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बृजभूषण शरण सिंह का विवादों से है पुराना नाता

भाजपा के बाहुबली और बहुचर्चित सांसद बृजभूषण शरण सिंह पहलवानों के यौन उत्पीड़न मामले में घिर चुके हैं. एफआईआर दर्ज हो चुकी है, लेकिन मुकदमे दर्ज होना और विवादों में रहना बृजभूषण शरण सिंह के लिए नई बात नहीं है. बड़बोलेपन और बेबाक अंदाज के साथ राजनीतिक रसूख की धनी बृजभूषण शरण सिंह पर पढ़ें यूपी के ब्यूरो चीफ आलोक त्रिपाठी का विश्लेषण.

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Published : May 1, 2023, 8:12 AM IST

लखनऊ : गोंडा की कर्नलगंज सीट से भारतीय जनता पार्टी के बहुचर्चित सांसद बृजभूषण शरण सिंह पर दिल्ली पुलिस ने यौन उत्पीड़न के दो मामले दर्ज किए हैं. यह मामले साक्षी मलिक और विनेश फोगाट समेत अन्य पहलवानों द्वारा गंभीर आरोप लगाए जाने के बाद दर्ज किए गए. इन आरोपों के बाद रविवार को बृजभूषण को कुश्ती संघ के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देना पड़ा. दबंग छवि वाले नेता बृजभूषण शरण सिंह का विवादों से पुराना नाता है. पिछले दिनों वह बाबा रामदेव को लेकर खासे विवादों में रहे. उन्होंने कई बार सार्वजनिक मंचों से पतंजलि के उत्पादों पर हमला किया. खास तौर पर उन्होंने पतंजलि के घी को नकली बताते हुए रामदेव पर कई आरोप लगाए. मौका पड़ने पर बृजभूषण शरण सिंह कई बार पार्टी को भी ताक पर रख चुके हैं. इतने गंभीर आरोप लगने के बाद क्या भारतीय जनता पार्टी 2024 के चुनाव में इन्हें अपना प्रत्याशी बनाएगी? यह सवाल सियासी हलकों में चर्चा का विषय बना हुआ है.

बृजभूषण शरण सिंह का विवादों से है पुराना नाता.
बृजभूषण शरण सिंह का विवादों से है पुराना नाता.
भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह कई बार साक्षात्कार में अपने संघर्ष की गाथा खुद बता चुके हैं. वह एक गरीब घर में पैदा हुए और आज अकूत संपत्ति के मालिक हैं. राजनीति की शुरुआत उन्होंने छात्र जीवन से ही की थी और दबंग छवि के कारण वह आगे बढ़ते चले गए. अयोध्या की विवादित ढांचा विध्वंस में भी इनका नाम शामिल था. हालांकि वर्ष 2020 में कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया. इनके खिलाफ आज भी कई मुकदमे दर्ज हैं. बृजभूषण शरण सिंह को शिक्षा के क्षेत्र में भी दबंगई के लिए जाना जाता है. गोंडा, अयोध्या, बहराइच और बस्ती सहित आसपास के कुछ अन्य जिलों में इनके कई कॉलेज हैं. इन कॉलेजों में कई बार नकल कराने को लेकर विवाद भी हुए हैं. यहां तक कि नकल विरोधी दस्ते पर हमले की भी वारदातें हुईं. जिसके बाद एक डर बैठ गया कि बृजभूषण के कॉलेजों से दूर ही रहा जाए तो अच्छा है. भाजपा सांसद पर वर्ष 1996 में दाऊद इब्राहिम के सहयोगियों को शरण देने जैसा गंभीर आरोप लगा. इस मामले में उन्हें जेल भी जाना पड़ा था. ब्रज भूषण शरण सिंह जमीनों की खरीद-फरोख्त के अलावा कई अन्य व्यवसायों से भी जुड़े हुए हैं. खनन और शराब ठेकों में भी इनका खासा दखल है. विद्यालयों के साथ सांसद तमाम अखाड़ों का भी संचालन करते हैं. जहां इनके लिए काम करने वाले चेलों की फौज तैयार होती है.
बृजभूषण शरण सिंह का विवादों से है पुराना नाता.
बृजभूषण शरण सिंह का विवादों से है पुराना नाता.
बृजभूषण के राजनीतिक सफर की बात करें तो वर्ष 1989 में वह भाजपा में आए और अपनी राजनीतिक सक्रियता बढ़ाई. वर्ष 1991 में उन्हें लोकसभा सीट के लिए प्रत्याशी बनाया गया और उन्होंने जीत दर्ज की. इसके बाद उनकी जीत का जो सिलसिला शुरू हुआ वह थमा नहीं. 1999, 2004, 2009, 2014, 2019 के लोकसभा चुनाव में बृजभूषण जीतते रहे. 2009 को छोड़कर वह लगातार भारतीय जनता पार्टी के सांसद बने. वर्ष 2009 में भाजपा से उनका कुछ विवाद हो गया था जिसके बाद उन्होंने सपा की सदस्यता ली और कैसरगंज सीट से लोकसभा चुनाव जीत कर आए. वर्ष 1996 में जब बृजभूषण शरण सिंह दाऊद के सहयोगियों की मदद करने के आरोप में टाडा के तहत जेल में बंद थे तो भाजपा ने उनकी पत्नी केतकी सिंह को गोंडा संसदीय सीट से अपना प्रत्याशी बनाया था. इस चुनाव में केतकी को टक्कर दे रहे थे मनकापुर राजघराने के वारिस आनंद सिंह. केतकी सिंह ने भारी मतों से चुनाव जीत लिया और बृजभूषण शरण सिंह का दबदबा कायम रहा. लगातार जीतने भाजपा सांसद को बड़बोला बना दिया है. वह कई बार पार्टी विरोधी अपने विचार भी सार्वजनिक तौर पर रखते हैं. इसके बावजूद उन पर कार्रवाई नहीं होती. स्वाभाविक है कि एक जिताऊ नेता को पार्टी खोना नहीं चाहती. एक बार इसी बड़बोलेपन के कारण किसी साक्षात्कार में उन्होंने हत्या की बात भी कबूली थी. कहने को तो बृजभूषण के खिलाफ अनेक किस्से और घटनाएं हैं, पर अब यह देखना रोचक हो गया है कि भाजपा आगामी चुनाव में इन्हें लेकर क्या रुख अपनाती है.
बृजभूषण शरण सिंह का विवादों से है पुराना नाता.
बृजभूषण शरण सिंह का विवादों से है पुराना नाता.
राजनीतिक विश्लेषक डॉ. आलोक कुमार कहते हैं कि इस वक्त जो माहौल बना है, उसमें सभी दल खुद को आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों से दूरी बनाए रखने वाला दल साबित करना चाहेंगे. मुख्तार अंसारी और अतीक अहमद को लेकर इन दिनों मीडिया में रोज सुर्खियां बन रही हैं. यदि 2024 के चुनाव पहले तक अपराधियों के खिलाफ ऐसा ही माहौल बना रहा तो भारतीय जनता पार्टी के लिए बृजभूषण शरण सिंह को टिकट दे पाना कठिन होगा. अभी यह भी देखना बाकी है कि भाजपा सांसद पर पहलवानों ने यौन शोषण जैसे जो आरोप लगाए हैं, उनमें पुलिस जांच के बाद क्या निकल कर आता है. यदि पुलिस जांच में एक भी आरोप सही साबित हुआ तो निश्चित रूप से यह बृजभूषण के लिए कठिन दौर की शुरुआत होगी. हालांकि उनके लिए कई अन्य दलों के दरवाजे खुले हुए हैं. चूंकि उनमें जीत दिलाने का मादा है, इसलिए अन्य दल आसानी से उन्हें अपना लेंगे. यदि जांच में कुछ खास निकल कर नहीं आया, तो भाजपा में भी उनकी जगह पक्की ही है.

