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सकुशल सम्पन्न हुआ चेहल्लुम का जुलूस, गमजदा माहौल में अकीदतमंदों ने की शिरकत

यूपी की राजधानी लखनऊ में कर्बला के 72 शहीदों का चेहल्लुम का जुलूस निकाला गया. यह जुलूस इमामबाड़ा नाजिम साहब से चलकर कर्बला तालकटोरा पहुंचकर खत्म हुआ. इस मौके पर बड़ी तादाद में अकीदतमंदों ने शिरकत की.

सकुशल सम्पन्न हुआ चेहल्लुम का जुलूस.
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Published : Oct 20, 2019, 11:42 PM IST

लखनऊ: अदब की सरजमी में कर्बला के 72 शहीदों का चेहल्लुम अकीदत व एहतराम के साथ मनाया गया. इस खास मौके पर पुराने लखनऊ के इमामबाड़ा नाजिम साहब से कर्बला तालकटोरा तक जुलूस निकाला गया, जिसमें बड़ी तादाद में महिलाएं और बच्चों के साथ लोगों ने शिरकत कर कर्बला के शहीदों को याद किया.

सकुशल सम्पन्न हुआ चेहल्लुम का जुलूस.

गमजदा माहौल में निकाला गया चेहल्लुम का जुलूस

  • पैगंबर मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन और कर्बला के शहीदों का चेहल्लुम पूरे देश के साथ ही नवाबों के शहर लखनऊ में भी अपने रवायती अंदाज में मनाया गया.
  • पुराने लखनऊ में बड़ी तादाद में मातमी अंजुमनों ने हाथ में इमाम हुसैन के परचम को बुलंद करके नौहा, मजलिस और मातम किया.
  • वहीं हिंदुस्तान से अपनी मोहब्बत का इजहार करते हुए हाथों में कुछ नौजवान तिरंगा झंडा भी लहराते नजर आए.
  • मातमी अंजुमनों के लोगों ने इमाम हुसैन के बताए हुए अमन और इंसानियत के पैगाम को तख्तियों पर लिखकर जुलूस में शिरकत की.

इसे भी पढ़ें- लखनऊः जनसभा में बोले डिप्टी सीएम, 'जनता का मोदी-योगी पर विश्वास'

लखनऊ में अपने खास रवायती अंदाज में निकलने वाले जुलूस में अकीदतमंदों ने मातम और मजलिस का बड़े पैमाने पर आयोजन किया, जिसमें कई मजहबों के लोग भी बड़ी तादाद में शामिल हुए. चेहल्लुम के मौके पर जुलूस इमामबाड़ा नाजिम साहब से चलकर कर्बला तालकटोरा पहुंचकर देर शाम समाप्त हुआ. रवायत के मुताबिक इमाम हुसैन को उनके साथियों के साथ बेरहमी से कर्बला के मैदान में 3 दिन का भूखा प्यासा शहीद कर दिया गया था, जिसमें कई बुजुर्ग और जवानों के साथ इमाम हुसैन के 6 महीने के बेटे अली असगर भी शामिल थे. जिनकी याद में आज अजादार अपने गम का इजहार पेश करते हैं.

कर्बला का गम हर धर्म के लोग मनाते हैं, क्योंकि नवासे रसूल इमाम हुसैन ने इस्लाम और इंसानियत को बचाने की खातिर अपना घर खुदा की राह में कुर्बान कर दिया था.
-मौलाना यासूब अब्बास, शिया धर्मगुरु

लखनऊ: अदब की सरजमी में कर्बला के 72 शहीदों का चेहल्लुम अकीदत व एहतराम के साथ मनाया गया. इस खास मौके पर पुराने लखनऊ के इमामबाड़ा नाजिम साहब से कर्बला तालकटोरा तक जुलूस निकाला गया, जिसमें बड़ी तादाद में महिलाएं और बच्चों के साथ लोगों ने शिरकत कर कर्बला के शहीदों को याद किया.

सकुशल सम्पन्न हुआ चेहल्लुम का जुलूस.

गमजदा माहौल में निकाला गया चेहल्लुम का जुलूस

  • पैगंबर मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन और कर्बला के शहीदों का चेहल्लुम पूरे देश के साथ ही नवाबों के शहर लखनऊ में भी अपने रवायती अंदाज में मनाया गया.
  • पुराने लखनऊ में बड़ी तादाद में मातमी अंजुमनों ने हाथ में इमाम हुसैन के परचम को बुलंद करके नौहा, मजलिस और मातम किया.
  • वहीं हिंदुस्तान से अपनी मोहब्बत का इजहार करते हुए हाथों में कुछ नौजवान तिरंगा झंडा भी लहराते नजर आए.
  • मातमी अंजुमनों के लोगों ने इमाम हुसैन के बताए हुए अमन और इंसानियत के पैगाम को तख्तियों पर लिखकर जुलूस में शिरकत की.

