लखनऊ : सत्र 2023-24 के लिए समाज कल्याण विभाग से मिलने वाली स्कॉलरशिप से पहले सभी कॉलेजों को अपने फीस का डाटा लखनऊ विश्वविद्यालय से वेरीफाई करवाना होगा. इसके लिए विश्वविद्यालय ने सभी संबद्ध 545 डिग्री कॉलेज को 31 दिसंबर तक हर हाल में अपनी फीस के डाटा को विषय वार अप्रूव करने को कहा है. विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से सभी डिग्री कॉलेज को भेजे गए निर्देश में कहा है कि 'स्कॉलरशिप फॉर्म भरने की प्रक्रिया चल रही है. ऐसे में कॉलेज को इस बार नए नियम के अनुसार, फीस अप्रूवल करना अनिवार्य किया गया है. जो भी कॉलेज फीस अप्रूवल नहीं करेंगे उन्हें बाद में फीस को लेकर किसी भी तरह की गड़बड़ी होने पर उनकी जिम्मेदारी तय की जाएगी.'
विभाग ने सभी विश्वविद्यालय को दे दी है जिम्मेदारी : समाज कल्याण विभाग की ओर से मिलने वाली स्कॉलरशिप में इस बार नोडल संस्थाओं को ही फीस वेरीफाई करने की जिम्मेदारी दी गई है. ऐसे में लखनऊ विश्वविद्यालय ने सभी 545 डिग्री कॉलेज को आदेश जारी कर कहा है कि वह अपने सभी कोर्सों में ली जाने वाली फीस को विश्वविद्यालय से प्रमाणित करा लें. इसके बाद जो भी फीस कॉलेज वसूल करेगा उसके लिए वह खुद ही जिम्मेदार होगा. जिन कॉलेजों की फीस वेरीफाई नहीं होगी उन्हें विश्वविद्यालय की ओर से स्कॉलरशिप के लिए अनुमोदन प्रदान नहीं किया जाएगा. ज्ञात हो कि स्कॉलरशिप के लिए आवेदन की प्रक्रिया चल रही है. ऐसे में कुल सचिव लखनऊ विश्वविद्यालय डॉ. विनोद कुमार सिंह की ओर से सभी कॉलेजों को प्रक्रिया समाप्त होने से पहले अपने-अपने कॉलेज में संचालित विषयों की फीस लखनऊ विश्वविद्यालय से प्रमाणित करने को कहा है.
कुलसचिव बोले : लखनऊ विश्वविद्यालय कुलसचिव विनोद कुमार सिंह ने बताया कि 'समाज कल्याण विभाग ने इस बार से फीस वेरीफाई करने की जिम्मेदारी सभी नोडल संस्थाओं को दे दी गई है. बीते वर्ष तक कॉलेज स्कॉलरशिप के लिए फीस दूसरी भरवाते थे और कॉलेज में फीस दूसरी लेते थे. ऐसे में कई बार जब विश्वविद्यालय में उनके आवेदन को वेरीफाई किया जाता था तो कई गलतियां सामने आईं थीं. इस समस्या को दूर करने के लिए इस सत्र से कॉलेज को वेरिफिकेशन की प्रक्रिया शुरू होने से पहले फीस अप्रूवल करने को कहा गया है. जिससे लखनऊ विश्वविद्यालय को यह पता हो सके की कॉलेज में अपने आप संचालित कोर्स में अधिकतम कितनी फीस ली है. समाज कल्याण विभाग के नियम के अनुसार, किसी भी कॉलेज की फीस अगर अधिक लगती है तो विभाग विश्वविद्यालय के उस कोर्स के रेगुलर फीस के बराबर ही स्कॉलरशिप की पूर्ति करता है. ऐसे में कई बार छात्र आरोप लगाते हैं कि उनसे फीस कुछ और ली गई और स्कॉलरशिप कुछ और आई है. बाद में कॉलेज छात्रों के ऊपर शेष बची फीस को जमा करने का दबाव बनाते हैं.'
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