लखनऊ: बीजेपी आज अपने नेता डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की 120वीं जयंती मना रही है. इस मौके पर सीएम योगी ने श्यामा प्रसाद मुखर्जी को श्रद्धाजंलि दी है. सीएम योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट कर कहा कि माँ भारती के अमर सपूत, भारत की एकता, अस्मिता व अखंडता हेतु अपने प्राणों का बलिदान देने वाले प्रखर राष्ट्रवादी राजनेता व विचारक, महान शिक्षाविद्, जनसंघ के संस्थापक अध्यक्ष तथा हमारे पथ प्रदर्शक श्रद्धेय डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी की जयंती पर उनकी पावन स्मृतियों को कोटिशः नमन. सामाजिक न्याय के पुरोधा, शोषितों और वंचितों के उत्थान हेतु आजीवन समर्पित, प्रख्यात स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बाबू जगजीवन राम जी को उनकी पुण्यतिथि पर विनम्र श्रद्धांजलि. आधुनिक भारत के निर्माण में आपका अविस्मरणीय योगदान हम सभी को सदैव प्रेरित करता रहेगा. इसके साथ ही डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने भी डॉ. श्याम प्रसाद मुखर्जी को श्रद्धांजलि दी है.
जनसंघ के संस्थापक थे श्यामा प्रसाद मुखर्जी
आपको बता दें कि, डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने 1951 में जनसंघ की स्थापना की थी. जो आगे चलकर वर्ष 1980 में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) बनी. 1951 में जनसंघ का चुनाव निशान जलता हुआ दीपक हुआ करता था.
जम्मू-कश्मीर में धारा 370 का विरोध किया था विरोध
श्यामा प्रसाद मुखर्जी पहले शख्स थे, जिन्होंने जम्मू-कश्मीर में धारा 370 का विरोध किया था और इस कारण वे जेल गए थे. श्याम प्रसाद मुखर्जी का मानना था कि धारा 370 देश की अखंडता को धक्का लगेगा और ये देश की एकता में बाधक होगा. दरअसल, उस समय जम्मू-कश्मीर जाने के लिए लोगों को परमिट लेना होता था. जिसका विरोध करते हुए डॉ. श्याम प्रसाद मुखर्जी कश्मीर पहुंचे, जहां उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. जहां 23 जून 1953 को महज 51 साल की उम्र में संदिग्ध परिस्थिति में जेल में उनकी मृत्यु हो गई.
बंगाल के प्रतिष्ठित परिवार में हुआ था जन्म
डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्म 6 जुलाई 1901 को वर्तमान कोलकाता (तत्कालीन कलकत्ता) में बंगाल के उच्च प्रतिष्ठित परिवार में हुआ था. उनके पिता सर आशुतोष मुखर्जी एक बड़े शिक्षाविद और बैरिस्टर थे. उन्हें बंगाल का बाघ कहा जाता था. डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की माता जोगमाया देवी भी उस समय की सबसे विदुषी महिलाओं में शामिल थीं.
33 साल की उम्र में बने कलकत्ता यूनिवर्सिटी के कुलपति
अपने पिता की तरह श्यामा प्रसाद मुखर्जी को भी लॉ की पढ़ाई के लिए विदेश भेजा गया. 23 साल की उम्र में उन्होंने लॉ की डिग्री पास की और इसके बाद एमए बंगाली से किया. साथ ही उन्होंने इंग्लिश से भी अन्य डिग्री भी हासिल की. सिर्फ 33 साल की उम्र में वे कलकत्ता यूनिवर्सिटी के सबसे युवा कुलपति बने. डॉ. श्याम प्रसाद मुखर्जी का का ये रिकॉर्ड आज तक कोई नहीं तोड़ पाया है.
1929 में बने बंगाल विधानसभा के सदस्य
1929 में श्यामा प्रसाद मुखर्जी पहली बार कांग्रेस सदस्य के रूप में बंगाल विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए, लेकिन अगले ही साल कांग्रेस से असहमति होने पर स्वतंत्र चुनाव लड़ने का फैसला किया और चुनाव भी जीत गए. इसके बाद वे बंगाल में फैजुल हक की गठबंधन सरकार का हिस्सा बने.
हिन्दू महासभा के बने अध्यक्ष
इसके बाद डॉ. श्याम प्रसाद मुखर्जी 1942 में बंगाल हिन्दू महासभा के अध्यक्ष बनाए गए. इसके बाद वे अखिल भारतीय हिन्दू महासभा के अध्यक्ष बने. यहीं से हिन्दुत्व के प्रति उनकी आस्था और मजबूत हुई. कहा जाता है कि हिन्दुत्व की राजनीति का वर्तमान स्वरूप की शुरुआत इसी मोड़ से हुई.
जनसंघ की स्थापना
1951 में श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने आरएसस प्रमुख एमएस गोवलकर के परमार्श पर भारतीय जनसंघ की स्थापना की. इस पार्टी का उद्येश्य सभी हिन्दुओं को सांस्कृतिक रूप से एकजुट कर उनमें राजनीतिक और राष्ट्रवादी भावनाओं का बीज बोना था.
पंडित नेहरू की अंतरिम सरकार में थे मंत्री
देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने आजादी के बाद बनी अंतरिम सरकार में डॉ. श्याम प्रसाद मुखर्जी को उद्योग एवं आपूर्ति मंत्री के रूप में शामिल किया था. लेकिन पंडित नेहरू और पाकिस्तान के तत्कालीन प्रधानमंत्री लियाकत अली के बीच हुए समझौते के बाद उन्होंने मंत्रिमंडल से त्यागपत्र दे दिया था. इसके बाद उन्होंने 1951 जनसंघ की स्थापना. जनसंघ ने देश में हुए पहले आम चुनाव में तीन सीटें जीती थीं.