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UP Education System : मानक के अनुसार पढ़ाई न होने से छात्रों में बढ़ रही नकल की प्रवृत्ति

देश के एजुकेशन सिस्टम पर हमेशा ही सवाल उठते रहे हैं. हालांकि अब नई शिक्षा नीति के तहत काफी बदलाव किए गए हैं. इसके बावजूद एजुकेशन सिस्टम छात्रों के लिहाज से अनुकूल नहीं बनाया जा सका है. ऐसे में हाईस्कूल से लेकर स्नातक की परीक्षाओं में नकल की प्रवृत्ति पर सवाल उठते हैं.

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Published : Feb 27, 2023, 4:49 PM IST

मानक के अनुसार पढ़ाई न होने से बढ़ रही नकल की प्रवृत्ति.

लखनऊ : मौजूद समय में प्रदेश सरकार यूपी बोर्ड में नकल की समस्या को दूर लेकर करने के लिए काफी ठोस कदम उठा रही है. विशेषज्ञों का कहना है कि इसके लिए प्रदेश का एजुकेशन सिस्टम में आया बदलाव काफी बड़ा कारण है. विशेषज्ञों की मानें तो 9वीं से लेकर 12वीं तक की कक्षाओं के शैक्षिक सत्र 6 से 7 महीने में पूरा करा दिया जा रहा है. ऐसे में छात्रों में पढ़ाई को लेकर छात्रों पर दबाव बन रहा है. इसी दबाव के कारण छात्रों में नकल की प्रवृत्ति बढ़ती है. ऐसे में सरकार की ओर से नकल को रोकने के लिये पर्याप्त कदम उठाने के साथ सत्र को नियमित करने के ठोस कदम उठाना होगा. ताकि छात्र पर पढ़ाई का दबाव ना बने.

सरकार शैक्षिक सत्र को सुधारने के लिए कोई कदम नहीं उठा रही : काशीश्वर इंटर कॉलेज के पूर्व प्रधानाचार्य डॉ. अनिल शर्मा का कहना है कि पहले 1 जुलाई से 30 जून तक शैक्षणिक सत्र चलता था. अब यूपी बोर्ड के स्कूलों में शैक्षणिक सत्र 6 से 7 महीनों में पूरा किया जा रहा है. ऐसे में जो सिलेबस 10 से 11 महीनों में पूरा होता था. ऐसे में स्कूलों में अर्धवार्षिक, वार्षिक व क्लास टेस्ट समय पर होता था. अब जनवरी में ज्यादातर स्कूलों में वार्षिक परीक्षा समाप्त हो जाती है. ऐसे में अब 6 से 7 महीने में अर्धवार्षिक, वार्षिक व क्लास टेस्ट इन्हीं महीनों में कर लिए जाते है. ऐसे में जो सिलेबस 12 महीनों में पूरा होता था. उसे आधे समय में कराया जा रहा है. इस पर सुधार करने के लिए सरकार को ठोश कदम उठाना चाहिए.

एनएसए जैसे कानून नकल की पार्वती नहीं रुकेगा : डॉ. अनिल शर्मा ने कहा कि नकल रोकने के लिए सरकार की ओर से कड़े कानून बना कर केवल नकल माफिया को रोक सकता है. छात्र में नकल की पर्वित क्यों पैदा हुई इसमें सुधार के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है. बल्कि नकल को रोकने के लिए एनएसए जैसे कानून का प्रयोग कर रही है जो पूरी तरह से गलत है. केवल सीबीएसई पैटर्न को फॉलो करने से कुछ नहीं होगा. बेसिक सुधार करना होगा.

यह भी पढ़ें : Sisodia appeared CBI court: CBI ने कहा- सवालों का नहीं दे रहे सही जवाब, 5 दिन की रिमांड चाहिए

मानक के अनुसार पढ़ाई न होने से बढ़ रही नकल की प्रवृत्ति.

लखनऊ : मौजूद समय में प्रदेश सरकार यूपी बोर्ड में नकल की समस्या को दूर लेकर करने के लिए काफी ठोस कदम उठा रही है. विशेषज्ञों का कहना है कि इसके लिए प्रदेश का एजुकेशन सिस्टम में आया बदलाव काफी बड़ा कारण है. विशेषज्ञों की मानें तो 9वीं से लेकर 12वीं तक की कक्षाओं के शैक्षिक सत्र 6 से 7 महीने में पूरा करा दिया जा रहा है. ऐसे में छात्रों में पढ़ाई को लेकर छात्रों पर दबाव बन रहा है. इसी दबाव के कारण छात्रों में नकल की प्रवृत्ति बढ़ती है. ऐसे में सरकार की ओर से नकल को रोकने के लिये पर्याप्त कदम उठाने के साथ सत्र को नियमित करने के ठोस कदम उठाना होगा. ताकि छात्र पर पढ़ाई का दबाव ना बने.

सरकार शैक्षिक सत्र को सुधारने के लिए कोई कदम नहीं उठा रही : काशीश्वर इंटर कॉलेज के पूर्व प्रधानाचार्य डॉ. अनिल शर्मा का कहना है कि पहले 1 जुलाई से 30 जून तक शैक्षणिक सत्र चलता था. अब यूपी बोर्ड के स्कूलों में शैक्षणिक सत्र 6 से 7 महीनों में पूरा किया जा रहा है. ऐसे में जो सिलेबस 10 से 11 महीनों में पूरा होता था. ऐसे में स्कूलों में अर्धवार्षिक, वार्षिक व क्लास टेस्ट समय पर होता था. अब जनवरी में ज्यादातर स्कूलों में वार्षिक परीक्षा समाप्त हो जाती है. ऐसे में अब 6 से 7 महीने में अर्धवार्षिक, वार्षिक व क्लास टेस्ट इन्हीं महीनों में कर लिए जाते है. ऐसे में जो सिलेबस 12 महीनों में पूरा होता था. उसे आधे समय में कराया जा रहा है. इस पर सुधार करने के लिए सरकार को ठोश कदम उठाना चाहिए.

एनएसए जैसे कानून नकल की पार्वती नहीं रुकेगा : डॉ. अनिल शर्मा ने कहा कि नकल रोकने के लिए सरकार की ओर से कड़े कानून बना कर केवल नकल माफिया को रोक सकता है. छात्र में नकल की पर्वित क्यों पैदा हुई इसमें सुधार के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है. बल्कि नकल को रोकने के लिए एनएसए जैसे कानून का प्रयोग कर रही है जो पूरी तरह से गलत है. केवल सीबीएसई पैटर्न को फॉलो करने से कुछ नहीं होगा. बेसिक सुधार करना होगा.

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