इसे भी पढ़ें- लखनऊः जनसभा में बोले डिप्टी सीएम, 'जनता का मोदी-योगी पर विश्वास'

लखनऊ में अपने खास रवायती अंदाज में निकलने वाले जुलूस में अकीदतमंदों ने मातम और मजलिस का बड़े पैमाने पर आयोजन किया, जिसमें कई मजहबों के लोग भी बड़ी तादाद में शामिल हुए. चेहल्लुम के मौके पर जुलूस इमामबाड़ा नाजिम साहब से चलकर कर्बला तालकटोरा पहुंचकर देर शाम समाप्त हुआ. रवायत के मुताबिक इमाम हुसैन को उनके साथियों के साथ बेरहमी से कर्बला के मैदान में 3 दिन का भूखा प्यासा शहीद कर दिया गया था, जिसमें कई बुजुर्ग और जवानों के साथ इमाम हुसैन के 6 महीने के बेटे अली असगर भी शामिल थे. जिनकी याद में आज अजादार अपने गम का इजहार पेश करते हैं.

कर्बला का गम हर धर्म के लोग मनाते हैं, क्योंकि नवासे रसूल इमाम हुसैन ने इस्लाम और इंसानियत को बचाने की खातिर अपना घर खुदा की राह में कुर्बान कर दिया था.
-मौलाना यासूब अब्बास, शिया धर्मगुरु

Intro:अदब की सरजमी लखनऊ में कर्बला के बहत्तर शहीदों का चेहल्लुम अकीदत व एहतराम के साथ मनाया गया। इस खास मौके पर पुराने लखनऊ के इमामबाड़ा नाजिम साहब से कर्बला तालकटोरा तक जुलूस निकाला गया जिसमें बड़ी तादाद में औरतें बच्चों के साथ लोगों ने शिरकत करके कर्बला के शहीदों को अपनी श्रृद्धांजलि पेश की।


Body:पैगंबर मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन और कर्बला के शहीदों का चेहल्लुम पूरे देश के साथ अजादारी का केंद्र कहे जाने वाले नवाबों के शहर लखनऊ में भी अपने रिवायती अंदाज में मनाया गया, इस दौरान पुराने लखनऊ में बड़ी तादाद में मातमी अंजुमनों ने हाथ में इमाम हुसैन के परचम को बुलंद करके नौहा, मजलिस और मातम किया तो वही हिंदुस्तान से अपनी मोहब्बत का इजहार करते हुए हाथों में कुछ नौजवान तिरंगा झंडा भी लहराते नजर आए इसके साथ ही मातमी अंजुमनों के लोगों ने इमाम हुसैन के बताए हुए अमन और इंसानियत के पैगाम को तख्तियों पर लिखकर जुलूस में शिरकत की।

गौरतलब है कि लखनऊ में अपने खास रिवायती अंदाज में निकलने वाले जुलूस में अकीदतमंदों ने मातम और मजलिस का बड़े पैमाने पर आयोजन किया जिसमें विभिन्न मजहब के लोग भी बड़ी तादाद में शामिल हुए। चेहल्लुम के मौके पर जुलूस इमामबाड़ा नाजिम साहब से चलकर कर्बला तालकटोरा पहुंचकर देर शाम समाप्त हुआ। रिवायत के मुताबिक इमाम हुसैन को उनके साथियों के साथ बेरहमी से कर्बला के मैदान में 3 दिन का भूखा प्यासा शहीद कर दिया गया था जिसमें कई बुजुर्ग और जवानों के साथ इमाम हुसैन के 6 महीने के बेटे अली असगर भी शामिल थे जिसकी याद में आज अज़ादार अपने गम का इजहार पेश करते हैं। इस मौके पर जुलूस में मौजूद उलमा ने बताया कि कर्बला का गम हर धर्म के लोग मनाते हैं क्योंकि नवासे रसूल इमाम हुसैन ने इस्लाम और इंसानियत को बचाने की खातिर अपना घर खुदा की राह में कुर्बान कर दिया था।

बाइट- मौलाना यासूब अब्बास, शिया धर्मगुरु


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