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नालों की सफाई पर कोविड का असर, तैयारियों में जुटा नगर निगम - cleaning work of drains

राजधानी लखनऊ में छोटे-बड़े मिलाकर कुल 1589 नाले हैं. इन नालों की सफाई का काम तीन भागों में बांटा गया है. इसके लिए 5 करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान किया गया है. नगर निगम नालों की सफाई का कार्य 30 मई से पहले ही पूरा करने का दावा कर रहा है.

लखनऊ क्षेत्र के नालों की सफाई 30 मई तक होगी पूरी.
लखनऊ क्षेत्र के नालों की सफाई 30 मई तक होगी पूरी.
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Published : May 21, 2021, 8:54 AM IST

लखनऊ: लखनऊ नगर निगम मानसून से पहले जल निकासी को सुनिश्चित करने के लिए नाले और नालियों की साफ-सफाई कराता है. हालांकि इस बार कोविड संक्रमण के कारण अभी तक नालों की सफाई का काम पूरा नहीं हुआ है. नगर निगम के अधिकारियों का कहना है कि 30 मई तक राजधानी के सभी नालों की सफाई का काम पूरा कर लिया जाएगा, जिससे शहरवासियों को जलभराव की समस्या से दो चार न होना पड़े.

इन स्थलों पर होता है जलभराव
राजधानी के कई ऐसे प्रमुख इलाके हैं, जहां बारिश के दिनों में जलभराव की समस्या आम है. इससे लोगों को आवागमन में असुविधा का सामना करना पड़ता है. राजधानी के जिन इलाकों में जलभराव होता है, उनमें प्रमुख रूप से मवैया, राजाजीपुरम, आलमबाग, फैजुल्लागंज, मड़ियांव, चिनहट, सदर बर्लिंगटन चौराहा, रकाबगंज, सुभाष नगर चौराहा प्रमुख हैं. जहां पर बारिश के दिनों में जलभराव की स्थिति हो जाती है.

जानकारी देते संवाददाता.
तीन भागों में बंटा है नालों की सफाई का काम
राजधानी में छोटे बड़े मिलाकर कुल 1589 नाले हैं. इन नालों की सफाई का काम तीन भागों में बांटा गया है. इसके तहत नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग, आरआर विभाग और इंजीनियरिंग विभाग नालों की साफ-सफाई का जिम्मा उठाता है. इन 1589 में से 253 नाले नगर स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत आते हैं. नगर स्वास्थ्य अधिकारी सुरेश रावत ने बताया कि नालों की साफ-सफाई का काम शुरू करा दिया गया है और 702 नाले साफ भी हो गए हैं. आरआर विभाग 454 सालों की सफाई कराएगा. 82 बड़े नालों को साफ करने की जिम्मेदारी इंजीनियरिंग विभाग को सौंपी गई है. शेष नालों की सफाई 30 मई से पहले तक पूरी कर ली जाएगी.

इसे भी पढ़ें-नालों की सफाई में लापरवाही नहीं होगी बर्दाश्त: मेयर

क्या कहते हैं नगर आयुक्त
नगर आयुक्त अजय द्विवेदी का कहना है कि इस बार कोविड-19 संक्रमण तेजी से फैला है. इससे कार्य प्रभावित हुआ है. राजधानी के कई ऐसे इलाके हैं, जहां पर इन नालों को दोबारा साफ कराना पड़ रहा है. वजह है घनी आबादी वाले इलाकों के नालों में लगातार लोग मलबा डालते रहते हैं. महापौर संयुक्ता भाटिया का कहना है कि राजधानी की जनता को जलभराव की समस्या का सामना न करना पड़े. इसके लिए सभी 8 जोन का निरीक्षण किया जा चुका है. इस बार नालों की साफ सफाई के लिए 5 करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान किया गया है.

इसे भी पढ़ें-'मेरा गांव कोरोना मुक्त' मिशन के साथ अधिकारी करें कामः सीएम योगी

क्या कहते हैं नगर निगम कर्मचारी संघ के पदाधिकारी
नगर निगम कर्मचारी महासंघ के पदाधिकारी आनंद वर्मा ने बताया कि नगर निगम में 14,200 कर्मचारी कार्यरत हैं, जिनमें से 4200 कर्मचारी परमानेंट हैं, जबकि 10,000 कर्मचारी कार्यदायी संस्था के माध्यम से जुड़े हुए हैं. इनमें से 45 कर्मचारियों की कोरोना संक्रमण की चपेट में आकर मौत हो चुकी है, जबकि 400 से अधिक कर्मचारी क्वारेंटाइन भी हैं. इसके बावजूद नगर निगम में कर्मचारियों की सुविधा पर ध्यान नहीं दिया गया. कर्मचारी महासंघ लगातार कर्मचारियों के वैक्सीनेशन की मांग कर रहा है, लेकिन नगर निगम की तरफ से अभी तक कोई सुविधा नहीं मिली, जिससे नगर निगम के कर्मचारियों में रोष है. यही कारण है कि इस बार नालों की सफाई में देरी भी हो रही है.

