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पीसीएस परीक्षा देने जा रहे अभ्यर्थियों को पढ़ना होगा यूपी के इतिहास से जुड़ा सिलेबस, विशेषज्ञों ने कही ये बात

उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की ओर से पीसीएस की मुख्य परीक्षा में बदलाव किया गया है. इसको लेकर विशेषज्ञों का कहना है कि इस साल होने वाली परीक्षा में शामिल होने वाले अभ्यर्थियों को अलग तैयारी करनी होगी.

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Published : Apr 11, 2023, 7:08 PM IST

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लखनऊ : उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की ओर से पीसीएस की मुख्य परीक्षा से वैकल्पिक विषय की अनिवार्यता को इस साल से खत्म कर दिया है. अब इसके स्थान पर अभ्यर्थियों को उत्तर प्रदेश के इतिहास से जुड़े सिलेबस को पढ़ना होगा. उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की ओर से दो महीने पहले परीक्षा पैटर्न में बदलाव की बात कही गई थी. अब जब अगली परीक्षा के लिए आवेदन प्रक्रिया चल रही है तो आयोग ने परीक्षा पैटर्न के साथ-साथ नया सिलेबस भी जारी कर दिया है. इस साल होने वाली पीसीएस की परीक्षा में शामिल होने वाले अभ्यर्थियों को अब उसी के अनुसार तैयारी करनी होगी, हालांकि कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि 'नए पैटर्न से ग्रामीण परिवेश के अभ्यर्थियों को दिक्कत हो सकती है. नए पैटर्न से जो अंग्रेजी अथवा दूसरे मुख्य विषयों से पढ़ने वाले अभ्यर्थी हैं उनको ज्यादा मौका मिलेगा, जबकि ग्रामीण परिवेश में रहने वाले छात्र जिन विषयों से अपनी पढ़ाई करते हैं उन्हें थोड़ा कठिनाई हो सकती है.'


लखनऊ विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र विभाग के प्रोफेसर व प्रशासनिक सेवा के विशेषज्ञ प्रो. पवन मिश्रा ने बताया कि 'आयोग ने पीसीएस की मुख्य परीक्षा में ही बदलाव किया है. पीसीएस की प्रारंभिक परीक्षा में कोई बदलाव नहीं किया गया है. उन्होंने बताया कि मुख्य परीक्षा में ऑप्शनल सब्जेक्ट को हटा दिया गया है. अब इसके स्थान पर मुख्य परीक्षा में ऑप्शनल सब्जेक्ट की जगह पर उत्तर प्रदेश के सांस्कृतिक विरासत से जुड़ी हुई चीजों (जनरल स्टडीज) के तौर पर पूछी जाएंगी. इसके भी दो भाग होंगे. प्रोफेसर मिश्रा ने बताया कि 'नए सिलेबस के अनुसार, अब अभ्यर्थियों को उत्तर प्रदेश के इतिहास में बोली जाने वाली भाषाओं व संस्कृति से जुड़ी चीजों पर ज्यादा फोकस करना पड़ेगा. मुख्य परीक्षा के दूसरे पाठ में इसी से जुड़े विषयों के सवाल पूछे जाएंगे. उन्होंने बताया कि अभी तक वैकल्पिक विषय के तौर पर अभ्यर्थी ऐसे विषय का चुनाव करते थे, जिसमें तैयारी करना उन्हें आसान लगता था. आवेदन करते समय जो वैकल्पिक विषय चुनते थे, परीक्षा में उसी विषय से जुड़े सवाल दूसरे भाग में पूछा जाता था, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. 14 मई को प्रस्तावित पीसीएस की प्रारंभिक परीक्षा के बाद जो मुख्य परीक्षा होगी, उसमें अब सभी छात्रों को एक समान परीक्षा देना होगा.'


अभ्यर्थियों को मिली बड़ी सफलता : उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की ओर से यूपीपीएससी-2022 का परिणाम 7 अप्रैल को जारी किया गया था. जारी परिणाम के अनुसार, इस बार वैकल्पिक विषयों में समाजशास्त्र लेने वाले अभ्यर्थियों की सफलता का दर सबसे अधिक रहा है. प्रोफेसर मिश्रा बताते हैं कि 'वैकल्पिक विषय में समाजशास्त्र और मानव शास्त्र लेने वाले अभ्यर्थियों की सफलता की दर दूसरे वैकल्पिक विषयों की तुलना में अधिक रही है. प्रोफेसर मिश्रा ने बताया कि 2022 के परिणाम में पीसीएस के दो सबसे सर्वोच्च पद एसडीएम व डिप्टी एसपी पर 70 में से 75 फीसदी अभ्यर्थियों ने समाजशास्त्र का विषय विकल्प के तौर पर लिया था. यूपीएससी की ओवर आल सेकंड रैंक पाने वाली लखनऊ निवासी प्रतिक्षा पांडेय ने भी वैकल्पिक विषय के तौर पर समाजशास्त्र का ही चयन किया था, जबकि वह इंजीनियरिंग बैकग्राउंड की छात्रा रही हैं. उन्होंने बताया कि इस विषय को वैकल्पिक विषय के तौर पर लेने पर अच्छे अंक प्राप्त करने में काफी सहायता मिलती है. निबंध और बेहतर लेखन कौशल में भी यह विषय काफी सहायक होता है, इसलिए प्रशासनिक सेवा की तैयारी कर रहे अभ्यर्थी इस विषय का चुनाव करते थे, लेकिन इस बार से अभ्यर्थियों को वैकल्पिक विषय नहीं मिलेंगे और उन्हें उसके स्थान पर उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत को पढ़ना पड़ेगा, जिससे सभी अभ्यर्थियों को एक समान मौका मिलने की बात कही जा रही है.'

