लखनऊ : लखनऊ चिड़ियाघर में प्रदेश भर से सैलानी घूमने के लिए आते हैं. शनिवार और रविवार को यहां पर लोग परिवार के साथ पिकनिक मनाने के लिए आते हैं. इसके अलावा स्कूली बच्चे भी यहां आते हैं. बच्चों के लिए चिड़ियाघर सबसे पसंदीदा स्थान है. यहां के चिल्ड्रन पार्क में भीड़ रहती है. ऐसे में यहां अगर बच्चों की सुरक्षा की बात की जाए तो वह नजर नहीं आती. यहां के ज्यादातर झूले टूटे हैं. ऐसे में बच्चों के साथ हादसे का खतरा हमेशा बना रहता है. ताज्जुब की बात है कि इन झूलों की मरम्मत कई महीनों से नहीं कराई गई है. यहां आने वाले अभिभावक इन टूटे झूलों को लेकर अपनी नाराजगी जताते हैं.
विकासनगर के अनिकेत कुमार अपने बच्चों के साथ लखनऊ चिड़ियाघर घूमने फिरने के लिए पहुंचे. यहां पर उन्होंने बताया कि बहुत सारे झूले हैं लेकिन टूटे पड़े हुए हैं, जबकि बाहर से कुछ झूले वाले अंदर मिक्की माउस, बच्चों की कार ड्राइव और एडवेंचर स्पोर्टस के लिए अलग से पैसे वसूल रहे हैं. यह गलत है. उन्होंने कहा कि यहां लगे सभी झूले टूटे हुए हैं. अगर किसी बच्चे के साथ कोई हादसा हो जाए तो कौन जिम्मेदार होगा. हम तो पिकनिक मनाने आए हैं. कितना भी बच्चों को पकड़ेंगे लेकिन बच्चे झूले देखकर मचलते हैं और भागते हैं. ऐसे में कहां तक हम उनका ध्यान रख पाएं. चिड़ियाघर प्रशासन को इन झूलों की मरम्मत करानी चाहिए.
वहीं, राजाजीपुरम की एकता दीक्षित रविवार को अपने पूरे परिवार के साथ लखनऊ चिड़ियाघर में पिकनिक मनाने के लिए पहुंचीं. इस दौरान एकता ने बताया कि यहां पर बहुत सारे झूले हैं लेकिन टूटे हुए हैं. बाहर से जो लोग झूले चिड़ियाघर के अंदर लगाए हुए हैं वे इसके लिए पैसा वसूल रहे हैं. लखनऊ चिड़ियाघर के अंदर बहुत सारे झूले हैं, अगर इन्हीं की मरम्मत हो जाए तो बाहर से झूले लगवाने की कोई आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी. यहां एडवेंचर स्पोर्टस भी है लेकिन बच्चों की सुरक्षा नहीं है. किसी भी बच्चे के साथ हादसा हो सकता है.
वहीं, दिल्ली से घूमने के लिए लखनऊ चिड़िया घर पहुंचे नवनीत शुक्ला ने बताया कि उनकी पैदाइश लखनऊ की है. हालांकि इस वक्त वह दिल्ली में रहते हैं. उन्होंने कहा कि आज से 30 साल पहले जब मेरा बचपन यहां पर बीता. उस समय की बहुत सारी मेमोरी है. उस समय ऐसा बिल्कुल भी नहीं हुआ करता था, सभी झूले अच्छे थे. लगातार मरम्मत भी होती रहती थी क्योंकि छोटे थे. हम लोग कभी टूटे झूले हमने देखे नहीं. इस बार जब मैं आया तो एकदम चौक गया. इस समय जो चिड़ियाघर है काफी बदल गया है. 30 साल पहले चिड़ियाघर में काफी रौनक रहती थी, बहुत सारे जानवर रहते थे, और जितने भी झूले वगैरह थे सब नए थे. बच्चे झूला करते थे. उन्होंने कहा कि इस समय आप देख रहे हैं कि मैं खुद अपनी बच्ची को लेकर झूला झूला रहा हूं क्योंकि मैं देख रहा हूं कि झूले टूटे हुए हैं अगर बच्चे को चोट लग जाएगी तो पिकनिक खराब हो जाएगी. बाहर से झूले वालों को बुलाने की जरूरत नहीं है.
वही, इस बारे में लखनऊ चिड़ियाघर के निदेशक वीके मिश्रा का कहना है कि इस बारे में अभी तक कोई जानकारी नहीं थी. अब जानकारी प्राप्त हुई है. कोशिश रहेगी कि जल्द से जल्द झूलों का मरम्मत करा दी जाए. बच्चों के लिए कार ड्राइव, मिक्की माउस और एडवेंचर इसलिए लगाया गया है ताकि वे इसका लाभ उठा सकें. टूटे झूलों की मरम्मत कराई जाएगी.
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