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लखनऊ: बदलते मौसम में बच्चे आ रहे 'कोल्ड डायरिया' की चपेट में, ऐसे करें बचाव

उत्तर प्रदेश के लखनऊ में ईटीवी भारत ने बाल रोग विशेषज्ञ से बातचीत की. इस दौरान बच्चों में सबसे ज्यादा हो रही बीमारी कोल्ड डायरिया के बारे में बातचीत हुई. डॉक्टर का कहना है कि ठंड में भी बच्चों को सही मात्रा में पानी देने की काफी आवश्यकता होती है.

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Published : Jan 3, 2020, 1:19 PM IST

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डॉ. सलमान खान, बाल रोग विशेषज्ञ.

लखनऊ: मौसम में तेजी से बदलाव देखने को मिल रहा है. सर्दियों में जहां पारा लगातार गिरता जा रहा है, वहीं इस मौसम की चपेट में बच्चे से लेकर बड़े भी आ रहे हैं. बढ़ती ठंड में बच्चों में 'कोल्ड डायरिया' के मामले तेजी से बढ़ते नजर आ रहे हैं. इसके बारे में ईटीवी भारत ने बाल रोग विशेषज्ञ से बातचीत की.

बच्चों में फैल रही कोल्ड डायरिया बीमारी.
बच्चों में तेजी से फैल रहा कोल्ड डायरिया वीरांगना अवंती बाई महिला चिकित्सालय (डफरिन अस्पताल) के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. सलमान खान कहते हैं कि सर्दियों में बच्चों की इम्युनिटी थोड़ी अधिक कमजोर हो जाती है. ऐसे में उन्हें कई बीमारियां घेर लेती हैं. आजकल जो छोटे बच्चों में सबसे परेशानी वाली बीमारी सामने आ रही है वह है कोल्ड डायरिया. खास बात यह है कि इस बीमारी से बच्चे की जान नहीं जाती.

कोल्ड डायरिया है नॉर्मल
डॉ. सलमान बताते हैं कि कोल्ड डायरिया नॉर्मल डायरिया के जैसी ही बीमारी है. हालांकि सर्दियों में आमतौर पर सर्दी, जुखाम और खांसी की परेशानी होने के साथ-साथ बच्चों को डायरिया भी जकड़ता जा रहा है. इस वजह से इसका नाम कोल्ड डायरिया रखा गया है. यह बीमारी 6 महीने से लेकर 5 साल तक के बच्चों में अधिक देखी जा रही है.

बच्चों को एंटी-बायोटिक दवाइयां न दें
कोल्ड डायरिया के लक्षणों में अभिभावक डॉक्टरों को सामान्य तौर पर सर्दी, खांसी, जुखाम के साथ दस्त होने की शिकायत बता रहे हैं. डॉ. सलमान कहते हैं कि खास बात जो अभिभावकों को जाननी चाहिए, वह यह है कि जब भी ऐसी कुछ लक्षण सामने देखें या दस्त हो रहे हों, तो बच्चों को कभी भी एंटीबायोटिक दवाइयां न दी जाए. एंटीबायोटिक से बच्चों की इम्यूनिटी और अधिक कमजोर होने लगती है.

ठंड में भी बच्चों को हो सकता है डिहाइड्रेशन
कोल्ड डायरिया से निपटने के बारे में डॉक्टर सलमान की मानें तो वह कहते हैं कि बच्चों को सर्दियों में भी डिहाइड्रेशन से बचाना बेहद जरूरी होता है. ग्रोइंग ऐज में भी बच्चों को पानी की आवश्यकता सर्दियों में भी होती है. कोल्ड डायरिया और सर्दी एक साथ होती है, इसलिए बच्चे को प्यास नहीं लगती और मां-बाप भी पानी पिलाना जरूरी नहीं समझते. ऐसे में डिहाइड्रेशन की वजह से इस बीमारी से बच्चों की जान पर बन आती है.

बच्चों की डाइट में शामिल करें पतला खाना
6 महीने से अधिक के बच्चे जो बाहर का खाना शुरू कर चुके होते हैं, उनके लिए डॉक्टर सलमान कहते हैं कि घर में बन रहे पतले खाने को बच्चों की डाइट में शामिल करना चाहिए. जैसे कि पतली दाल, ओआरएस का घोल, गर्म पानी, दही, खिचड़ी जैसी चीजें बच्चे को खिलाई जा सकती हैं. आंकड़ों की बात की जाए तो अस्पतालों में लगभग 150 बच्चों की ओपीडी में 10% केस कोल्ड डायरिया के सामने आ रहे हैं.

