लखनऊ: चैत्र शुक्ल पक्ष प्रतिपदा 13 अप्रैल से नवरात्रि शुरू हो रही हैं. इसे वासंतिक नवरात्रि भी कहते हैं. नवरात्रि जगत जननी मां दुर्गा की उपासना का पर्व है. नवरात्रि के नौ दिनों में मां के नौ रूपों का पूजन किया जाता है. अलीगंज स्थित स्वास्तिक ज्योतिष केन्द्र के ज्योतिषाचार्य एस. एस. नागपाल ने बताया कि शक्ति की उपासना हिन्दी माह चैत्र मास की प्रतिपदा से नवमी तिथि तक की जाती है और इस बार नवमी तिथि 21 अप्रैल को पड़ रही है.
नौ दिन होती है नौ रूपों की पूजा
प्रथम नवरात्रि में मां शैलपुत्री
द्वितीय नवरात्रि में मां ब्रहाचारिणी
तृतीय नवरात्रि में मां चन्द्रघण्टा
चतुर्थ नवरात्रि में मां कूष्माण्डा
पंचम नवरात्रि में मां स्कन्दमाता
षष्ठी नवरात्रि में मां कात्यायनी
सप्तम नवरात्रि में मां कालरात्री
अष्टम नवरात्र में मां महागौरी
नवम नवरात्रि में मां सिद्विदात्री के पूजन का विधान है.
दुर्गा देवी के तीन रूप सरस्वती, लक्ष्मी और काली क्रमशः सत, रज और तम गुणों के प्रतीक है.
चैत्र नवरात्र घट स्थापना महुर्त
चैत्र की प्रतिपदा तिथि 12 अप्रैल को प्रातः 8 बजे से प्रारम्भ होकर 13 अप्रैल को प्रात 10ः16 मिनट पर समाप्त हो रही है. चैत्र नवरात्र में पूजन के लिए इस वर्ष घट स्थापना का महुर्त मंगलवार 13 अप्रैल को प्रातः 5ः45 मिनट से प्रातः 9ः59 मिनट तक है. लाभ की चौघाड़िया एवं अभिजीत महुर्त दिन के 11ः41 मिनट से दिन के 12ः32 मिनट तक श्रेष्ठ है.
पूजा से आती है सुख और समृद्धि
पं. नागपाल ने बताया कि नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा जीवन में सुख समृद्धि और शांति लाती है. नवरात्रि में घट स्थापना, जौ बोने, दुर्गा सप्तशती का पाठ करने, हवन और कन्या पूजन से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं.
इस नवरात्रि पर बन रहे शुभ योग
चैत्र नवरात्र में ग्रीष्म ऋतु के आगमन की सूचना देता है. इस दिन चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि रहेगी. चंद्रमा मेष राशि में रहेगा. अश्विनी नक्षत्र और विश्कुंभ योग बन रहा है. साथ ही सर्वार्थसिद्धि योग अमृतसिद्धि योग नवरात्रि के महात्म्य में वृद्धि करेगा. मंगलवार के दिन चैत्र नवरात्र का आरंभ होने से मां दुर्गा देवी का आगमन घोड़े पर हो रहा है जो शुभ नहीं है. भय एवं युद्ध की स्थिति बनी रहेगी. कंधे पर देवी के प्रस्थान होने से यह राष्ट्र के लिए सुख समृद्धि कारक होगा.