लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी ने प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों को पत्र भेजकर आदेशित किया है कि प्रदेश में जीआई (भौगोलिक संकेतक) उत्पादों की समस्याओं का निस्तारण प्राथमिकता पर सुनिश्चित कराया जाए. इसके साथ ही उत्तर प्रदेश में जीआई उत्पादों की ब्रांडिंग और मार्केटिंग के माध्यम से निर्यात को बढ़ावा देने और समस्याओं के समाधान के लिए राज्य स्तर पर एक एंपावर्ड कमेटी के गठन का प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजा जाए.
राजेंद्र कुमार तिवारी ने वाराणसी परिक्षेत्र और प्रदेश में अन्य जिलों में जीआई उत्पादों की समस्याओं के समाधान ब्रांडिंग और मार्केटिंग के माध्यम से निर्यात को बढ़ावा दिए जाने के माध्यम से अफसरों को निर्देश दिए हैं. उन्होंने कहा कि जनपद वाराणसी में जीआई उत्पादों की मार्केटिंग और ब्रांडिंग के लिए 'मिशन जीआई बनारस' का गठन किया जाए. इसमें राज्य सरकार के प्रतिनिधि के साथ-साथ केंद्र सरकार के प्रतिनिधियों को भी शामिल किया जाए. वाराणसी मंडल में जीआई उत्पादों से संबंधित समस्याओं के निस्तारण के लिए मंडलायुक्त की अध्यक्षता में मॉनिटरिंग कमेटी भी गठित की जाए. इसके साथ ही जीआई उत्पादों के लिए निर्माणाधीन फैसिलिटेशन सेंटर के निर्माण कार्य में भी तेजी लाई जाए.
मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय बाजार एवं राष्ट्रीय स्तर पर प्रदेश की जीआई उत्पादों की मांग को बढ़ाने के लिए आधुनिक पैकेजिंग और डिजाइनिंग पैटर्न का उपयोग किया जाए. इसके लिए एक्सपर्ट की भी मदद ली जाए. उन्होंने यह भी कहा कि डिजाइनिंग और पैकेजिंग सेंटर लगाने की इच्छुक सेवा प्रदाताओं को विभाग की ओर से नियमानुसार सहायता भी उपलब्ध कराई जाए और जिलों में कॉमन फैसिलिटी सेंटर का निर्माण कराया जाए.
क्या है जीआई (भौगोलिक संकेतक)
जीआई यानी भौगोलिक संकेतक एक संकेत है जो कि उत्पाद विशेष के निश्चित भौगोलिक उद्गम क्षेत्र को दर्शाता है. यह भौगोलिक उद्गम क्षेत्र ही वहां पर उत्पादित होने वाले उत्पाद के विशिष्ट गुणों को निर्धारित करता है, जैसे कि वस्तु की गुणवत्ता प्रतिष्ठा और अन्य विशेषताएं अनिवार्य रूप से अपने भौगोलिक मूल के कारण होती है.