लखनऊ: कोरोना वायरस तेजी से लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है. कई लोग इस महामारी को मात दे चुके, तो कई अभी भी अस्पतालों में इलाज करवा रहे हैं. डॉक्टर्स की माने तो कोविड-19 की दूसरी लहर लोगों के लिए खतरनाक साबित हो रही है, दूसरी लहर में वायरस कुछ मरीजों के फेफड़ों पर असर डाल रहा है. उनको चेस्ट फीजियोथेरेपी की सलाह दी जा रही है. शासन ने भी यह निर्देश दिए हैं कि अस्पतालों में चेस्ट फिजियोथेरेपी हो, लेकिन शहर की आबादी इतनी ज्यादा है कि हर किसी को चेस्ट फिजियोथेरेपी नहीं मिल पा रही है.
ऐसे में विशेषज्ञ बताते हैं कि अगर किसी को अस्पताल में चेस्ट फिजियोथेरेपी नहीं मिल पा रही है, तो वह अपनी दिनचर्या में वाद्ययंत्र यानि शंख को शामिल करें. वाद्ययंत्र बजाने से फेफड़ों तक ऑक्सीजन पहुंचेगी और फेफड़े मजबूत बनेंगे. इसलिए इन दिनों राजधानी के बाजारों में शंख की ज्यादा डिमांड हो रही है.
शंख बजाने से फेफड़े तो मजबूत होते ही हैं, इससे एक पॉजिटिव एनर्जी भी मिलती है. दुकानदार सुधीर कुमार गुप्ता बताते हैं कि इन दिनों शंख की डिमांड अधिक हो रही है, क्योंकि शंख हमारे फेफड़ों की थेरेपी के लिए एक सर्वोत्तम उपाय है. रोजाना 3-4 लोग शंख लेने आ ही जाते हैं. कुछ लोग बड़े शंख, तो कुछ लोग छोटे शंख की डिमांड करते हैं. सुधीर बताते हैं कि वे स्वयं भी अपने घर में पूजा के समय शंख वादन करते हैं.
थेरेपी के साथ पॉजिटिव एनर्जी
ग्राहक विवेक पांडेय दुकान पर पूजा का समान खरीदने आए हैं. उन्होंने एक शंख भी खरीदी है. विवेक बताते हैं कि शंख बजाने से चेस्ट थेरेपी होती है. लोगों को चेस्ट फिजियोथेरेपी कराने अस्पताल जाना चाहिए. जो अस्पताल नहीं जा पा रहे हैं या जिन्हें चेस्ट फिजियोथेरेपी अस्पताल में नहीं मिल पा रही है, वह शंख के जरिए थेरेपी कर सकते हैं. विवेक ने बताया कि हमारे सनातन धर्म में हमेशा से शंख को महत्व दिया गया है, क्योंकि इसे बजाने से हमारे आसपास का वातावरण अच्छा होता है. एक पॉजिटिव एनर्जी भी मिलती है.
चेस्ट फिजियोथेरेपी से कफ होता है ढीला
लखनऊ फिजियोथेरेपिस्ट एसोसिएशन के सचिव डॉ. संजय शुक्ला ने बताया कि कोरोना संक्रमित होने के बाद मरीज के चेस्ट में कफ जम जाता है. इससे बाद मरीज को सांस लेने में दिक्कत होती है. चेस्ट फिजियोथेरेपी से फेफड़ों में जमा कफ ढीला होकर बाहर निकलने लगता है. इससे ऑक्सीजन लेवल भी बढ़ने लगता है. साथ ही सांस लेने में जो दिक्कतें होती हैं, उसमें सुधार भी होता है. डॉ. संजय शुक्ला बताते हैं कि चेस्ट फिजियोथेरेपी को घर पर भी आसानी से किया जा सकता है. योगा के जरिए भी और वाद्ययंत्र के जरिए भी. उन्होंने बताया कि चेस्ट फिजियोथेरेपी में ब्रीथिंग, हफिंग, कफिंग एक्सरसाइज करवाई जाती है. इसमें मरीज को पेट के बल लिटाकर पीठ पर हाथ से थपथपाते हैं. फिर दाएं और बाएं करवट लिटाकर पीठ और चेस्ट साइड से थपथपाते हैं. फिर मरीज को नाक से सांस लेकर मुंह से निकालने और मुंह से सांस लेकर नाक से निकालने को कहा जाता है.
गाने गाकर भी कर सकते हैं चेस्ट थेरेपी
सचिव डॉ. संजय बताते हैं कि जो लोग होम आइसोलेशन में हैं या फिर जो लोग अस्पताल से डिस्चार्ज होकर घर पहुंचे हैं, अगर किसी को भी संक्रमण का जरा भी लक्षण है, सांस लेने में दिक्कतें आ रही हैं, तो गाने गाकर भी थेरेपी की जा सकती है. क्योंकि जब कोई गाना गाता है तो सांस को खींचता है फिर लय में सांस छोड़ता हैं. यह भी एक प्रकार की चेस्ट थेरेपी हैं.
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घर पर ही करें चेस्ट थेरेपी
विज्ञान केंद्र के संयुक्त निदेशक वैज्ञानिक एसएम प्रसाद बताते हैं कि लोगों को अपनी दिनचर्या में चेस्ट थेरेपी को भी अहमियत देनी चाहिए. जैसे वह योगा करते हैं, एक्सरसाइज करते हैं. इसी तरह वाद्ययंत्र का भी प्रयोग करें. इससे चेस्ट थेरेपी होगी. चेस्ट थेरेपी के लिए कुछ घरेलू उपाय हैं जैसे कि शंख बजाना, बांसुरी बजाना और बीन बजाना. जितने भी फूंकने वाले वाद्ययंत्र हैं, वह चेस्ट थेरेपी के लिए मददगार साबित होते हैं. अगर कोई योगा नहीं कर पा रहा है या एक्सरसाइज करने में सक्षम नहीं है, तो वह सात गुब्बारे लेकर उसे फुलाए. इससे चेस्ट थेरेपी होती है. अगर किसी को गुब्बारे फुलाने में भी दिक्कत है, तो एक बाल्टी में पानी लें फिर पाइप द्वारा फूंक के जरिए पानी में बुलबुले बनाने की कोशिश करें. चेस्ट थेरेपी के लिए यह सभी घरेलू उपाय हैं.