लखनऊ: भारत रत्न और प्रख्यात शहनाई वादक बिस्मिल्लाह खान (Ustad Bismillah Khan) की शनिवार को पुण्यतिथि (Death Anniversary) मनाई जा रही है. दुनियाभर के मंचों पर शहनाई को पहुंचाने का श्रेय उनके हिस्से में जाता है. सीएम योगी (cm yogi) ने ट्वीट कर 'भारत रत्न' से सम्मानित महान शहनाई वादक उस्ताद बिस्मिल्लाह खान (Bismillah Khan) की पुण्यतिथि पर उन्हें सादर श्रद्धांजलि दी. सीएम योगी ने कहा कि महान शहनाई वादक उस्ताद बिस्मिल्लाह खान (Ustad Bismillah Khan) की शहनाई से निकले सुमधुर स्वर, संगीत प्रेमियों की स्मृतियों में सदैव जीवंत रहेंगे.
21 अगस्त 2006 को भारत रत्न से सम्मानित महान शहनाई वादक उस्ताद बिस्मिल्लाह खान (Ustad Bismillah Khan) इस दुनिया को अलविदा कह गए थे, उनकी मौत पर सरकार ने राष्ट्रीय शोक घोषित किया था. वाराणसी में जब उनको सुपुर्द ए खाक किया गया, तो उनकी एक शहनाई भी उन्हीं के साथ दफन की गई थी और भारतीय सेना द्वारा 21 गन सैल्यूट के राजकीय सम्मान के साथ उनको अंतिम विदाई दी गई थी.
बिस्मिल्लाह खान के 3 बेटे और 5 बेटियां थीं, फिर भी उन्होंने एक लड़की को अपनी बेटी मान लिया था, जो आज शास्त्रीय गायिका सोमा घोष के तौर पर जानी जाती हैं. सोमा भी बनारस से थीं, एक कंसर्ट में उन्होंने बिस्मिल्लाह खान को आमंत्रित किया था, वहां वो उनकी गायकी सुनकर दंग रह गए. इससे उन्हें अपनी फेवरेट रसूलन बाई की याद आ गई, तब से वो उन्हें बेटी मानने लगे और सोमा उन्हें 'बाबा'.
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उस्ताद बिस्मिल्लाह खान (Ustad Bismillah Khan) की आखिरी इच्छा मरते दम तक पूरी नहीं हो पाई थी. लाल किले से लेकर ब्रिटेन की महारानी के दरबार तक में शहनाई बजा चुके बिस्मिल्लाह खान की बड़ी ख्वाहिश थी कि वो एक दिन इंडिया गेट पर शहनाई बजाएं और इसका एक खास मकसद था, वो शहीदों को अपनी शहनाई के जरिए श्रद्धांजलि देना चाहते थे.
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भारतीय शास्त्रीय संगीत के युगपुरुष, शहनाई के जादूगर भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खान (Ustad Bismillah Khan) देश के सबसे सम्मानित संगीत व्यक्तित्वों में एक रहे हैं. बिहार के एक छोटे-से कस्बे डुमरांव में जन्मे खान साहब की हर सांस शहनाई के सुरों को समर्पित थी. वे बनारस को अपनी कर्मभूमि बनाकर जीवन भर संगीत में मुक्ति की तलाश करते रहे.
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