लखनऊः समाज कल्याण विभाग ने शुल्क प्रतिपूर्ति के नियमों में बदलाव करते आदेश जारी किया है. समाज कल्याण अधिकारी डॉ. अमरनाथ यति ने जानकारी दी कि बदली नियमावली के अनुसार ग्रेजुएशन में एडमिशन लेने वाले छात्रों को 12वीं में 60 फीसदी अंक और पोस्ट ग्रेजुएशन में एडमिशन लेने वालों को स्नातक में 55 फीसदी अंक लाना अनिवार्य है.
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अभी तक जो जानकारी मिली है, उसके मुताबिक पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग में पहले से ही 50% अंक की अनिवार्यता है. जिला पिछड़ा वर्ग कल्याण अधिकारी एसपी सिंह ने बताया कि आवेदन के बाद बजट के आधार पर मेरिट लिस्ट तैयार की जाती है. वर्ष 2019-20 में करीब 67% तक अंक लाने वालों की ही लाभ मिल सका था.
हर साल होता है भुगतान
समाज कल्याण अधिकारी डॉ. अमरनाथ यति के मुताबिक अकेले समाज कल्याण विभाग हर साल करीब 27 लाख छात्रों को शुल्क प्रतिपूर्ति और स्कॉलरशिप देता है. उन्होंने कहा कि इसमें सामान्य वर्ग के साथ-साथ अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के विद्यार्थी भी शामिल हैं. जिला समाज कल्याण अधिकारी ने बताया कि पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक विभाग को मिलाकर प्रदेश के करीब 60 लाख विद्यार्थियों को यह लाभ मिलता है. वहीं उन्होंने जानकारी दी कि शुल्क प्रतिपूर्ति के आवेदन से पहले सभी जिलों के मान्यता प्राप्त विद्यालयों को 30 सितंबर तक मास्टर डेटा तैयार करना होगा.
कोरोना ने घटाया बजट
समाज कल्याण अधिकारी डॉ. यति ने बताया कि इस साल कोरोना संक्रमण के चलते सामान्य वर्ग की स्कॉलरशिप और प्रतिपूर्ति के बजट पर भी असर पड़ा है. प्रदेश सरकार ने साल 2020-21 के लिए बजट 325 करोड़ रुपये कम करके 500 करोड़ कर दिया है. उन्होंने बताया कि ऐसे में न्यूनतम अहर्ता बढ़ाकर आवेदनों की संख्या कम करने का प्रयास किया जा रहा है.
अमरनाथ यति ने जानकारी दी कि प्रतिपूर्ति का भुगतान किया जाएगा, जिससे वे आगे की पढ़ाई अच्छे तरीके से कर सकें. उन्होंने बताया कि संशोधित नियमावली के अनुसार ही आवेदन स्वीकार किए जाएंगे. उन्होंने कहा कि पहले से ऑनलाइन सिस्टम बेहतर किया गया है. इस बार आधार कार्ड लिंक वाले बैंक खाते का नंबर लगाना होगा.