लखनऊ: जनसंघ के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उन्हें श्रद्धांजलि दी है. सीएम योगी ने कहा कि 'एक देश में दो विधान, दो प्रधान और दो निशान नहीं चलेंगे' का नारा देने और देश की एकता और अखंडता के लिए अपने प्राणों का उत्सर्ग करने वाले डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस पर विनम्र श्रद्धांजलि देता हूं.
डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने भी दी श्रद्धांजलि
यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस पर श्रद्धांजलि दी है. उन्होंने कहा कि 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर पर लगा अनुच्छेद-370 का दंश हमेशा के लिए मिट गया. जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने करीब चार दशक पहले ही इस सपने को देखा था कि "एक विधान, एक निशान और एक प्रधान" के लिए ही उन्होंने बालिदान दिया.
डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा ने दी श्रद्धांजलि
यूपी के डिप्टी सीएम डॉ. दिनेश शर्मा ने डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस पर श्रद्धांजलि दी है. उन्होंने कहा कि प्रखर राष्ट्रवादी विचारक, महान शिक्षाविद्, भारतीय जनसंघ के संस्थापक और अंत्योदय को देश की प्रगति का आधार मानने वाले डॉ. श्यामा प्रसाद मुख़र्जी के बलिदान दिवस पर उनके चरणों मे कोटि-कोटि वंदन.
यूपी बीजेपी के प्रदेश स्वतंत्र देव सिंह ने दी श्रद्धांजलि
यूपी बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह ने डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस पर श्रद्धांजलि दी है. उन्होंने कहा कि आजादी के बाद देश की एकता और अखंडता के लिए प्रथम बलिदानी योद्धा एवं भारतीय जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी के बलिदान दिवस पर शत-शत नमन. मां भारती के मुकुट के लिए दिया गया प्राणों का बलिदान यह राष्ट्र और यह संगठन कभी क्षण भर के लिए भी विस्मृत नहीं कर सकेगा.
जानिए श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बारे में-
डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्म छह जुलाई 1901 को कलकत्ता के एक संभ्रांत परिवार में हुआ था. उनके पिता का नाम आशुतोष मुखर्जी था, जो बंगाल में एक शिक्षाविद् और बुद्धिजीवी के रूप में जाने जाते थे. कलकत्ता विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन करने के बाद 1926 में सीनेट के सदस्य बने. साल 1927 में उन्होंने बैरिस्टरी की परीक्षा पास की. 33 साल की उम्र में कलकत्ता यूनिवर्सिटी के कुलपति बने थे. चार साल के कार्यकाल के बाद वो कलकत्ता विधानसभा पहुंचे.
रहस्यमय परिस्थितियों में हुई थी मौत
डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्म 6 जुलाई 1901 को कलकत्ता (अब कोलकाता) में हुआ था. उनके पिता का नाम आशुतोष मुखर्जी था, जो बंगाल में एक शिक्षाविद और बुद्धिजीवी के रूप में जाने जाते थे. मुखर्जी 33 साल की उम्र में कलकत्ता यूनिवर्सिटी के कुलपति बने थे. चार साल के कार्यकाल के बाद वो कलकत्ता विधानसभा पहुंचे. वे चाहते थे कि कश्मीर में जाने के लिए किसी को अनुमति न लेनी पड़े. 1953 में आठ मई को वो बिना अनुमति के दिल्ली से कश्मीर के लिए निकल पड़े. जहां उन्हें जम्मू-कश्मीर की तत्कालीन शेख अब्दुल्ला सरकार ने गिरफ्तार कर लिया था. इसी दौरान रहस्यमय परिस्थितियों में उनकी मौत हो गई. भारतीय जनता पार्टी इस दिन को "बलिदान दिवस" के रूप में मनाती है.
बनारस से गहरा नाता
राष्ट्रीय जनसंघ के संस्थापक अध्यक्ष श्यामा प्रसाद मुखर्जी का काशी से गहरा नाता था. वे महामना पं. मदन मोहन मालवीय के बेहद करीबी थे. अक्सर काशी यात्रा के दौरान उनकी मुलाकात भी महामना से होती थी. बीएचयू में उन्हें एक बार कार्यवाहक वीसी का प्रस्ताव मिला, लेकिन वे आ नहीं पाए. बीएचयू के रजत जयंती समारोह में 1942 में श्यामा प्रसाद ने शिरकत की थी.