एहतियात बरतने से बीमारियों से बचा जा सकता है
विशेषज्ञों की मानें तो सिर्फ कुछ एहतियात बरतकर ही बदलते मौसम में कोल्ड डायरिया समेत तमाम छोटी-मोटी बीमारियों से बच्चों को बचाया जा सकता है. हालांकि इस बात का ध्यान रखना बेहद जरूरी है कि किसी भी तरह की भ्रम की स्थिति या भ्रांतियों पर आंख मूंदकर विश्वास न किया जाए.

इसे भी पढ़ें- तिलहन पैदावार में यूपी को पीएम मोदी ने दिया कृषि कर्मण पुरस्कार

लखनऊ: मौसम में तेजी से बदलाव देखने को मिल रहा है. सर्दियों में जहां पारा लगातार गिरता जा रहा है, वहीं इस मौसम की चपेट में बच्चे से लेकर बड़े भी आ रहे हैं. बढ़ती ठंड में बच्चों में 'कोल्ड डायरिया' के मामले तेजी से बढ़ते नजर आ रहे हैं. इसके बारे में ईटीवी भारत ने बाल रोग विशेषज्ञ से बातचीत की.

बच्चों में फैल रही कोल्ड डायरिया बीमारी.
बच्चों में तेजी से फैल रहा कोल्ड डायरिया वीरांगना अवंती बाई महिला चिकित्सालय (डफरिन अस्पताल) के बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. सलमान खान कहते हैं कि सर्दियों में बच्चों की इम्युनिटी थोड़ी अधिक कमजोर हो जाती है. ऐसे में उन्हें कई बीमारियां घेर लेती हैं. आजकल जो छोटे बच्चों में सबसे परेशानी वाली बीमारी सामने आ रही है वह है कोल्ड डायरिया. खास बात यह है कि इस बीमारी से बच्चे की जान नहीं जाती.

कोल्ड डायरिया है नॉर्मल
डॉ. सलमान बताते हैं कि कोल्ड डायरिया नॉर्मल डायरिया के जैसी ही बीमारी है. हालांकि सर्दियों में आमतौर पर सर्दी, जुखाम और खांसी की परेशानी होने के साथ-साथ बच्चों को डायरिया भी जकड़ता जा रहा है. इस वजह से इसका नाम कोल्ड डायरिया रखा गया है. यह बीमारी 6 महीने से लेकर 5 साल तक के बच्चों में अधिक देखी जा रही है.

बच्चों को एंटी-बायोटिक दवाइयां न दें
कोल्ड डायरिया के लक्षणों में अभिभावक डॉक्टरों को सामान्य तौर पर सर्दी, खांसी, जुखाम के साथ दस्त होने की शिकायत बता रहे हैं. डॉ. सलमान कहते हैं कि खास बात जो अभिभावकों को जाननी चाहिए, वह यह है कि जब भी ऐसी कुछ लक्षण सामने देखें या दस्त हो रहे हों, तो बच्चों को कभी भी एंटीबायोटिक दवाइयां न दी जाए. एंटीबायोटिक से बच्चों की इम्यूनिटी और अधिक कमजोर होने लगती है.

ठंड में भी बच्चों को हो सकता है डिहाइड्रेशन
कोल्ड डायरिया से निपटने के बारे में डॉक्टर सलमान की मानें तो वह कहते हैं कि बच्चों को सर्दियों में भी डिहाइड्रेशन से बचाना बेहद जरूरी होता है. ग्रोइंग ऐज में भी बच्चों को पानी की आवश्यकता सर्दियों में भी होती है. कोल्ड डायरिया और सर्दी एक साथ होती है, इसलिए बच्चे को प्यास नहीं लगती और मां-बाप भी पानी पिलाना जरूरी नहीं समझते. ऐसे में डिहाइड्रेशन की वजह से इस बीमारी से बच्चों की जान पर बन आती है.

बच्चों की डाइट में शामिल करें पतला खाना
6 महीने से अधिक के बच्चे जो बाहर का खाना शुरू कर चुके होते हैं, उनके लिए डॉक्टर सलमान कहते हैं कि घर में बन रहे पतले खाने को बच्चों की डाइट में शामिल करना चाहिए. जैसे कि पतली दाल, ओआरएस का घोल, गर्म पानी, दही, खिचड़ी जैसी चीजें बच्चे को खिलाई जा सकती हैं. आंकड़ों की बात की जाए तो अस्पतालों में लगभग 150 बच्चों की ओपीडी में 10% केस कोल्ड डायरिया के सामने आ रहे हैं.

