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जियाउल हत्याकांड, अभियुक्त मंजीत यादव को जमानत पर रिहा करने का आदेश

हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच (Lucknow Bench of the High Court) ने प्रतापगढ़ के कुंडा में वर्ष 2013 में हुए, सीओ जियाउल हक हत्याकांड मामले के एक अभियुक्त मंजीत यादव की जमानत याचिका मंजूर कर ली है. न्यायालय ने अभियुक्त के नौ साल से जेल में रहने के आधार पर यह आदेश दिया है.

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Published : Nov 30, 2022, 8:34 PM IST

लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच (Lucknow Bench of the High Court) ने प्रतापगढ़ के कुंडा में वर्ष 2013 में हुए, सीओ जियाउल हक हत्याकांड मामले के एक अभियुक्त मंजीत यादव की जमानत याचिका मंजूर कर ली है. न्यायालय ने अभियुक्त के नौ साल से जेल में रहने के आधार पर यह आदेश दिया है.

यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की एकल पीठ ने मंजीत यादव की जमानत याचिका पर पारित किया. याची की ओर से दलील दी गई कि 2 मार्च 2013 को सीओ जियाउल हक की प्रतापगढ़ के हथिगवां थाना क्षेत्र अंतर्गत हत्या कर दी गई थी. अभियुक्त पर जियाउल को हाकी से मारने का आरोप है. कहा गया कि मामले में एक अन्य अभियुक्त की पहले ही जमानत हो चुकी है. यह भी दलील दी गई कि मामले का ट्रायल अब भी चल रहा है व अभियुक्त साढ़े नौ साल से अधिक समय से जेल में है, मामले में बचाव पक्ष के गवाहों का बयान दर्ज होना शेष है, वहीं सीबीआई की ओर से जमानत याचिका का विरोध किया गया. कहा गया कि सीओ जियाउल को बहुत ही निर्ममता से मारने का आरोप अभियुक्त पर है, उसके पास से खून लगी हॉकी भी बरामद की गई थी. यह भी दलील दी गई कि अभियुक्तों द्वारा बचाव पक्ष के कई गवाहों की सूची दी गई है ताकि ट्रायल में देरी हो सके. हालांकि न्यायालय ने कहा कि अभियुक्त के जेल में निरुद्धि के लम्बे समय को देखते हुए, उसकी जमानत याचिका मंजूर की जाती है.

लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच (Lucknow Bench of the High Court) ने प्रतापगढ़ के कुंडा में वर्ष 2013 में हुए, सीओ जियाउल हक हत्याकांड मामले के एक अभियुक्त मंजीत यादव की जमानत याचिका मंजूर कर ली है. न्यायालय ने अभियुक्त के नौ साल से जेल में रहने के आधार पर यह आदेश दिया है.

यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की एकल पीठ ने मंजीत यादव की जमानत याचिका पर पारित किया. याची की ओर से दलील दी गई कि 2 मार्च 2013 को सीओ जियाउल हक की प्रतापगढ़ के हथिगवां थाना क्षेत्र अंतर्गत हत्या कर दी गई थी. अभियुक्त पर जियाउल को हाकी से मारने का आरोप है. कहा गया कि मामले में एक अन्य अभियुक्त की पहले ही जमानत हो चुकी है. यह भी दलील दी गई कि मामले का ट्रायल अब भी चल रहा है व अभियुक्त साढ़े नौ साल से अधिक समय से जेल में है, मामले में बचाव पक्ष के गवाहों का बयान दर्ज होना शेष है, वहीं सीबीआई की ओर से जमानत याचिका का विरोध किया गया. कहा गया कि सीओ जियाउल को बहुत ही निर्ममता से मारने का आरोप अभियुक्त पर है, उसके पास से खून लगी हॉकी भी बरामद की गई थी. यह भी दलील दी गई कि अभियुक्तों द्वारा बचाव पक्ष के कई गवाहों की सूची दी गई है ताकि ट्रायल में देरी हो सके. हालांकि न्यायालय ने कहा कि अभियुक्त के जेल में निरुद्धि के लम्बे समय को देखते हुए, उसकी जमानत याचिका मंजूर की जाती है.

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