लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को कहा कि आज सरकारी योजनाओं के लाभार्थी को जितना रुपया मिलना चाहिए उसमें से एक भी रुपया कम हुए बिना सीधे उसके अकाउंट में पहुंचता है. वरना पिछली सरकारों में वह भी वक्त था जब लाभार्थी के हिस्से का रुपया लोगों की जेब में पहुंच जाता था और वही रुपया अब जेसीबी लगाकर दीवारों से निकालना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि आरसीसी की दीवारों के भीतर से रुपया मिल रहा है. सीएम ने कहा कि हमको तो कभी-कभी यह भी लगता है कि कहीं डायनामाइट लगाकर रुपया ना निकलवा पड़े.
योगी आदित्यनाथ ने यह बातें मंगलवार को लोक भवन में नगर विकास विभाग की 38 सौ करोड़ रुपए की परियोजनाओं के शिलान्यास और लोकार्पण समारोह में बतौर मुख्य अतिथि कहीं. इस मौके पर प्रधानमंत्री आवास के लाभार्थियों को 500 करोड़ रूपया सीधे उनके अकाउंट में डीबीटी के माध्यम से भेज दिया गया. नगरीय विकास की अनेक परियोजनाएं जो कि अलग-अलग नगरों में संचालित की जा रही हैं, उनका लोकार्पण और शिलान्यास भी किया गया.
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इस मौके पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि पीएम की मंशा देश की अर्थव्यवस्था पांच ट्रिलियन करना है. जिसमें यूपी की अहम भूमिका है. उन्होंने कहा अर्थव्यवस्था में नगरीय विकास अहम है. पिछले पौने पांच साल में तीन नगर निगम, तीन नगर पालिका बनाई गई हैं. प्रदेश में वर्तमान में 734 नगर निकाय हैं, जिनमें पिछले पौने पांच साल में बुनियादी सुविधाएं बढ़ी हैं.
सीएम योगी ने आलोचकों पर कटाक्ष करते हुए कहा कि लोग स्वच्छता मिशन का मजाक उड़ाते थे. आज दुनिया ने सफाई के इस मिशन को सराहा है. सीएम ने कहा आज आप देख सकते हैं, नगरीय इलाकों में वक्त बदला है, गोंडा भी साफ हुआ है. वह देश में सफाई के मामले में आखिरी नम्बर पर था. आज देश में 100 स्मार्ट सिटी हैं. 10 स्मार्ट सिटी का तमगा केंद्र ने हमको दिया है. हम अपने खर्च पर सात अन्य स्मार्ट सिटी बना रहे हैं. उन्होंने कहा इंटीग्रेटेड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम चल रहा है, प्रयागराज कुम्भ में हमने इसका उपयोग किया है. जिससे आज जाम समाप्त हो रहा है, जीवन स्तर सुधर रहा है.
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सीएम योगी ने कहा कि प्रदेश में सबसे अधिक शहरों में मेट्रो चलाई जा रही हैं, इलेक्ट्रिक बसें भी शुरू की जा रही है. सात शहरों में इलेक्ट्रिक बस डिपो बनाए जा रहे हैं. यह परिवर्तन इसलिए हुआ क्योंकि सभी योजनाएं सबके लिए होती हैं. पहले जो आवास की योजना थी वह लाभार्थी को नहीं मिलता था, आज जेसीबी लगाकर रुपया उन्हीं घरों से निकाला जा रहा है. मुझे तो लग रहा था कहीं डाइनामाइट न लगाना पड़े.