लखनऊ: लखनऊ नगर निगम मानसून से पहले जल निकासी को सुनिश्चित करने के लिए नाले और नालियों की साफ-सफाई कराता है. हालांकि इस बार कोविड संक्रमण के कारण अभी तक नालों की सफाई का काम पूरा नहीं हुआ है. नगर निगम के अधिकारियों का कहना है कि 30 मई तक राजधानी के सभी नालों की सफाई का काम पूरा कर लिया जाएगा, जिससे शहरवासियों को जलभराव की समस्या से दो चार न होना पड़े.

इन स्थलों पर होता है जलभराव
राजधानी के कई ऐसे प्रमुख इलाके हैं, जहां बारिश के दिनों में जलभराव की समस्या आम है. इससे लोगों को आवागमन में असुविधा का सामना करना पड़ता है. राजधानी के जिन इलाकों में जलभराव होता है, उनमें प्रमुख रूप से मवैया, राजाजीपुरम, आलमबाग, फैजुल्लागंज, मड़ियांव, चिनहट, सदर बर्लिंगटन चौराहा, रकाबगंज, सुभाष नगर चौराहा प्रमुख हैं. जहां पर बारिश के दिनों में जलभराव की स्थिति हो जाती है.

जानकारी देते संवाददाता.
तीन भागों में बंटा है नालों की सफाई का कामराजधानी में छोटे बड़े मिलाकर कुल 1589 नाले हैं. इन नालों की सफाई का काम तीन भागों में बांटा गया है. इसके तहत नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग, आरआर विभाग और इंजीनियरिंग विभाग नालों की साफ-सफाई का जिम्मा उठाता है. इन 1589 में से 253 नाले नगर स्वास्थ्य विभाग के अंतर्गत आते हैं. नगर स्वास्थ्य अधिकारी सुरेश रावत ने बताया कि नालों की साफ-सफाई का काम शुरू करा दिया गया है और 702 नाले साफ भी हो गए हैं. आरआर विभाग 454 सालों की सफाई कराएगा. 82 बड़े नालों को साफ करने की जिम्मेदारी इंजीनियरिंग विभाग को सौंपी गई है. शेष नालों की सफाई 30 मई से पहले तक पूरी कर ली जाएगी.

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क्या कहते हैं नगर आयुक्त
नगर आयुक्त अजय द्विवेदी का कहना है कि इस बार कोविड-19 संक्रमण तेजी से फैला है. इससे कार्य प्रभावित हुआ है. राजधानी के कई ऐसे इलाके हैं, जहां पर इन नालों को दोबारा साफ कराना पड़ रहा है. वजह है घनी आबादी वाले इलाकों के नालों में लगातार लोग मलबा डालते रहते हैं. महापौर संयुक्ता भाटिया का कहना है कि राजधानी की जनता को जलभराव की समस्या का सामना न करना पड़े. इसके लिए सभी 8 जोन का निरीक्षण किया जा चुका है. इस बार नालों की साफ सफाई के लिए 5 करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान किया गया है.

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क्या कहते हैं नगर निगम कर्मचारी संघ के पदाधिकारी
नगर निगम कर्मचारी महासंघ के पदाधिकारी आनंद वर्मा ने बताया कि नगर निगम में 14,200 कर्मचारी कार्यरत हैं, जिनमें से 4200 कर्मचारी परमानेंट हैं, जबकि 10,000 कर्मचारी कार्यदायी संस्था के माध्यम से जुड़े हुए हैं. इनमें से 45 कर्मचारियों की कोरोना संक्रमण की चपेट में आकर मौत हो चुकी है, जबकि 400 से अधिक कर्मचारी क्वारेंटाइन भी हैं. इसके बावजूद नगर निगम में कर्मचारियों की सुविधा पर ध्यान नहीं दिया गया. कर्मचारी महासंघ लगातार कर्मचारियों के वैक्सीनेशन की मांग कर रहा है, लेकिन नगर निगम की तरफ से अभी तक कोई सुविधा नहीं मिली, जिससे नगर निगम के कर्मचारियों में रोष है. यही कारण है कि इस बार नालों की सफाई में देरी भी हो रही है.

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