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सीएम ने बदला ये कानून, अब ग्रामीण भी बनेंगे आत्मनिर्भर

सीएम योगी यूपी में लोगों को रोजगार मुहैया कराने के लिए एक साथ कई मोर्चे पर काम कर रहे हैं. सीएम ने कृषि भूमि को गैर कृषि भूमि घोषित करने के लिए वर्षों से लागू एक अव्यवहारिक कानून को खत्म कर दिया है.

सीएम योगी
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Published : Dec 27, 2020, 6:45 PM IST

लखनऊ: राज्य के युवा ग्रामीण क्षेत्रों में खुद की फैक्ट्री लगाएं और उसमें लोगों को रोजगार दें, इसी सोच के तहत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ राज्य में लोगों को रोजगार मुहैया कराने के लिए एक साथ कई मोर्चे पर काम कर रहे हैं. इसके लिए मुख्यमंत्री युवाओं को उद्यमी बनाने के लिए एक बड़ा अभियान शुरु कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ उन्होंने कृषि भूमि को गैर कृषि भूमि घोषित करने के लिए वर्षों से लागू एक अव्यवहारिक कानून को एक झटके में खत्म कर दिया है. अब प्रदेश में कृषि भूमि को गैर कृषि भूमि घोषित करने के लिए चहारदीवारी की अनिवार्यता खत्म कर दी गई है. यूपी को आत्मनिर्भर बनाने के दिशा में इस कानून के खात्मे को एक बड़ा कदम बताया जा रहा है.

तोड़ दी चहारदीवारी की दीवार
इस एक कानून के खत्म होने से अब राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में बड़ी संख्या में युवा आसानी से अपनी फैक्ट्री स्थापित कर लोगों को रोजगार मुहैया करा सकेंगे. इस कानून के खत्म होने से प्रदेश के औद्योगिकीकरण में तेजी आएगी. ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के लिहाज से भी यह एक सकारात्मक कदम है. बता दें कि मौजूदा वित्तीय वर्ष में सरकार ने 20 लाख MSME इकाइयों को वित्तपोषित करने का लक्ष्य तय किया है. इसे पूरा करने में भी यह नियम अहम रोल निभाएगा.

इस लक्ष्य को पूरा करने के क्रम में 23 दिसंबर को प्रदेश सरकार ने कैबिनेट बाई सर्कुलेशन के जरिए प्रदेश में निवेश को बढ़ावा देने के लिए कृषि भूमि को गैर कृषि भूमि घोषित करने के लिए चहारदीवारी की अनिवार्यता खत्म करने का फैसला लिया है. पूर्व की सरकारों ने उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता की धारा-80 की उपधारा (2) में कृषि जमीन को गैर कृषि घोषित करने के लिए चहारदीवारी की अनिवार्यता बनाए रखी थी. इसके आधार पर साढ़े 12 एकड़ से अधिक जमीन लेने वालों को कृषि की जमीन पर उद्योग लगाने या फिर अन्य व्यवसायिक गतिविधियों के लिए उसका भू-उपयोग परिवर्तन कराने से पहले उस पर चहारदीवारी का निर्माण कराना जरूरी होता था. इसके बाद ही उसका भू-उपयोग बदला जाता था. इस कानून के चलते ग्रामीण इलाकों में उद्यम स्थापित करने में निवेशकों को असुविधा हो रही थी और ग्रामीण क्षेत्रों में लोग अपना उद्यम स्थापित करने में रुचि नहीं ले रहे थे. जिसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने चहारदीवारी का निर्माण करने की अनिवार्यता को खत्म करने का फैसला लिया.

पांच साल के अंदर शुरू करना होगा काम
सरकार ने अब यह शर्त जोड़ी है कि जिस कृषि जमीन को भू-उपयोग में बदला जाएगा वह काम पांच साल के अंदर निवेशक को शुरू करना होगा. राजस्व संहिता संशोधन आदेश जारी होने के बाद छोटे बड़े उद्यमियों को यह सुविधा मिलने लगेगी. सरकार का मत है कि इस फैसले से अब ग्रामीण क्षेत्रों में बड़ी संख्या में छोटे बड़े उद्योग लगेंगे. ग्रामीणों को उनमें रोजगार मिलेगा. इससे MSME सेक्टर को मजबूती मिलेगी. MSME सेक्टर ने ही कोरोना संकट के दौरान बड़ी संख्या में राज्य में लोगों को रोजगार मुहैया कराया है. रिजर्व बैंक द्वारा जारी की गई रिपोर्ट इसका सबूत है.

MSME सेक्टर ने दिए सबसे ज्यादा रोजगार
रिजर्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि MSME से रोजगार देने में यूपी ने कई राज्यों को पछाड़ा है. योगी आदित्यनाथ सरकार में 1.90 करोड़ लोगों को रोजगार के अवसर मुहैया कराए गए. सबसे अधिक रोजगार MSME ने दिए. प्रदेश सरकार के आंकड़ों के अनुसार वर्तमान में MSME सेक्टर में 8,07,537 इकाइयां कार्यरत हैं. इनमें 48,13,401 श्रमिक काम कर रहे थे. कोरोना संकट के दौरान प्रदेश सरकार के प्रयास से 2,57,348 नए श्रमिकों को इस सेक्टर में रोजगार दिया गया है. इसके अलावा सरकार ने प्रदेश के औद्योगिक क्षेत्रों में भूमि आवंटन करने संबंधी कार्रवाई को पारदर्शी बनाया है और 14 जिलों के औद्योगिक क्षेत्रों में भूमि आवंटन के लिए आवेदन मांगे गए हैं. सरकार ने बड़े निवेशकों को औद्योगिक इकाई की स्थापना के लिए पारदर्शी तरीके से भूमि आवंटन की ई -प्रणाली पर भी काम शुरू किया है.