यह भी पढ़ें : लखनऊ से चलेगी तीसरी भारत गौरव यात्रा ट्रेन, आईआरसीटीसी ने बनाया टूर प्लान

लखनऊ : गोंडा की कर्नलगंज सीट से भारतीय जनता पार्टी के बहुचर्चित सांसद बृजभूषण शरण सिंह पर दिल्ली पुलिस ने यौन उत्पीड़न के दो मामले दर्ज किए हैं. यह मामले साक्षी मलिक और विनेश फोगाट समेत अन्य पहलवानों द्वारा गंभीर आरोप लगाए जाने के बाद दर्ज किए गए. इन आरोपों के बाद रविवार को बृजभूषण को कुश्ती संघ के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देना पड़ा. दबंग छवि वाले नेता बृजभूषण शरण सिंह का विवादों से पुराना नाता है. पिछले दिनों वह बाबा रामदेव को लेकर खासे विवादों में रहे. उन्होंने कई बार सार्वजनिक मंचों से पतंजलि के उत्पादों पर हमला किया. खास तौर पर उन्होंने पतंजलि के घी को नकली बताते हुए रामदेव पर कई आरोप लगाए. मौका पड़ने पर बृजभूषण शरण सिंह कई बार पार्टी को भी ताक पर रख चुके हैं. इतने गंभीर आरोप लगने के बाद क्या भारतीय जनता पार्टी 2024 के चुनाव में इन्हें अपना प्रत्याशी बनाएगी? यह सवाल सियासी हलकों में चर्चा का विषय बना हुआ है.

