लखनऊः दलितों के हितों को लेकर राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी जयंत सिंह ने मास्टर स्ट्रोक खेला है. जयंत ने अपने सभी विधायकों को निर्देश दिया है कि वे अपनी विधायक निधि का न्यूनतम 35% पैसा दलितों पर खर्च करेंगे. जयंत के इस कदम ने अन्य राजनीतिक दलों के नेताओं को भी इस ओर सोचने पर मजबूर कर दिया है. खासकर दलितों की राजनीति करने वाली बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती और आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर आजाद के लिए जयंत ने दिक्कत जरूर खड़ी कर दी है.
राष्ट्रीय लोकदल (RLD) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी जयंत सिंह ने पार्टी के नेता, विधानमंडल दल और बुढ़ाना क्षेत्र से विधायक राजपाल बालियान को पत्र लिखा है. पत्र में उन्होंने कहा है कि राष्ट्रीय लोकदल के सभी कार्यकर्ता सामाजिक न्याय में अटूट विश्वास रखते हैं और हमारा मानना है कि जब तक समाज के कमजोर वंचित तबके तक अधिक से अधिक सरकारी योजना का लाभ न पहुंचे, तब तक बड़े सामाजिक सुधार एवं सकारात्मक परिवर्तन संभव नहीं है. इसी उद्देश्य से मैंने विचार किया है कि हमारे दल के विधायकों की जो क्षेत्रीय विकास निधि है, 35% से अधिक सभी अपने क्षेत्र में अनुसूचित जाति वर्ग के कल्याण के लिए खर्च करेंगे.
जयंत ने लिखा कि मैं यह भी चाहता हूं कि आप विधानमंडल दल के अध्यक्ष के नाते खुद प्रयास करें और सभी राष्ट्रीय लोकदल के विधायकों को निर्देशित करें कि अनुसूचित जाति एवं पिछड़े वर्ग के मुद्दे लगातार सदन में उठाने का कार्य करें. उन पर होने वाले उत्पीड़न पर पैनी नजर बनाए रखें और उन्हें न्याय दिलाने का प्रयास करें. राष्ट्रीय लोकदल ने विधानसभा चुनाव से पूर्व न्यायालय के माध्यम से उत्तर प्रदेश के अनुसूचित जाति वर्ग के लोगों की और उनके गांव और आवासीय क्षेत्रों की दयनीय स्थिति देखी है. पार्टी लगातार बहुजन उदय अभियान के तहत ज्यादा से ज्यादा बहुजन समाज के लोगों को मुख्यधारा से लाने का प्रयास कर रही है.
जयंत ने लिखा कि मुझे उम्मीद है कि हम सब मिलकर समाज में पनप रही असमानता को मिटाएंगे और वंचित समाज की आवाज बनेंगे. चौधरी चरण सिंह और मेरे पिता स्वर्गीय चौधरी अजीत सिंह की इस विचारधारा को जन-जन तक पहुंचाने में आप सभी मेरा सहयोग करेंगे.
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