एहतियात बरतने से बीमारियों से बचा जा सकता है
विशेषज्ञों की मानें तो सिर्फ कुछ एहतियात बरतकर ही बदलते मौसम में कोल्ड डायरिया समेत तमाम छोटी-मोटी बीमारियों से बच्चों को बचाया जा सकता है. हालांकि इस बात का ध्यान रखना बेहद जरूरी है कि किसी भी तरह की भ्रम की स्थिति या भ्रांतियों पर आंख मूंदकर विश्वास न किया जाए.

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Intro:
लखनऊ। मौसम तेजी से अपने रंग बदलता जा रहा है। सर्दियों में जहां पारा लगातार गिरता जा रहा है वहीं इस मौसम की चपेट में बच्चे से लेकर बड़े भी आ रहे हैं। बढ़ती ठंड में बच्चों में 'कोल्ड डायरिया' के मामले तेजी से बढ़ते नजर आ रहे हैं इसके बारे में ईटीवी भारत में बाल रोग विशेषज्ञ से बातचीत की।


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वीरांगना अवंती बाई महिला चिकित्सालय (डफरिन अस्पताल) के बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सलमान खान कहते हैं कि सर्दियों में बच्चों की इम्युनिटी थोड़ी अधिक कमजोर हो जाती है और ऐसे में उन्हें कई बीमारियां घेर लेती हैं। आजकल जो छोटे बच्चों में सबसे परेशानी वाली बीमारी सामने आ रही है वह है कोल्ड डायरिया। खास बात यह है कि इस बीमारी से बच्चे की जान नहीं जाती लेकिन कुछ भ्रम की स्थिति होने की वजह से सीवियर केसेस में बच्चे हमारे पास आते हैं।

डॉ सलमान बताते हैं कि कोल्ड डायरिया नॉर्मल डायरिया के जैसी ही बीमारी है। लेकिन सर्दियों में आमतौर पर सर्दी जुखाम और खांसी की परेशानी होने के साथ-साथ बच्चों को डायरिया भी जकड़ता जा रहा है इस वजह से इसका नाम कोल्ड डायरिया रखा गया है। फिर आलिया बीमारी 6 महीने से लेकर 5 साल तक के बच्चों में अधिक देखी जा रही है।

कोल्ड डायरिया के लक्षणों में अभिभावक डॉक्टरों को सामान्य तौर पर सर्दी खांसी जुखाम के साथ दस्त होने की शिकायत बता रहे हैं सलमान कहते हैं कि खास बात जो अभिभावकों को जानी चाहिए वह यह है कि जब भी ऐसी कुछ लक्षण सामने देखें या दस्त हो रहे हो तो बच्चों को कभी भी एंटीबायोटिक दवाइयां न दी जाए क्योंकि इससे उनके इम्यूनिटी और अधिक कमजोर होने लगती है।

कोल्ड डायरिया से निपटने के बारे में डॉक्टर सलमान की मानें तो वह कहते हैं कि बच्चों को सर्दियों में भी डिहाइड्रेशन से बचाना बेहद जरूरी होता है। ग्रोइंग एज में भी बच्चों को पानी की आवश्यकता सर्दियों में भी होती है। क्योंकि कोल्ड डायरिया और सर्दियां एक साथ होती है इसलिए बच्चे को प्यास नहीं लगती और मां-बाप भी पानी पिलाना जरूरी नहीं समझते। ऐसे में डिहाइड्रेशन की वजह से इस बीमारी से बच्चों की जान पर बन आती है।

6 महीने से अधिक के बच्चे जो बाहर का खाना शुरू कर चुके होते हैं उनके लिए डॉक्टर सलमान कहते हैं कि घर में बन रहे पतले खाने को बच्चों के डाइट में शामिल करना चाहिए जैसे कि पतली दालें, ओ आर एस का घोल, गर्म पानी, दही, खिचड़ी आदि चीजें बच्चे को खिलाई जा सकती हैं।

आंकड़ों की बात की जाए तो अस्पतालों में लगभग 150 बच्चों की ओपीडी में 10% केस कोल्ड डायरिया के सामने आ रहे हैं।


Conclusion:विशेषज्ञों की मानें तो सिर्फ कुछ एहतियात बरतकर ही बदलते मौसम में कोल्ड डायरिया समेत तमाम छोटी-मोटी बीमारियों से बच्चों को बचाया जा सकता है। हालांकि इस बात का ध्यान रखना बेहद जरूरी है कि किसी भी तरह की भ्रम की स्थिति या भ्रांतियों पर आंख मूंदकर विश्वास न किया जाए।

बाइट- डॉ सलमान खान, बाल रोग विशेषज्ञ, डफरिन अस्पताल

पीटीसी- रामांशी मिश्रा

रामांशी मिश्रा
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