57 लाख रुपये का शुल्क निर्धारित किया गया. इसके विपरीत प्रसाद इंस्टिट्यूट ने वर्ष 2020-21 के प्रवेश लिए छात्रों से 2.90 लाख रुपये का अतिरिक्त शुल्क मांगा. साथ ही सभी छात्रों से आगामी वर्षों की फीस के पोस्ट-डेटेड चेक भी मांग कर रख लिए हैं, जो निर्धारित शुल्क से बहुत अधिक हैं.

नूतन का कहना है कि जिन लोगों ने अतिरिक्त शुल्क नहीं दिया है, उनके साथ अत्यंत अमानवीय व्यवहार हो रहा है. मसलन उन बच्चों को गन्दा खाना दिया जा रहा है, उन्हें शौचालय आदि की बुनियादी सुविधा भी नहीं दी जा रही है. छात्रों ने इसकी कई बार शिकायत की लेकिन, विभागीय अफसर इन्हें पूरी तरह नजरंदाज कर रहे हैं. उन्होंने इस संबंध में सभी संबंधित अधिकारियों से पत्राचार किया लेकिन. किसी भी स्तर पर कार्रवाई नहीं हुई. इसके बाद अब यह परिवाद दायर किया गया है.

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