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सीएम योगी के 'इन्वेस्ट यूपी मिशन' को फ्लॉप करने में जुटे अधिकारी, इन्वेस्टर्स के फोन नहीं उठाते अफसर

यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ड्रीम प्रोजेक्ट 'इन्वेस्ट यूपी मिशन' को अधिकारियों की लालफीताशाही फ्लॉप करने में जुटी हुई है. सरकार की तरफ से दी जा रही सहूलियत और बेहतर कानून व्यवस्था के दावों के बीच जब इन्वेस्टर यूपी की तरफ रुख कर रहे हैं और एमओयू साइन कर रहे हैं. ऐसे समय औद्योगिक विकास से जुड़े हुए संबंधित विभागों के अधिकारी इन्वेस्टर्स के फोन नहीं उठा रहे हैं. इससे परेशान इन्वेस्टर अब इसकी शिकायत सीएम योगी से करने की सोच रहे हैं.

सीएम योगी के इन्वेस्ट यूपी मिशन को फ्लॉप करने में जुटे अधिकारी.
सीएम योगी के इन्वेस्ट यूपी मिशन को फ्लॉप करने में जुटे अधिकारी.
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Published : Sep 27, 2020, 5:39 PM IST

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के रहने वाले और पश्चिम बंगाल के कारोबारी रामसनेही शर्मा ने 2018 की इन्वेस्टर समिट में उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले में 970 करोड़ रुपये की एक यार्न मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगाने के लिए एमओयू किया था. इसमें करीब 2200 लोगों को रोजगार दिया जाना था. वहीं कारोबारी शर्मा राज्य सरकार के स्तर पर आयोजित की गई इन्वेस्टर सम्मिट की चकाचौंध देखकर चकित रह गए थे. उन्हें लगा था कि उत्तर प्रदेश में निवेश का अच्छा मौका सरकार की तरफ से मुहैया कराया जा रहा है. तमाम तरह की सुविधाओं की बातें की जा रही हैं. इन तमाम परिस्थितियों का आकलन करते हुए उन्होंने 35 एकड़ निजी जमीन खरीद ली और जमीन की बाउंड्री करा दी. उसके बाद मशीनों का ऑर्डर दे दिया, लेकिन जब विभागों से सब्सिडी आदि के लिए लिखा पढ़ी शुरू की तो मामला अटक गया. जो आज तक अटका हुआ है.

बिजली विभाग से सब्सिडी की मांग पूरी न होने की वजह से शर्मा की जमीन की बाउंड्री पर किया गया निवेश भी फंस गया है. अब स्थिति यह है कि ऊर्जा विभाग व औद्योगिक विकास विभाग के अधिकारी इन्वेस्टर रामसनेही शर्मा और उनके टीम के मैनजर आदि के फोन नहीं उठाते हैं. स्थिति यह बन गई है कि रामसनेही वर्मा का अब उत्तर प्रदेश में निवेश और उद्योग लगाने का मन पूरी तरह से खराब हो चुका है.

रामसनेही शर्मा के प्रोजेक्ट की मॉनिटरिंग करने वाले उनके टीम के एक मैनेजर बताते हैं कि एमओयू के लंबित प्रोजेक्ट की मॉनिटरिंग का दावा उत्तर प्रदेश सरकार के स्तर पर पूरी तरह से खोखला साबित हो रहा है. जो मॉनिटरिंग के लिए अधिकारी लगाए गए हैं, संबंधित विभागों में वह फोन नहीं उठाते हैं. तमाम तरह की समस्याएं होती हैं. ऐसी स्थिति में हम क्यों फिर उत्तर प्रदेश में निवेश करना चाहेंगे.

दरअसल, यह सिर्फ अकेले रामसनेही शर्मा की बात नहीं है. उत्तर प्रदेश में निवेश के लिए तमाम एमओयू कर चुके उद्यमी परेशानी हैं. विभागों की लापरवाही और परेशान करने वाली कार्यप्रणाली से तमाम निवेशक उत्तर प्रदेश में भटक रहे हैं. किसी इकाई का नक्शा स्वीकृत होने का मामला लंबित है तो कई निवेशक अथॉरिटी द्वारा विवादित जमीन आवंटित किए जाने से भी परेशान हैं.

