लखनऊ: राजधानी में आउटसोर्सिंग फर्म संचालक ने पशुपालन विभाग में ब्लॉक स्तर पर भर्ती कराने का दावा कर ग्यारह लोगों से 22 लाख रुपये ऐंठ लिए हैं. ठग ने युवकों को जाली नियुक्ति पत्र भी जारी किए थे. पीड़ितों ने सोमवार को हजरतगंज कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया है. वहीं भारतीय खाद्य निगम में नौकरी दिलाने के बहाने युवक से साढ़े छह लाख रुपयों की धोखाधड़ी की गई है.
जानिए पूरा मामला
जानकारी के मुताबिक, विराटखंड 3 निवासी जसवंत सिंह की मुलाकात साल 2018 में प्रयागराज निवासी विरेंद्र रावत से हुई थी. जो रेलवे में आउटसोर्सिंग ठेकेदार है. बातचीत में वीरेंद्र ने पशुपालन विभाग में भर्तियां खुलने की जानकारी दी. कुछ वक्त बाद विरेंद्र कैंट रोड स्थित उत्तर प्रदेश ग्रामीण उन्नति संस्थान में मिलने के लिए बुलाया था. जसवंत के साथ उसके दोस्त श्यामसुंदर भी गए हुए थे. आरोपी ने नौकरी के बदले दो लाख रुपये खर्च होने की बात कही थी. इस पर सुरजीत सिंह और राजकुमार समेत ग्यारह लोगों ने 22 लाख रुपये वीरेंद्र को दिए थे. आरोपी ने युवकों की ट्रेनिंग भी कराई थी, जिसके बाद उन्हें जाली नियुक्ति पत्र भी दिए गए थे. पशुपालन विभाग के दफ्तर पहुंचने पर युवकों को ठगी का पता चला. जसवंत सिंह ने एडीसीपी मध्य चिरंजीवी नाथ सिन्हा से मुलाकात कर घटना की जानकारी दी. जिन के निर्देश पर हजरतगंज कोतवाली में विरेंद्र रावत उसके साथी अंकित धनेसर और आलोक कुमार के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है.
तकनीकी सहायक के पद पर भर्ती कराने का किया था दावा
अहिमामऊ निवासी विकास गिरी के मुताबिक, मोहित कुमार से उसकी मुलाकात मार्च महीने में हुई थी. मोहित एफसीआई में तैनात होने का दावा करता था. उसने भर्ती खुलने की जानकारी दी थी. साथ ही रुपये खर्च करने पर तकनीकी सहायक के पद पर नियुक्ति कराने का दावा किया था. झांसे में फंसकर विकास ने मोहित को साढ़े छह लाख रुपए दे दिए. इसके बाद भी नौकरी नहीं लगी. पूछताछ करने पर आरोपी धमकी देने लगा. ठग से परेशान विकास ने पुलिस कमिश्नर डीके ठाकुर से मुलाकात की थी. जिन के निर्देश पर सुशांत गोल्फ सिटी थाने में मोहित कुमार, विकास शुक्ला, रामचरण राहुल और अवनीश पांडे के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है.