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बिजली गिरने से बंद हो गए थे हजारों स्मार्ट मीटर, अब कंपनियों को टेलीकॉम डिपार्टमेंट से लेना होगा सर्टिफिकेट

स्मार्ट प्रीपेड मीटर में अब आपूर्तिकर्ता कंपनियों की मनमानी व घटिया तकनीकी (telecom department) कतई नहीं चलेगी. आम जनमानस के स्वास्थ्य के लिए सुरक्षित होने पर ही स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाए जाएंगे.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Oct 21, 2023, 9:01 AM IST

लखनऊ : अभी कुछ दिन पहले लखनऊ समेत उत्तर प्रदेश के हजारों उपभोक्ताओं के स्मार्ट मीटर बिजली गिरने से बंद हो गए थे. उनके घर की बत्ती गुल हो गई थी. इससे यह सवाल खड़े हुए कि बिजली गिरने से भला स्मार्ट मीटर कैसे बंद हो सकते हैं. इसे लेकर जब चर्चाएं शुरू हुईं तो इस तरफ भी ध्यान गया कि मोबाइल फोन की तरह ही स्मार्ट मीटर में भी सिम कार्ड लगता है. दूर संचार कंपनियों से जांच करानी चाहिए कि क्या मोबाइल फोन की तरह स्मार्ट मीटर से भी खतरनाक तरंगें निकलती हैं जो बिजली को अपनी तरफ आकर्षित करती हैं? जब इस पर अध्ययन किया गया तो सामने आया कि यह संभव है. लिहाजा, अब टेलीकम्युनिकेशन डिपार्टमेंट ने निर्देश दिए हैं कि सभी बिजली कंपनियों को स्मार्ट मीटर लगाने से पहले इसकी टेस्टिंग करना अनिवार्य होगा. जब टेलीकम्युनिकेशन डिपार्मेंट सर्टिफिकेट देगा तभी बिजली कंपनियां उपभोक्ताओं के घर पर स्मार्ट मीटर लगा सकेंगी.


शक्ति भवन
शक्ति भवन


उत्तर प्रदेश में 12 लाख स्मार्ट मीटर लगे हैं और तीन करोड़ स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगने हैं, जिनकी लागत लगभग 25 हजार करोड़ है, के आर्डर जारी हो चुके हैं. कुछ माह बाद मीटर लगने शुरू हो जाएंगे. स्मार्ट प्रीपेड मीटर में कम्युनिकेशन के लिए किसी भी मोबाइल की तरह सिमकार्ड लगता है. मॉडम लगता है और इसके बाद ऑटोमेटिक तरीके से काम करना शुरू करता है. इससे यह बात साबित हुई कि टेलीकॉम से संबंधित नेटवर्किंग के सभी उपाय जरूरी होते हैं जो भारत सरकार ने किए हैं. भारत सरकार संचार मंत्रालय के सचिव डॉ. नीरज मित्तल ने केंद्रीय ऊर्जा सचिव पंकज अग्रवाल को पत्र लिखकर कहा है कि स्मार्ट इलेक्ट्रिसिटी मीटर, मॉडेम, आईओटी गेट वे ट्रैकिंग डिवाइस, राउटर, लाइन, स्विच, फाइबर केबल सहित लगने वाले सभी टेलीकॉम नेटवर्किंग से संबंधित टेलीकॉम प्रोडक्ट की एक जनवरी 2024 से मैंडेटरी टेस्टिंग एंड सर्टिफिकेशन ऑफ टेलीकॉम इक्विपमेंट कराना अनिवार्य होगा. सभी स्मार्ट मीटर कंपनियां जिन भी मीटर निर्माता कंपनियों से मीटर लेकर उपभोक्ताओं के परिसर पर लगाएंगी सबसे पहले उनको डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशन से मैंडेटरी टेस्टिंग कराना होगा. इस संबंध में ऊर्जा मंत्रालय साइबर सिक्योरिटी डिवीजन की तरफ से आदेश जारी कर दिया गया है.

उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा

उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि 'स्मार्ट मीटर कंपनियां घटिया क्वालिटी के मीटर बना रही हैं. कमीशन के चक्कर में चाइनीज मॉडम डिवाइस चिप लगाकर सस्ते दर पर स्मार्ट मीटर का टेंडर लेने वाले बिचौलिया उद्योगपतियों को को देती हैं. इसका खामियाज प्रदेश की जनता को भुगतना पड़ता है. अब जब सभी मीटर निर्माता कंपनियों को अपने टेलीकॉम प्रोडक्ट की टेस्टिंग कराना पडे़गा तब खुलासा हो जाएगा कि स्मार्ट मीटर निर्माता कंपनी ने मीटर के अंदर लगने वाली चिप और मॉडेम को चीनी या घटिया क्वालिटी का खरीद कर तो नहीं लगाया. उनका कहना है कि इससे निकलने वाली जो रेडिएशन है उससे उपभोक्ताओं पर बुरा प्रभाव पड़ता है. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पिछले दिनों जब मौसम खराब था बिजली चमकी तो हजारों स्मार्ट मीटर बंद हो गए थे. ऐसे में यह तय हो गया कि इसकी रेडिएशन बहुत ही शक्तिशाली है, क्योंकि बिजली चमकने से मोबाइल तो नहीं बंद हुए थे. उसमें भी रेडिएशन निकलती है इसलिए स्मार्ट मीटर से निकलने वाली रेडिएशन का प्रतिकूल प्रभाव आम जनता पर न पड़े, भारत सरकार ऊर्जा मंत्रालय और टेलीकम्युनिकेशन ने ये महत्वपूर्ण निर्णय लिया है. एक जनवरी 2024 से सर्टिफिकेशन किए जाने का अनिवार्य रूप से आदेश जारी किया गया है.

