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प्रदेश के कई जिलों की आबोहवा जहरीली, सांस में परेशानी और आंखों की जलन की समस्या वाले मरीज बढ़े

प्रदेश में लगातार प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है. प्रदेश के कुछ जिले ऐसे हैं जहां की आबोहवा पूरी तरह से खराब है. सर्दी बढ़ने के साथ ही धुंध के साथ वायु प्रदूषण भी बढ़ रहा है.

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Published : Dec 20, 2022, 1:59 PM IST

लखनऊ : प्रदेश में लगातार प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है. प्रदेश के कुछ जिले ऐसे हैं जहां की आबोहवा पूरी तरह से खराब (bad weather) है. सर्दी बढ़ने के साथ ही धुंध के साथ वायु प्रदूषण भी बढ़ रहा है. इस स्थिति में तमाम मरीज परेशान होते हैं. किसी को सांस लेने में दिक्कत होती है तो किसी को आंखों में जलन होती है. ऐसे में अस्पतालों में भी काफी भीड़ देखने को मिल रही है. सांस के मरीजों में 35 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई है जबकि आंखों में जलन के मरीज 40 फ़ीसदी बढ़े हैं.

वायु प्रदुषण के कारण

वायु प्रदूषण के कारण होने वाली बीमारी

जहरीले प्रदूषण से बचाव के उपाय

  • लकड़ी को जलाना
  • गाड़ियों से निकलने वाला जहरीला धुंआ
  • उद्योगों से निकलने वाला काला धुंआ
  • खराब फसलों को जलाना
  • प्लास्टिक या पत्तों इत्यादि को जलाना
  • जंगलों में लगी आग का धुंआ
  • दिल की बीमारी
  • कैंसर की समस्या
  • किडनी की बीमारी
  • गर्भवती महिलाओं और उसके होने वाले बच्चे की जान को खतरा होना
  • अस्थमा का प्रकोप
  • जीने की औसतन उम्र को कम करना
  • ब्लड कैंसर की समस्या
  • आंखों में जलन आदि समस्या
  • मानसिक समस्याएं होना
  • सर्दी के मौसम में सबसे पहले खुद को ठंडी हवाओं से बचाएं.
  • गर्म पानी का नहाने में इस्तेमाल करें और गर्म पानी पिए.
  • रोजाना योगा और व्यायाम करें ताकि हाथ पैर में फुर्तीला बन रहे.
  • बाहर निकलते समय मास्क का इस्तेमाल करें और आंखों पर चश्मा
    लगा कर बाहर निकले.
  • बाहर से आने पर एक बाल्टी पानी में 2 सेकंड सांस रोककर अपना चेहरा पानी में डालें, इससे आंखों की सफाई होगी.
  • स्टीम (भाप) लें.
  • ताजी हरी सब्जियों और मौसमी फलों का सेवन करें.

सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (Central Pollution Control Board) की रिपोर्ट के मुताबिक ग्रेटर नोएडा का प्रदुषण स्तर 398, गाजियाबाद 371, बरेली 225, आगरा 158, कानपुर 222, मुजफ्फरनगर 284, मेरठ 223, प्रयागराज 117 और वाराणसी का एक्यूआई 111 है. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट (pollution control board report) के मुताबिक इन दिनों लखनऊ की हवा दुषित हो गई है. रिपोर्ट के मुताबिक मंगलवार को शहर का एक्यूआई 305 है. एक दिन पहले ही शहर का एक्यूआई 326 था. यूपी के टॉप 10 शहर ऐसे हैं जहां की हवा दीपावली के बाद से दुषित हुई है. राजधानी के तालकटोरा इंडस्ट्री सेंटर का एक्यूआई 325, सेंट्रल स्कूल का एक्यूआई 256, लालबाग का एक्यूआई 281, गोमतीनगर का एक्यूआई 185, भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी क्षेत्र का एक्यूआई 181 और कुकरेल पिकनिक स्पॉटस्पॉट-1 का एक्यूआई 193 है. राजधानी लखनऊ के यह क्षेत्र इंडस्ट्रियल एरिया में शामिल होते हैं जहां पर कल कारखाने का काम अधिक होता है.


ठंड बढ़ते ही लखनऊ समेत प्रमुख शहरों में धुंध के साथ प्रदूषण बढ़ने की समस्या उत्पन्न हो जाती है. वायु प्रदूषण (air pollution) के लिहाज से आगरा, कानपुर, लखनऊ, वाराणसी, प्रयागराज, मेरठ, गाजियाबाद, नोएडा, अनपरा, गजरौला, खुर्जा, बरेली, मुरादाबाद, झांसी, फिरोजाबाद, रायबरेली और गोरखपुर को संवेदनशील माना गया है. ये वे शहर हैं, जहां की वायु गुणता का स्तर राष्ट्रीय मानक से कम है. इसलिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इन शहरों पर विशेष नजर रखने की कार्ययोजना बनाई है. यहां वायु प्रदूषण फैलाने वाले कारकों पर तत्काल कार्रवाई करने के लिए कहा गया है.

