लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में शुक्रवार को लोक भवन में राज्य के सभी चकबंदी अधिकारियों की समीक्षा बैठक हुई. इस दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में चकबंदी की प्रक्रिया को युद्ध स्तर पर आगे बढ़ाया जाए. इसके साथ ही सीएम ने चकबंदी अधिकारियों के पास लंबित पड़े एक लाख 12 हजार 907 मामलों में छह महीने के अंदर निस्तारण करने के निर्देश दिए हैं. हाईकोर्ट में लंबित 165 मामलों के लिए टीम लगाकर प्रभावी पैरवी के जरिए समाधान कराने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिया गया है.
भ्रष्टाचार को लेकर जताई नाराजगी
सीएम योगी ने कहा कि कई गांव में 25 वर्ष से चकबंदी के मामले लंबित हैं. इतने समय तक मामले को लंबित रखने का मतलब एक पूरी पीढ़ी को बर्बाद करना है. गांव के लोगों में कितना धैर्य है, इस पर विचार करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि अधिक पारदर्शी तरीके से गरीब-अमीर का चक बटेगा तो कोई आपत्ति नहीं करेगा. सीएम योगी ने विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार को लेकर भी नाराजगी व्यक्त की है. उन्होंने कहा कि ठीक से काम करके विभाग की छवि बदलने का काम अधिकारियों को करना चाहिए.
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लोगों में जगाएं विश्वास
मुख्यमंत्री ने कहा कि चकबंदी की पांच वर्ष की समय सीमा खत्म कर लोगों में विश्वास पैदा करें. एक साल में लोगों को सुरक्षित चकबंदी के लिए प्रेरित करें. अतिरिक्त लोग लगाकर मिशन मोड में काम किया जाए. हाथरस के गोपालपुर और गोरखपुर के चिलबिलवा गांव में जिस तरह से लोगों ने सुरक्षित चकबंदी कराई है, इसे अन्य जिलों में भी अपनाया जाना चाहिए.
चकबंदी प्रकिया में तेजी लाई जाए
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि चकबंदी प्रक्रिया के दौरान गोचर स्थल, खलिहान, खेल के मैदान और गांव में होने वाले सार्वजनिक कार्यक्रमों के लिए स्थान छोड़ा जाए. छह महीने के अंदर लक्ष्य बनाकर काम करें और विभाग की छवि बदलने का प्रयास करें. चकबंदी अधिकारियों को जब कोर्ट में बैठना हो तब कोर्ट में बैठें नहीं तो अपने कार्यालय में रहें. इसके साथ ही अधिकारी फील्ड में भी जाएं और चकबंदी से होने वाले लाभ के विषय में लोगों को जागरूक करें. उन्होंने कहा कि चकबंदी के 28 एवं चकबंदी अधिकारियों के 235 न्यायालयों के कंप्यूटरीकरण की प्रक्रिया में तेजी लाई जाए.