यह भी पढ़ें : बिजली कड़कने से बंद हो गए हजारों स्मार्ट मीटर, उपभोक्ताओं ने लगाया संगीन आरोप

यह भी पढ़ें : Electricity Department : अब स्मार्ट मीटरों की तेज रफ्तार को जांचेंगे पुराने चेक मीटर, केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय ने लगाई मुहर

लखनऊ : अभी कुछ दिन पहले लखनऊ समेत उत्तर प्रदेश के हजारों उपभोक्ताओं के स्मार्ट मीटर बिजली गिरने से बंद हो गए थे. उनके घर की बत्ती गुल हो गई थी. इससे यह सवाल खड़े हुए कि बिजली गिरने से भला स्मार्ट मीटर कैसे बंद हो सकते हैं. इसे लेकर जब चर्चाएं शुरू हुईं तो इस तरफ भी ध्यान गया कि मोबाइल फोन की तरह ही स्मार्ट मीटर में भी सिम कार्ड लगता है. दूर संचार कंपनियों से जांच करानी चाहिए कि क्या मोबाइल फोन की तरह स्मार्ट मीटर से भी खतरनाक तरंगें निकलती हैं जो बिजली को अपनी तरफ आकर्षित करती हैं? जब इस पर अध्ययन किया गया तो सामने आया कि यह संभव है. लिहाजा, अब टेलीकम्युनिकेशन डिपार्टमेंट ने निर्देश दिए हैं कि सभी बिजली कंपनियों को स्मार्ट मीटर लगाने से पहले इसकी टेस्टिंग करना अनिवार्य होगा. जब टेलीकम्युनिकेशन डिपार्मेंट सर्टिफिकेट देगा तभी बिजली कंपनियां उपभोक्ताओं के घर पर स्मार्ट मीटर लगा सकेंगी.


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उत्तर प्रदेश में 12 लाख स्मार्ट मीटर लगे हैं और तीन करोड़ स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगने हैं, जिनकी लागत लगभग 25 हजार करोड़ है, के आर्डर जारी हो चुके हैं. कुछ माह बाद मीटर लगने शुरू हो जाएंगे. स्मार्ट प्रीपेड मीटर में कम्युनिकेशन के लिए किसी भी मोबाइल की तरह सिमकार्ड लगता है. मॉडम लगता है और इसके बाद ऑटोमेटिक तरीके से काम करना शुरू करता है. इससे यह बात साबित हुई कि टेलीकॉम से संबंधित नेटवर्किंग के सभी उपाय जरूरी होते हैं जो भारत सरकार ने किए हैं. भारत सरकार संचार मंत्रालय के सचिव डॉ. नीरज मित्तल ने केंद्रीय ऊर्जा सचिव पंकज अग्रवाल को पत्र लिखकर कहा है कि स्मार्ट इलेक्ट्रिसिटी मीटर, मॉडेम, आईओटी गेट वे ट्रैकिंग डिवाइस, राउटर, लाइन, स्विच, फाइबर केबल सहित लगने वाले सभी टेलीकॉम नेटवर्किंग से संबंधित टेलीकॉम प्रोडक्ट की एक जनवरी 2024 से मैंडेटरी टेस्टिंग एंड सर्टिफिकेशन ऑफ टेलीकॉम इक्विपमेंट कराना अनिवार्य होगा. सभी स्मार्ट मीटर कंपनियां जिन भी मीटर निर्माता कंपनियों से मीटर लेकर उपभोक्ताओं के परिसर पर लगाएंगी सबसे पहले उनको डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशन से मैंडेटरी टेस्टिंग कराना होगा. इस संबंध में ऊर्जा मंत्रालय साइबर सिक्योरिटी डिवीजन की तरफ से आदेश जारी कर दिया गया है.

उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा

उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि 'स्मार्ट मीटर कंपनियां घटिया क्वालिटी के मीटर बना रही हैं. कमीशन के चक्कर में चाइनीज मॉडम डिवाइस चिप लगाकर सस्ते दर पर स्मार्ट मीटर का टेंडर लेने वाले बिचौलिया उद्योगपतियों को को देती हैं. इसका खामियाज प्रदेश की जनता को भुगतना पड़ता है. अब जब सभी मीटर निर्माता कंपनियों को अपने टेलीकॉम प्रोडक्ट की टेस्टिंग कराना पडे़गा तब खुलासा हो जाएगा कि स्मार्ट मीटर निर्माता कंपनी ने मीटर के अंदर लगने वाली चिप और मॉडेम को चीनी या घटिया क्वालिटी का खरीद कर तो नहीं लगाया. उनका कहना है कि इससे निकलने वाली जो रेडिएशन है उससे उपभोक्ताओं पर बुरा प्रभाव पड़ता है. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पिछले दिनों जब मौसम खराब था बिजली चमकी तो हजारों स्मार्ट मीटर बंद हो गए थे. ऐसे में यह तय हो गया कि इसकी रेडिएशन बहुत ही शक्तिशाली है, क्योंकि बिजली चमकने से मोबाइल तो नहीं बंद हुए थे. उसमें भी रेडिएशन निकलती है इसलिए स्मार्ट मीटर से निकलने वाली रेडिएशन का प्रतिकूल प्रभाव आम जनता पर न पड़े, भारत सरकार ऊर्जा मंत्रालय और टेलीकम्युनिकेशन ने ये महत्वपूर्ण निर्णय लिया है. एक जनवरी 2024 से सर्टिफिकेशन किए जाने का अनिवार्य रूप से आदेश जारी किया गया है.

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