लखनऊ: राजधानी के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में सोमवार को नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भाग लिया. इस दौरान मुख्यमंत्री ने स्वच्छ वायु ऐप को लांच किया. इस अवसर पर पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री दारा सिंह चौहान, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष जेपीएस राठौर के साथ-साथ अन्य अधिकारी मौजूद रहे.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नेशनल नॉलेज नेटवर्क के द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में आए सभी लोगों का स्वागत किया. सीएम योगी ने कहा कि वायु प्रदूषण एक वैश्विक समस्या बनी है. इस वैश्विक समस्या से कोई लड़ सकता है तो वह सिर्फ भारत है. इसके लिए लोगों को जागरूक होना पड़ेगा. सीएम योगी ने कहा कि हमने प्रकृति के दोहन को अपना शिकार बनाया तो हम उसके शिकार बन जाएंगे. सीएम योगी ने कहा कि वायु प्रदूषण से जुड़ी इस कार्यशाला के माध्यम से किसी निष्कर्ष पर निकलना चाहिए, न कि मात्र यह एक कार्यशाला बनकर रह जाए.
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साल 2013 में 2019 में आयोजित किए गए कुंभ के बारे में भी जानकारी देते हुए सीएम योगी ने कहा कि साल 2019 में हमे कुंभ के आयोजन का अवसर मिला, जिसमें कई रिकॉर्ड बने. वहीं साल 2013 में महाकुंभ का आयोजन किया गया था, जिसमें मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रयागराज पहुंचे, लेकिन उन्होंने गंगा में मौजूद गंदगी और प्रदूषण को देखते हुए उसमें स्नान नहीं किया. वहीं जब इस वर्ष कुंभ के आयोजन का अवसर हमें प्राप्त हुआ, जिसके बाद एक बार फिर मॉरीशस के प्रधानमंत्री प्रयागराज पहुंचे तो उन्होंने स्वच्छता पाई और गंगा में स्नान किया.
प्रकृति के साथ बैठाएं तालमेल
योगी आदित्यनाथ ने बताया कि पराली न जलाने के लिए किसानों को एनजीटी व सरकारों के द्वारा चेतावनी दी जाती है, लेकिन जागरूकता की कमी होने की वजह से किसान खेतों में ही पराली जलाते हैं, जिसकी वजह से जहां एक तरफ किसानों की जमीन की उर्वरता का ह्रास होता है. वहीं दूसरी तरफ प्रकृति को भी भारी नुकसान पहुंचता है. सीएम योगी ने कहा कि प्रकृति के साथ संबंध बनाना बहुत आवश्यक है और इसके लिए हमे लोगों को अधिक से अधिक जागरूक करना पड़ेगा.
सीएम योगी ने अपने बचपन को किया याद
वहीं अपने बचपन की यादों को ताजा करते हुए सीएण योगी ने कहा कि जब वे 12 साल के थे तो गांव से बाहर शिक्षा के लिए आ गए थे और 25 साल बाद जब लौटे तो उन्होंने कई बदलाव देखे. सीएम योगी ने कहा कि बचपन में बाहर के जल स्रोत से पानी को घर लाया करते थे और स्नान आदि भी करते थे, जिसका पानी काफी मीठा था और लोग स्वस्थ भी रहते थे, लेकिन 25 साल बाद जब वह अपने गांव लौटे तो उन्होंने देखा कि लोगों के घरों तक पाइपलाइन बिछा दी गई थी और पानी में वह स्वाद भी नहीं था.
सीएम योगी ने कहा कि मैंने जल स्रोत पर जाकर देखा तो जल स्रोत पूरी तरीके से नष्ट हो गया था और आज की स्थिति यह है कि वहां पर पाइपलाइन भी पूरी तरह से ध्वस्त हो गई हैं और सरकार को टैंकर के द्वारा गांव में पानी पहुंचाना पड़ रहा है. हम प्रकृति के साथ खिलवाड़ करेंगे और उसका दोहन करेंगे या शिकार करेंगे तो उसका शिकार हम खुद हो जाएंगे. अतः हमें प्रकृति को बचाने के लिए अधिक से अधिक वृक्षारोपण करना चाहिए, जिसके लिए लोगों को जागरूक करना बहुत आवश्यक है.