यह भी पढ़ें : एसजीपीजीआई में होंगी 2969 पदों पर भर्तियां, चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव ने जारी किया आदेश

लखनऊ : प्रदेश में लगातार प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है. प्रदेश के कुछ जिले ऐसे हैं जहां की आबोहवा पूरी तरह से खराब (bad weather) है. सर्दी बढ़ने के साथ ही धुंध के साथ वायु प्रदूषण भी बढ़ रहा है. इस स्थिति में तमाम मरीज परेशान होते हैं. किसी को सांस लेने में दिक्कत होती है तो किसी को आंखों में जलन होती है. ऐसे में अस्पतालों में भी काफी भीड़ देखने को मिल रही है. सांस के मरीजों में 35 फ़ीसदी की बढ़ोतरी हुई है जबकि आंखों में जलन के मरीज 40 फ़ीसदी बढ़े हैं.

वायु प्रदुषण के कारण

वायु प्रदूषण के कारण होने वाली बीमारी

जहरीले प्रदूषण से बचाव के उपाय

  • लकड़ी को जलाना
  • गाड़ियों से निकलने वाला जहरीला धुंआ
  • उद्योगों से निकलने वाला काला धुंआ
  • खराब फसलों को जलाना
  • प्लास्टिक या पत्तों इत्यादि को जलाना
  • जंगलों में लगी आग का धुंआ
  • दिल की बीमारी
  • कैंसर की समस्या
  • किडनी की बीमारी
  • गर्भवती महिलाओं और उसके होने वाले बच्चे की जान को खतरा होना
  • अस्थमा का प्रकोप
  • जीने की औसतन उम्र को कम करना
  • ब्लड कैंसर की समस्या
  • आंखों में जलन आदि समस्या
  • मानसिक समस्याएं होना
  • सर्दी के मौसम में सबसे पहले खुद को ठंडी हवाओं से बचाएं.
  • गर्म पानी का नहाने में इस्तेमाल करें और गर्म पानी पिए.
  • रोजाना योगा और व्यायाम करें ताकि हाथ पैर में फुर्तीला बन रहे.
  • बाहर निकलते समय मास्क का इस्तेमाल करें और आंखों पर चश्मा
    लगा कर बाहर निकले.
  • बाहर से आने पर एक बाल्टी पानी में 2 सेकंड सांस रोककर अपना चेहरा पानी में डालें, इससे आंखों की सफाई होगी.
  • स्टीम (भाप) लें.
  • ताजी हरी सब्जियों और मौसमी फलों का सेवन करें.

सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (Central Pollution Control Board) की रिपोर्ट के मुताबिक ग्रेटर नोएडा का प्रदुषण स्तर 398, गाजियाबाद 371, बरेली 225, आगरा 158, कानपुर 222, मुजफ्फरनगर 284, मेरठ 223, प्रयागराज 117 और वाराणसी का एक्यूआई 111 है. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट (pollution control board report) के मुताबिक इन दिनों लखनऊ की हवा दुषित हो गई है. रिपोर्ट के मुताबिक मंगलवार को शहर का एक्यूआई 305 है. एक दिन पहले ही शहर का एक्यूआई 326 था. यूपी के टॉप 10 शहर ऐसे हैं जहां की हवा दीपावली के बाद से दुषित हुई है. राजधानी के तालकटोरा इंडस्ट्री सेंटर का एक्यूआई 325, सेंट्रल स्कूल का एक्यूआई 256, लालबाग का एक्यूआई 281, गोमतीनगर का एक्यूआई 185, भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी क्षेत्र का एक्यूआई 181 और कुकरेल पिकनिक स्पॉटस्पॉट-1 का एक्यूआई 193 है. राजधानी लखनऊ के यह क्षेत्र इंडस्ट्रियल एरिया में शामिल होते हैं जहां पर कल कारखाने का काम अधिक होता है.


ठंड बढ़ते ही लखनऊ समेत प्रमुख शहरों में धुंध के साथ प्रदूषण बढ़ने की समस्या उत्पन्न हो जाती है. वायु प्रदूषण (air pollution) के लिहाज से आगरा, कानपुर, लखनऊ, वाराणसी, प्रयागराज, मेरठ, गाजियाबाद, नोएडा, अनपरा, गजरौला, खुर्जा, बरेली, मुरादाबाद, झांसी, फिरोजाबाद, रायबरेली और गोरखपुर को संवेदनशील माना गया है. ये वे शहर हैं, जहां की वायु गुणता का स्तर राष्ट्रीय मानक से कम है. इसलिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इन शहरों पर विशेष नजर रखने की कार्ययोजना बनाई है. यहां वायु प्रदूषण फैलाने वाले कारकों पर तत्काल कार्रवाई करने के लिए कहा गया है.

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