लखनऊ: राज्य के युवा ग्रामीण क्षेत्रों में खुद की फैक्ट्री लगाएं और उसमें लोगों को रोजगार दें, इसी सोच के तहत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ राज्य में लोगों को रोजगार मुहैया कराने के लिए एक साथ कई मोर्चे पर काम कर रहे हैं. इसके लिए मुख्यमंत्री युवाओं को उद्यमी बनाने के लिए एक बड़ा अभियान शुरु कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ उन्होंने कृषि भूमि को गैर कृषि भूमि घोषित करने के लिए वर्षों से लागू एक अव्यवहारिक कानून को एक झटके में खत्म कर दिया है. अब प्रदेश में कृषि भूमि को गैर कृषि भूमि घोषित करने के लिए चहारदीवारी की अनिवार्यता खत्म कर दी गई है. यूपी को आत्मनिर्भर बनाने के दिशा में इस कानून के खात्मे को एक बड़ा कदम बताया जा रहा है.

तोड़ दी चहारदीवारी की दीवार
इस एक कानून के खत्म होने से अब राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में बड़ी संख्या में युवा आसानी से अपनी फैक्ट्री स्थापित कर लोगों को रोजगार मुहैया करा सकेंगे. इस कानून के खत्म होने से प्रदेश के औद्योगिकीकरण में तेजी आएगी. ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के लिहाज से भी यह एक सकारात्मक कदम है. बता दें कि मौजूदा वित्तीय वर्ष में सरकार ने 20 लाख MSME इकाइयों को वित्तपोषित करने का लक्ष्य तय किया है. इसे पूरा करने में भी यह नियम अहम रोल निभाएगा.

इस लक्ष्य को पूरा करने के क्रम में 23 दिसंबर को प्रदेश सरकार ने कैबिनेट बाई सर्कुलेशन के जरिए प्रदेश में निवेश को बढ़ावा देने के लिए कृषि भूमि को गैर कृषि भूमि घोषित करने के लिए चहारदीवारी की अनिवार्यता खत्म करने का फैसला लिया है. पूर्व की सरकारों ने उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता की धारा-80 की उपधारा (2) में कृषि जमीन को गैर कृषि घोषित करने के लिए चहारदीवारी की अनिवार्यता बनाए रखी थी. इसके आधार पर साढ़े 12 एकड़ से अधिक जमीन लेने वालों को कृषि की जमीन पर उद्योग लगाने या फिर अन्य व्यवसायिक गतिविधियों के लिए उसका भू-उपयोग परिवर्तन कराने से पहले उस पर चहारदीवारी का निर्माण कराना जरूरी होता था. इसके बाद ही उसका भू-उपयोग बदला जाता था. इस कानून के चलते ग्रामीण इलाकों में उद्यम स्थापित करने में निवेशकों को असुविधा हो रही थी और ग्रामीण क्षेत्रों में लोग अपना उद्यम स्थापित करने में रुचि नहीं ले रहे थे. जिसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने चहारदीवारी का निर्माण करने की अनिवार्यता को खत्म करने का फैसला लिया.

पांच साल के अंदर शुरू करना होगा काम
सरकार ने अब यह शर्त जोड़ी है कि जिस कृषि जमीन को भू-उपयोग में बदला जाएगा वह काम पांच साल के अंदर निवेशक को शुरू करना होगा. राजस्व संहिता संशोधन आदेश जारी होने के बाद छोटे बड़े उद्यमियों को यह सुविधा मिलने लगेगी. सरकार का मत है कि इस फैसले से अब ग्रामीण क्षेत्रों में बड़ी संख्या में छोटे बड़े उद्योग लगेंगे. ग्रामीणों को उनमें रोजगार मिलेगा. इससे MSME सेक्टर को मजबूती मिलेगी. MSME सेक्टर ने ही कोरोना संकट के दौरान बड़ी संख्या में राज्य में लोगों को रोजगार मुहैया कराया है. रिजर्व बैंक द्वारा जारी की गई रिपोर्ट इसका सबूत है.

MSME सेक्टर ने दिए सबसे ज्यादा रोजगार
रिजर्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि MSME से रोजगार देने में यूपी ने कई राज्यों को पछाड़ा है. योगी आदित्यनाथ सरकार में 1.90 करोड़ लोगों को रोजगार के अवसर मुहैया कराए गए. सबसे अधिक रोजगार MSME ने दिए. प्रदेश सरकार के आंकड़ों के अनुसार वर्तमान में MSME सेक्टर में 8,07,537 इकाइयां कार्यरत हैं. इनमें 48,13,401 श्रमिक काम कर रहे थे. कोरोना संकट के दौरान प्रदेश सरकार के प्रयास से 2,57,348 नए श्रमिकों को इस सेक्टर में रोजगार दिया गया है. इसके अलावा सरकार ने प्रदेश के औद्योगिक क्षेत्रों में भूमि आवंटन करने संबंधी कार्रवाई को पारदर्शी बनाया है और 14 जिलों के औद्योगिक क्षेत्रों में भूमि आवंटन के लिए आवेदन मांगे गए हैं. सरकार ने बड़े निवेशकों को औद्योगिक इकाई की स्थापना के लिए पारदर्शी तरीके से भूमि आवंटन की ई -प्रणाली पर भी काम शुरू किया है.

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