लखनऊ: यूपी बीजेपी के नए संगठन महामंत्री धर्मपाल सिंह के लिए उत्तर प्रदेश में अपनी जड़ें जमाना बड़ी चुनौती होगी. पहले तो उन्हें पिछले 8 साल में निवर्तमान महामंत्री संगठन सुनील बंसल के बनाए हुए समीकरणों का सामना करना होगा तो दूसरी ओर संगठन और सरकार के बीच की तल्खी को कम करना होगा. यह बात किसी से छिपी नहीं है कि यूपी बीजेपी के संगठन और सरकार के बीच 2017 से ही सब कुछ ठीक नहीं चला रहा.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और निवर्तमान महामंत्री संगठन सुनील बंसल के बीच कशमकश जारी थी. इसके बावजूद भारतीय जनता पार्टी को लगातार जीत मिलती रही, जिसके चलते सारे मामले दबे रहे. फिर भी समय-समय पर संगठन और सरकार के बीच मनमुटाव सामने आता रहा. कभी मंत्रियों की चिट्ठी के माध्यम से कभी विधायकों के विरोध के जरिए और कभी कार्यकर्ताओं की बात न सुने जाने के सवाल पर यह राह दिखाई देती रही थी. जिसकी वजह से इस पूरे मामले को सुलझाते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ एक बेहतर सामंजस्य बनाना नए महामंत्री संगठन धर्मपाल सिंह के लिए सबसे बड़ा चैलेंज होगा. यही नहीं सरकार और संगठन के बीच बेहतर सामंजस्य ही 2024 में भाजपा को 78 प्लस के मिशन में कामयाब बना सकेगा.
गौरतलब है कि धर्मपाल सिंह 1990 से विद्यार्थी परिषद में पूर्णकालिक रहे. उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड के संयुक्त क्षेत्रीय संगठन मंत्री रहे. उत्तराखंड, पश्चिम उत्तर प्रदेश, ब्रज और पूर्वी उत्तर प्रदेश के संगठन मंत्री रहे. 2017 के विधानसभा चुनावों में संघ की ओर से बीजेपी के लिए काम किया. जुलाई 2017 में झारखंड में भाजपा के संगठन महामंत्री की जिम्मेदारी मिली. पहली बार नगर निगमों, जिला परिषदों में बीजेपी को जीत दिलाई. 2020 के बिहार विधानसभा, 2021 के असम विधानसभा और 2022 के उत्तर विधानसभा चुनावों में भी बीजेपी को जीत दिलाने में बड़ी भूमिका निभाई.
उत्तर प्रदेश में 2014 के बाद जैसे ही भारतीय जनता पार्टी को कामयाबी मिलना शुरू हुई. यहां पर समीकरण बहुत नए सिरे से बदल गए. कई तरह के ध्रुव काम कर रहे हैं. इसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अतिरिक्त उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और उप मंत्री बृजेश पाठक के अलावा भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष यह अलग-अलग ध्रुव काम कर रहे हैं. जिन सब की धुरी के तौर पर धर्मपाल सिंह को काम करना पड़ेगा. यही नहीं समय-समय पर केंद्रीय नेतृत्व के साथ में सामंजस्य करते हुए उत्तर प्रदेश में भाजपा के मिशन को बढ़ाना भी धर्मपाल सिंह के लिए एक महत्वपूर्ण काम होगा. इन सारे मुद्दों को हल करने के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को साधना की कला का प्रदर्शन भी नए महामंत्री संगठन को करना होगा.
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