लखनऊ: चित्ताखेड़ा बस्ती को हटाए जाने का मामला दिन पर दिन गंभीर होता जा रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि ऐशबाग मिल एरिया खेड़ा की अवैध बस्ती को हटा दिया जाए. जमीन लीज होल्डर के हवाले कर दी जाए. यह जमीन एलडीए ने 2016 में लीज होल्डर के हवाले कर दी थी, जबकि यहां पर एक बस्ती बस चुकी थी. यहां रहने वाले लोग अब न्याय की तलाश में उप मुख्यमंत्री और स्थानीय विधायक बृजेश पाठक के आवास पर प्रदर्शन करने पहुंचे.
चिताखेड़ा के लोग बृजेश पाठक के आवास पर मंगलवार की दोपहर पहुंचे और उन्होंने कहा कि उनको यहां से ना हटाया जाए. बस्ती में अनेक लोगों के पास में जमीन की रजिस्ट्री भी है. बिना मौके का मुआयना किये इस जमीन पर भी लीज रिन्यूअल किया गया. जिसके पीछे लखनऊ विकास प्राधिकरण के पूर्व उपाध्यक्ष सत्येंद्र सिंह रहे. सत्येंद्र सिंह के खिलाफ सीबीआई और ईडी जांच चल रही है. चित्ताखेड़ा अवैध बस्ती की जमीन की कीमत करीब 200 करोड़ रुपए है. सुप्रीम कोर्ट ने जमीन को खाली कराने का आदेश दे दिया है. 6 सप्ताह के भीतर अगर यह जमीन खाली नहीं हुई तो जिलाधिकारी लखनऊ, पुलिस कमिश्नर लखनऊ और लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष के खिलाफ एक्शन लिया जाएगा.
ये भी पढ़ें : योगी सरकार ने बढ़ाया छात्रों के लिए बजट, यूनिफॉर्म के साथ देगी कॉपी-पेंसिल का पैसा
इस मामले में लखनऊ विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष डॉ. इंद्रमणि त्रिपाठी ने बताया कि निश्चित तौर पर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन किया जाएगा. हमने स्थानीय लोगों को पुनर्वास देने के लिए उनके कम आय वर्ग होने के प्रमाण मांगे थे, लेकिन किसी की ओर से अभी तक कोई प्रमाण नहीं दिया गया है. इस भूमि के लीज रिन्यूअल मे जो भी गड़बड़ियां हुई हैं. उसके संबंध में एक कमेटी का गठन करके जांच शुरू करा दी गई है. यह लीज नवीनीकरण 2016 में किया गया था.
ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप