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लॉकडाउन का असर: काम न मिलने से भुखमरी की कगार पर मोची

लॉकडाउन का असर सभी लोगों पर देखने को मिल रहा है. ऐसे में रेहड़ी, पटरी और फुटपाथ पर दुकान लगाने वाले लोगों के सामने खाने की समस्या उत्पन्न हो गई है.

cobblers reached brink of starvation due to coronavirus epidemic in lucknow
जुगाड़ी लाल से बातचीत करते ईटीवी भारत संवाददाता.
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Published : May 11, 2020, 7:01 PM IST

लखनऊ: लॉकडाउन का असर हर वर्ग के लोगों पर दिख रहा है. ऐसे में रेहड़ी, पटरी और फुटपाथ पर दुकान लगाकर अपना परिवार चलाने वाले लोगों पर इसका सीधा असर देखने को मिला है. सड़क किनारे लोगों के जूतों-चपल्लों की सिलाई करने और पॉलिश करने वाले मोची जुगाड़ी लाल से ईटीवी भारत की टीम ने बात की. इस दौरान उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के कारण अब उनका परिवार और वह भुखमरी की कगार पर आ गए हैं.

जुगाड़ी लाल से बातचीत करते ईटीवी भारत संवाददाता.

जुगाड़ी लाल के परिवार में पत्नी, दो बेटी और एक बेटा है. जुगाड़ी लाल के परिवार के सामने आज खाने का संकट खड़ा हो गया है. ऐसे में परिवार का पेट भरने के लिए बीमारी से जूझ रहे जुगाड़ी लाल लॉकडाउन के बीच ही धूप में लोगों का इंतजार कर रहे हैं, जिससे उन्हें कुछ पैसे मिले और वह अपना पिरवार चला सकें.

सरकार से नहीं मिली कोई मदद
उन्होंने बताया कि सरकार से अभी तक कोई मदद नहीं मिली है. वह अब भुखमरी की कगार पर आ गए हैं. करें भी तो क्या करें. लॉकडाउन से पहले मोची जुगाड़ी लाल प्रतिदिन करीब 300 से 350 रुपये तक कमा लिया करते थे, लेकिन आज 60 से 70 रुपये इकट्ठा कर पाते हैं. मोची जुगाड़ी लाल ने बताया कि उनका स्वास्थ्य पिछले काफी समय से ठीक नहीं चल रहा है. लॉकडाउन से पहले वह डेढ़ महीने बीमार थे और दवा चल रही है, जिसके चलते उन्हें बैठने में तकलीफ होती है.

इसे भी पढ़ें-'लेबर रिफार्म कानून' लाएगी योगी सरकार, गांव-कस्बे में ही दिया जाएगा रोजगार

लखनऊ: लॉकडाउन का असर हर वर्ग के लोगों पर दिख रहा है. ऐसे में रेहड़ी, पटरी और फुटपाथ पर दुकान लगाकर अपना परिवार चलाने वाले लोगों पर इसका सीधा असर देखने को मिला है. सड़क किनारे लोगों के जूतों-चपल्लों की सिलाई करने और पॉलिश करने वाले मोची जुगाड़ी लाल से ईटीवी भारत की टीम ने बात की. इस दौरान उन्होंने बताया कि लॉकडाउन के कारण अब उनका परिवार और वह भुखमरी की कगार पर आ गए हैं.

जुगाड़ी लाल से बातचीत करते ईटीवी भारत संवाददाता.

जुगाड़ी लाल के परिवार में पत्नी, दो बेटी और एक बेटा है. जुगाड़ी लाल के परिवार के सामने आज खाने का संकट खड़ा हो गया है. ऐसे में परिवार का पेट भरने के लिए बीमारी से जूझ रहे जुगाड़ी लाल लॉकडाउन के बीच ही धूप में लोगों का इंतजार कर रहे हैं, जिससे उन्हें कुछ पैसे मिले और वह अपना पिरवार चला सकें.

सरकार से नहीं मिली कोई मदद
उन्होंने बताया कि सरकार से अभी तक कोई मदद नहीं मिली है. वह अब भुखमरी की कगार पर आ गए हैं. करें भी तो क्या करें. लॉकडाउन से पहले मोची जुगाड़ी लाल प्रतिदिन करीब 300 से 350 रुपये तक कमा लिया करते थे, लेकिन आज 60 से 70 रुपये इकट्ठा कर पाते हैं. मोची जुगाड़ी लाल ने बताया कि उनका स्वास्थ्य पिछले काफी समय से ठीक नहीं चल रहा है. लॉकडाउन से पहले वह डेढ़ महीने बीमार थे और दवा चल रही है, जिसके चलते उन्हें बैठने में तकलीफ होती है.

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