लखनऊ : राजधानी समेत उत्तर प्रदेश के ज्यादातर जिलों में संचालित होने वाली राजधानी बस सेवाएं परिवहन निगम के लिए फायदे का सौदा साबित नहीं हो पा रही हैं. इसके पीछे वजह यही है कि यात्री साधारण बस की तुलना में 10 फीसद अधिक किराया देने से कतरा रहे हैं. यात्रियों का तर्क है कि भले ही थोड़े कम समय में राजधानी बसें मंजिल तक पहुंचाती हों, लेकिन है तो आखिर साधारण बस ही. ऐसे में इन बसों का किराया 10 फीसद ज्यादा क्यों रखा गया? लिहाजा, परिवहन निगम के क्षेत्रीय अधिकारियों ने प्रबंध निदेशक के सामने राजधानी बस सेवाओं का किराया कम करने का अनुरोध किया है. सूत्र बताते हैं कि एमडी ने भी इस पर विचार करने का आश्वासन अधिकारियों को दिया है. ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि आने वाले दिनों में राजधानी बस सेवाओं का किराया भी साधारण बसों से कुछ ज्यादा या फिर बराबर हो सकता है.
उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के स्वर्ण जयंती स्थापना वर्ष के अवसर पर सूबे के मुखिया योगी आदित्यनाथ ने यूपी को 93 नई राजधानी बस सेवाओं की सौगात दी थी. इन बसों की खासियत यही है कि इनके स्टॉपेज काफी कम हैं, जिससे समय से यात्रियों को उनकी मंजिल तक पहुंचाती है. हालांकि इसके एवज में परिवहन निगम यात्रियों से साधारण बस सेवाओं से तकरीबन 10 फ़ीसदी ज्यादा किराया वसूल करता है. यही बढ़ा किराया परिवहन निगम के लिए घाटे का कारण भी बन रहा है. लिहाजा, अब किराए को कम करने को लेकर क्षेत्रीय अधिकारियों ने उच्चाधिकारियों के समक्ष मांग रख दी है. परिवहन निगम की समीक्षा बैठक में चित्रकूट के क्षेत्रीय प्रबंधक की तरफ से एमडी को अवगत कराया गया कि राजधानी बसों का लोड फैक्टर ज्यादा किराए के चलते नहीं आ पा रहा है. किराया थोड़ा कम हो जाए तो यात्री राजधानी बस से सफर करना पसंद करेंगे. लखनऊ के क्षेत्रीय प्रबंधक मनोज कुमार ने भी राजधानी बस के किराए में कमी करने का अनुरोध किया है. परिवहन निगम के विश्वस्त सूत्र बताते हैं कि अधिकारियों के सुझाव के बाद अब राजधानी बस का किराया कम करने को लेकर मंथन शुरू हो गया है. यात्रियों को उम्मीद है कि परिवहन निगम राजधानी बसों का किराया कम करेगा, जिससे आवागमन में सहूलियत होगी. कम किराया चुकाकर कम समय में सफर पूरा हो सकेगा.
इन जिलों से दिल्ली के लिए चलाई गईं थीं राजधानी बसें |
प्रयागराज - आठ |
आजमगढ़ - दो |
चित्रकूटधाम - 10 |
हरदोई - 10 |
बरेली - आठ |
कानपुर - 10 |
वाराणसी - दो |
झांसी - दो |
मुरादाबाद - दो |
मेरठ - दो |
गोरखपुर - 16 |
अयोध्या - नौ |
अलीगढ़ - सात |
देवीपाटन - चार |
सहारनपुर - एक |
आगरा - सात |
उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के अधिकारी बताते हैं कि 'राजधानी बसों का किराया साधारण बसों की तुलना में 10 फीसद तक ज्यादा होने का असर आय पर भी पड़ रहा है. राजधानी बसें नई हैं, बावजूद इसके इनका लोड फैक्टर कम आ रहा है. यात्री ज्यादा किराए के चलते सफर नहीं कर रहे हैं. प्रदेश भर का अगर आंकड़ा निकाला जाए तो यह 40 फीसद या इससे कुछ ही ज्यादा आ रहा है, जो परिवहन निगम के राजस्व के लिहाज से कम है.'