लखनऊ : उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने गर्भ में पल रहे शिशु के लिंग की जांच करने वाले अल्ट्रासाउंड सेंटरों पर शिकंजा कसने के निर्देश दिए हैं. गैरकानूनी जांच करने वाले अल्ट्रासाउंड सेंटरों पर सख्ती के लिए मुखबिर योजना को प्रभावी बनाने को भी कहा है. डिप्टी सीएम ने बताया कि नेशनल हेल्थ मिशन (एनएचएम) के तहत मुखबिर योजना के लिए पर्याप्त बजट जारी किया गया है. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी इसमें किसी भी तरह की लापरवाही न बरतें. लिंग की जांच करने वाले सेंटरों का पता बताने वालों को मुखबिर योजना के तहत आर्थिक लाभ दिया जाए.
शनिवार को उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने प्रदेश के सभी 75 जिलों के सीएमओ से गर्भस्थ शिशु के लिंग की जांच करने वाले अल्ट्रासाउंड सेंटरों के बारे में चर्चा की. उन्होंने सीएमओ को ऐसे सेंटरों पर शिकंजा कसने और मुखबिर योजना को प्रभावी तरीके से लागू करने के निर्देश भी दिए. उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि मुखबिर योजना प्रभावी तरीके से लागू नहीं हो पा रही है. अधिकारी इसे गंभीरता से लें.उन्होंने कहा कि अल्ट्रासाउंड का इस्तेमाल बीमारी का पता लगाने के लिए किया जाना चाहिए. गर्भास्थ शिशु के लिंग की पहचान करना अपराध है. ऐसा करने वालों के खिलाफ ठोस कार्रवाई की जाये.
बता दें कि गर्भस्थ शिशु की लिंग जांच करने वाले अल्ट्रासाउंड सेंटरों के खिलाफ कार्रवाई के लिए स्वास्थ्य विभाग ने मुखबिर स्कीम शुरू की थी. ऐसे सेंटरों के बारे में सही जानकारी देने वालों को 60 हजार रुपये देने का प्रावधान किया गया था. नकली ग्राहक बनकर खुलासा करने वाले को एक लाख रुपये और उसके सहायक को 40 हजार रुपये की धनराशि पुरस्कार के रूप में तीन किश्तों में देने का प्रावधान है. डिप्टी सीएम ने सीएमओ को निर्देश दिए हैं कि निरीक्षण के समय यदि अल्ट्रासाउंड सेंटरों में नियमों की अनदेखी मिलती है तो वहां मौजूद सभी मशीनों को सील कर सुबूतों को मूल रूप में जब्त किया जाए.
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