बृजभूषण शरण सिंह का विवादों से है पुराना नाता.
बृजभूषण शरण सिंह का विवादों से है पुराना नाता.
भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह कई बार साक्षात्कार में अपने संघर्ष की गाथा खुद बता चुके हैं. वह एक गरीब घर में पैदा हुए और आज अकूत संपत्ति के मालिक हैं. राजनीति की शुरुआत उन्होंने छात्र जीवन से ही की थी और दबंग छवि के कारण वह आगे बढ़ते चले गए. अयोध्या की विवादित ढांचा विध्वंस में भी इनका नाम शामिल था. हालांकि वर्ष 2020 में कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया. इनके खिलाफ आज भी कई मुकदमे दर्ज हैं. बृजभूषण शरण सिंह को शिक्षा के क्षेत्र में भी दबंगई के लिए जाना जाता है. गोंडा, अयोध्या, बहराइच और बस्ती सहित आसपास के कुछ अन्य जिलों में इनके कई कॉलेज हैं. इन कॉलेजों में कई बार नकल कराने को लेकर विवाद भी हुए हैं. यहां तक कि नकल विरोधी दस्ते पर हमले की भी वारदातें हुईं. जिसके बाद एक डर बैठ गया कि बृजभूषण के कॉलेजों से दूर ही रहा जाए तो अच्छा है. भाजपा सांसद पर वर्ष 1996 में दाऊद इब्राहिम के सहयोगियों को शरण देने जैसा गंभीर आरोप लगा. इस मामले में उन्हें जेल भी जाना पड़ा था. ब्रज भूषण शरण सिंह जमीनों की खरीद-फरोख्त के अलावा कई अन्य व्यवसायों से भी जुड़े हुए हैं. खनन और शराब ठेकों में भी इनका खासा दखल है. विद्यालयों के साथ सांसद तमाम अखाड़ों का भी संचालन करते हैं. जहां इनके लिए काम करने वाले चेलों की फौज तैयार होती है.
बृजभूषण शरण सिंह का विवादों से है पुराना नाता.
बृजभूषण शरण सिंह का विवादों से है पुराना नाता.
बृजभूषण के राजनीतिक सफर की बात करें तो वर्ष 1989 में वह भाजपा में आए और अपनी राजनीतिक सक्रियता बढ़ाई. वर्ष 1991 में उन्हें लोकसभा सीट के लिए प्रत्याशी बनाया गया और उन्होंने जीत दर्ज की. इसके बाद उनकी जीत का जो सिलसिला शुरू हुआ वह थमा नहीं. 1999, 2004, 2009, 2014, 2019 के लोकसभा चुनाव में बृजभूषण जीतते रहे. 2009 को छोड़कर वह लगातार भारतीय जनता पार्टी के सांसद बने. वर्ष 2009 में भाजपा से उनका कुछ विवाद हो गया था जिसके बाद उन्होंने सपा की सदस्यता ली और कैसरगंज सीट से लोकसभा चुनाव जीत कर आए. वर्ष 1996 में जब बृजभूषण शरण सिंह दाऊद के सहयोगियों की मदद करने के आरोप में टाडा के तहत जेल में बंद थे तो भाजपा ने उनकी पत्नी केतकी सिंह को गोंडा संसदीय सीट से अपना प्रत्याशी बनाया था. इस चुनाव में केतकी को टक्कर दे रहे थे मनकापुर राजघराने के वारिस आनंद सिंह. केतकी सिंह ने भारी मतों से चुनाव जीत लिया और बृजभूषण शरण सिंह का दबदबा कायम रहा. लगातार जीतने भाजपा सांसद को बड़बोला बना दिया है. वह कई बार पार्टी विरोधी अपने विचार भी सार्वजनिक तौर पर रखते हैं. इसके बावजूद उन पर कार्रवाई नहीं होती. स्वाभाविक है कि एक जिताऊ नेता को पार्टी खोना नहीं चाहती. एक बार इसी बड़बोलेपन के कारण किसी साक्षात्कार में उन्होंने हत्या की बात भी कबूली थी. कहने को तो बृजभूषण के खिलाफ अनेक किस्से और घटनाएं हैं, पर अब यह देखना रोचक हो गया है कि भाजपा आगामी चुनाव में इन्हें लेकर क्या रुख अपनाती है.
बृजभूषण शरण सिंह का विवादों से है पुराना नाता.
बृजभूषण शरण सिंह का विवादों से है पुराना नाता.
राजनीतिक विश्लेषक डॉ. आलोक कुमार कहते हैं कि इस वक्त जो माहौल बना है, उसमें सभी दल खुद को आपराधिक प्रवृत्ति के लोगों से दूरी बनाए रखने वाला दल साबित करना चाहेंगे. मुख्तार अंसारी और अतीक अहमद को लेकर इन दिनों मीडिया में रोज सुर्खियां बन रही हैं. यदि 2024 के चुनाव पहले तक अपराधियों के खिलाफ ऐसा ही माहौल बना रहा तो भारतीय जनता पार्टी के लिए बृजभूषण शरण सिंह को टिकट दे पाना कठिन होगा. अभी यह भी देखना बाकी है कि भाजपा सांसद पर पहलवानों ने यौन शोषण जैसे जो आरोप लगाए हैं, उनमें पुलिस जांच के बाद क्या निकल कर आता है. यदि पुलिस जांच में एक भी आरोप सही साबित हुआ तो निश्चित रूप से यह बृजभूषण के लिए कठिन दौर की शुरुआत होगी. हालांकि उनके लिए कई अन्य दलों के दरवाजे खुले हुए हैं. चूंकि उनमें जीत दिलाने का मादा है, इसलिए अन्य दल आसानी से उन्हें अपना लेंगे. यदि जांच में कुछ खास निकल कर नहीं आया, तो भाजपा में भी उनकी जगह पक्की ही है.

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