यह भी पढ़ें : रिश्तों के कत्ल से दहल रहा गोरखपुर, जानिए आखिर ऐसा कदम क्यों उठा रहे लोग?

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लखनऊ : उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की ओर से पीसीएस की मुख्य परीक्षा से वैकल्पिक विषय की अनिवार्यता को इस साल से खत्म कर दिया है. अब इसके स्थान पर अभ्यर्थियों को उत्तर प्रदेश के इतिहास से जुड़े सिलेबस को पढ़ना होगा. उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की ओर से दो महीने पहले परीक्षा पैटर्न में बदलाव की बात कही गई थी. अब जब अगली परीक्षा के लिए आवेदन प्रक्रिया चल रही है तो आयोग ने परीक्षा पैटर्न के साथ-साथ नया सिलेबस भी जारी कर दिया है. इस साल होने वाली पीसीएस की परीक्षा में शामिल होने वाले अभ्यर्थियों को अब उसी के अनुसार तैयारी करनी होगी, हालांकि कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि 'नए पैटर्न से ग्रामीण परिवेश के अभ्यर्थियों को दिक्कत हो सकती है. नए पैटर्न से जो अंग्रेजी अथवा दूसरे मुख्य विषयों से पढ़ने वाले अभ्यर्थी हैं उनको ज्यादा मौका मिलेगा, जबकि ग्रामीण परिवेश में रहने वाले छात्र जिन विषयों से अपनी पढ़ाई करते हैं उन्हें थोड़ा कठिनाई हो सकती है.'


लखनऊ विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र विभाग के प्रोफेसर व प्रशासनिक सेवा के विशेषज्ञ प्रो. पवन मिश्रा ने बताया कि 'आयोग ने पीसीएस की मुख्य परीक्षा में ही बदलाव किया है. पीसीएस की प्रारंभिक परीक्षा में कोई बदलाव नहीं किया गया है. उन्होंने बताया कि मुख्य परीक्षा में ऑप्शनल सब्जेक्ट को हटा दिया गया है. अब इसके स्थान पर मुख्य परीक्षा में ऑप्शनल सब्जेक्ट की जगह पर उत्तर प्रदेश के सांस्कृतिक विरासत से जुड़ी हुई चीजों (जनरल स्टडीज) के तौर पर पूछी जाएंगी. इसके भी दो भाग होंगे. प्रोफेसर मिश्रा ने बताया कि 'नए सिलेबस के अनुसार, अब अभ्यर्थियों को उत्तर प्रदेश के इतिहास में बोली जाने वाली भाषाओं व संस्कृति से जुड़ी चीजों पर ज्यादा फोकस करना पड़ेगा. मुख्य परीक्षा के दूसरे पाठ में इसी से जुड़े विषयों के सवाल पूछे जाएंगे. उन्होंने बताया कि अभी तक वैकल्पिक विषय के तौर पर अभ्यर्थी ऐसे विषय का चुनाव करते थे, जिसमें तैयारी करना उन्हें आसान लगता था. आवेदन करते समय जो वैकल्पिक विषय चुनते थे, परीक्षा में उसी विषय से जुड़े सवाल दूसरे भाग में पूछा जाता था, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. 14 मई को प्रस्तावित पीसीएस की प्रारंभिक परीक्षा के बाद जो मुख्य परीक्षा होगी, उसमें अब सभी छात्रों को एक समान परीक्षा देना होगा.'


अभ्यर्थियों को मिली बड़ी सफलता : उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की ओर से यूपीपीएससी-2022 का परिणाम 7 अप्रैल को जारी किया गया था. जारी परिणाम के अनुसार, इस बार वैकल्पिक विषयों में समाजशास्त्र लेने वाले अभ्यर्थियों की सफलता का दर सबसे अधिक रहा है. प्रोफेसर मिश्रा बताते हैं कि 'वैकल्पिक विषय में समाजशास्त्र और मानव शास्त्र लेने वाले अभ्यर्थियों की सफलता की दर दूसरे वैकल्पिक विषयों की तुलना में अधिक रही है. प्रोफेसर मिश्रा ने बताया कि 2022 के परिणाम में पीसीएस के दो सबसे सर्वोच्च पद एसडीएम व डिप्टी एसपी पर 70 में से 75 फीसदी अभ्यर्थियों ने समाजशास्त्र का विषय विकल्प के तौर पर लिया था. यूपीएससी की ओवर आल सेकंड रैंक पाने वाली लखनऊ निवासी प्रतिक्षा पांडेय ने भी वैकल्पिक विषय के तौर पर समाजशास्त्र का ही चयन किया था, जबकि वह इंजीनियरिंग बैकग्राउंड की छात्रा रही हैं. उन्होंने बताया कि इस विषय को वैकल्पिक विषय के तौर पर लेने पर अच्छे अंक प्राप्त करने में काफी सहायता मिलती है. निबंध और बेहतर लेखन कौशल में भी यह विषय काफी सहायक होता है, इसलिए प्रशासनिक सेवा की तैयारी कर रहे अभ्यर्थी इस विषय का चुनाव करते थे, लेकिन इस बार से अभ्यर्थियों को वैकल्पिक विषय नहीं मिलेंगे और उन्हें उसके स्थान पर उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत को पढ़ना पड़ेगा, जिससे सभी अभ्यर्थियों को एक समान मौका मिलने की बात कही जा रही है.'

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