लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को अपने सरकारी आवास पर पूर्व सिविल सेवा अधिकारी मंच और संकल्प फाउण्डेशन ट्रस्ट के संयुक्त आयोजन ‘वार्षिक व्याख्यान माला' को सम्बोधित किया. उन्होंने वर्चुअल माध्यम से आयोजित कार्यक्रम के दौरान ‘संस्कृति, प्रशासन और अध्यात्म’ विषय पर अपने विचार व्यक्त किए. इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि सिविल सेवा के अधिकारी यदि देश और समाज के प्रति अपना फोकस बढ़ाएंगे तो उसके सुपरिणाम देखने को मिलेंगे. उन्होंने कहा कि सिविल सेवकों को जनता के प्रति संवेदनशीलता बरतने के साथ-साथ अनुशासन का पालन करना चाहिए.
'सिविल सेवकों को आमजन के लिए करना चाहिए काम'
मुख्यमंत्री ने कहा कि सिविल सर्विसेज में आने वाले लोगों के पास कार्यपालिका की शक्तियां होती हैं. ऐसे में उन्हें संतुलित व्यवहार करने की आवश्यकता होती है. उन्हें स्वयं को प्रलोभनों से बचाना चाहिए. सिविल सेवकों को आम जनता की समस्याओं का समाधान करते हुए उनसे जुड़ना चाहिए. उन्हें जनता के बीच अच्छी छवि बनाते हुए संवेदनशील प्रशासक बनना चाहिए. प्रशासनिक अधिकारियों को अपने कैरियर की शुरुआत सकारात्मकता से करनी चाहिए. उन्हें भारतीय मूल्यों को समझते हुए अपनी सोच में अध्यात्म का समावेश करना चाहिए.
'अध्यात्म व्यक्ति को सकारात्मक ऊर्जा से परिपूर्ण करता है'
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि मनुष्य सृष्टि का सर्वश्रेष्ठ आध्यात्मिक जीव है. अध्यात्म व्यक्ति को सकारात्मक ऊर्जा से परिपूर्ण करता है. सकारात्मकता स्पष्ट दिशा देती है, जिससे लक्ष्य तय करने में कोई सन्देह नहीं रहता. उन्होंने कहा कि आदि गुरु शंकराचार्य आध्यात्मिक सोच का उत्कृष्ट उदाहरण हैं. भिक्षा भारत की परम्परा का दिव्य गुण है. इससे भिक्षा देने वाले और भिक्षा लेने वाले, दोनों का अहंकार समाप्त होता है. प्रशासनिक अधिकारियों के मन में यह भाव आना चाहिए कि वे जनता की सेवा के लिए हैं. अधिकारियों को फिजूलखर्ची से भी बचना चाहिए. उन्होंने कहा कि आत्मा जीवन्त भाव है और राम राज्य आदर्श व्यवस्था है.
'गांधी जी का स्वप्न था राम राज्य'
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रशासन का मूल नैतिकता, सेवा, त्याग, संवेदना, करुणा, संवेदनशीलता और अनासक्ति जैसे भारतीय मूल्य बोध हैं. विवेकानन्द प्रतिभा विकास न्यास द्वारा संचालित स्वयंसेवी संस्था ‘संकल्प’ प्रतिभाशाली युवाओं में ऐसे ही मूल्यबोध विकसित करने का प्रयास कर रही है. उन्होंने कहा कि गांधी जी का स्वप्न था- भारत में राम राज्य की स्थापना. भारत के संविधान में भी इसका उल्लेख है. राम राज्य में तीनों प्रकार के ताप-आध्यात्मिक, अधिदैविक और अधिभौतिक का उन्मूलन उल्लिखित है.
'राम और कृष्ण से सीख लेकर करें कार्य'
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि भगवान श्रीराम जनता की भावनाओं के प्रति अति संवेदनशील थे. समाज के कमजोर वर्ग के व्यक्ति के विचारों को ध्यान में रख जीवन में सबसे प्रिय व्यक्ति का त्याग किया. भगवान श्रीराम और भगवान श्रीकृष्ण के जीवन की विशेषता अनासक्ति का भाव है. उन्होंने कभी भी राज्य, पद, सुविधाओं और सम्बन्धों, किसी के प्रति मोह नहीं किया. शासकीय व्यवस्था में श्रीकृष्ण के निष्काम भाव को लागू करने से लोगों का उद्धार किया जा सकता है. हमारी संस्कृति हमेशा निष्काम कर्म की प्रेरणा देती है. यह राम राज्य की संकल्पना पर आधारित है.
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'सिविल सेवक निष्काम भाव से अपने दायित्वों का करें निर्वहन'
मुख्यमंत्री ने कहा कि सिविल सेवक यदि अपने दायित्वों का निर्वाह निष्काम भाव से करता है तो कोई भी उस पर प्रश्नचिह्न नहीं लगा सकता है. ऐसे सिविल सेवक जनविश्वास का प्रतीक बनते हैं. उन्होंने कहा कि सिविल सेवकों को सरकारी योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू करना होता है. ऐसे में निष्काम भाव अत्यन्त आवश्यक है. सभी सिविल सेवकों को शासन की लोक कल्याणकारी योजनाओं को जनता तक पहुंचाने के सार्थक प्रयास करने चाहिए.