वहीं निवेशकों को हो रही इस तरह की समस्याओं और कठिनाइयों का खुलासा एमओयू क्रियान्वयन के लिए नामित नोडल अधिकारियों की समीक्षा बैठक में हुआ है. इसके बाद अब यह मामला मुख्यमंत्री के संज्ञान में लाकर संबंधित विभागों के अधिकारियों को दिशा-निर्देश जारी कराए जाएंगे, ताकि एक निर्धारित समय के अंतर्गत निवेशक की समस्याओं को दूर किया जा सके. निवेशकों के मन में किसी भी प्रकार की दुविधा की स्थिति उत्पन्न न होने पाए और उन्हें सुगम माहौल उत्तर प्रदेश में निवेश के लिए मिल सके.

लखनऊ : उत्तर प्रदेश के रहने वाले और पश्चिम बंगाल के कारोबारी रामसनेही शर्मा ने 2018 की इन्वेस्टर समिट में उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले में 970 करोड़ रुपये की एक यार्न मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगाने के लिए एमओयू किया था. इसमें करीब 2200 लोगों को रोजगार दिया जाना था. वहीं कारोबारी शर्मा राज्य सरकार के स्तर पर आयोजित की गई इन्वेस्टर सम्मिट की चकाचौंध देखकर चकित रह गए थे. उन्हें लगा था कि उत्तर प्रदेश में निवेश का अच्छा मौका सरकार की तरफ से मुहैया कराया जा रहा है. तमाम तरह की सुविधाओं की बातें की जा रही हैं. इन तमाम परिस्थितियों का आकलन करते हुए उन्होंने 35 एकड़ निजी जमीन खरीद ली और जमीन की बाउंड्री करा दी. उसके बाद मशीनों का ऑर्डर दे दिया, लेकिन जब विभागों से सब्सिडी आदि के लिए लिखा पढ़ी शुरू की तो मामला अटक गया. जो आज तक अटका हुआ है.

बिजली विभाग से सब्सिडी की मांग पूरी न होने की वजह से शर्मा की जमीन की बाउंड्री पर किया गया निवेश भी फंस गया है. अब स्थिति यह है कि ऊर्जा विभाग व औद्योगिक विकास विभाग के अधिकारी इन्वेस्टर रामसनेही शर्मा और उनके टीम के मैनजर आदि के फोन नहीं उठाते हैं. स्थिति यह बन गई है कि रामसनेही वर्मा का अब उत्तर प्रदेश में निवेश और उद्योग लगाने का मन पूरी तरह से खराब हो चुका है.

रामसनेही शर्मा के प्रोजेक्ट की मॉनिटरिंग करने वाले उनके टीम के एक मैनेजर बताते हैं कि एमओयू के लंबित प्रोजेक्ट की मॉनिटरिंग का दावा उत्तर प्रदेश सरकार के स्तर पर पूरी तरह से खोखला साबित हो रहा है. जो मॉनिटरिंग के लिए अधिकारी लगाए गए हैं, संबंधित विभागों में वह फोन नहीं उठाते हैं. तमाम तरह की समस्याएं होती हैं. ऐसी स्थिति में हम क्यों फिर उत्तर प्रदेश में निवेश करना चाहेंगे.

दरअसल, यह सिर्फ अकेले रामसनेही शर्मा की बात नहीं है. उत्तर प्रदेश में निवेश के लिए तमाम एमओयू कर चुके उद्यमी परेशानी हैं. विभागों की लापरवाही और परेशान करने वाली कार्यप्रणाली से तमाम निवेशक उत्तर प्रदेश में भटक रहे हैं. किसी इकाई का नक्शा स्वीकृत होने का मामला लंबित है तो कई निवेशक अथॉरिटी द्वारा विवादित जमीन आवंटित किए जाने से भी परेशान हैं.

वहीं निवेशकों को हो रही इस तरह की समस्याओं और कठिनाइयों का खुलासा एमओयू क्रियान्वयन के लिए नामित नोडल अधिकारियों की समीक्षा बैठक में हुआ है. इसके बाद अब यह मामला मुख्यमंत्री के संज्ञान में लाकर संबंधित विभागों के अधिकारियों को दिशा-निर्देश जारी कराए जाएंगे, ताकि एक निर्धारित समय के अंतर्गत निवेशक की समस्याओं को दूर किया जा सके. निवेशकों के मन में किसी भी प्रकार की दुविधा की स्थिति उत्पन्न न होने पाए और उन्हें सुगम माहौल उत्तर प्रदेश में निवेश के लिए मिल सके.

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