ETV Bharat / state

Smart Prepaid Meter Tender : ऊर्जा मंत्रालय ने कहा, प्रदेश की बिजली कंपनियां अपने स्तर से लें निर्णय - पुनरुत्थान वितरण क्षेत्र सुधार योजना

प्रदेश में ऊर्जा मंत्रालय भारत सरकार की पुनरुत्थान वितरण क्षेत्र सुधार योजना के तहत 2.5 करोड़ प्रीपेड स्मार्ट मीटर की खरीद प्रक्रिया टेंडर (Smart Prepaid Meter Tender) होने के बाद भी आगे नहीं बढ़ पा रही है.

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By

Published : Jan 13, 2023, 11:26 AM IST

लखनऊ : उत्तर प्रदेश की सभी बिजली कंपनियों के लगभग 2.5 करोड स्मार्ट प्रीपेड मीटर के टेंडर की उच्च दरों पर अभी भी गतिरोध बना हुआ है. उपभोक्ता परिषद के विरोध के बाद 25 हजार करोड़ की लागत के उच्च दरों वाले टेंडर पर पावर काॅरपोरेशन के प्रबंध निदेशक की तरफ से दिसंबर के आखिरी सप्ताह में भारत सरकार ऊर्जा मंत्रालय के अधीन रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन काॅरपोरेशन लिमिटेड (आरईसी) को प्रस्ताव भेजा था.

अब भारत सरकार ऊर्जा मंत्रालय के अधीन रूलर इलेक्ट्रिफिकेशन काॅरपोरेशन लिमिटेड के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर की तरफ से पावर काॅरपोरेशन के प्रबंध निदेशक को जो जवाब आया है, उसमें आरईसी ने कहा है कि "जब पुनरुत्थान वितरण क्षेत्र सुधार योजना (आरडीएसएस) स्कीम बनाई जा रही थी उस समय जो स्टैंडर्ड बिल्डिंग गाइडलाइन में बेंचमार्क की दरें तय की गई थीं वह 6000 रुपए ही हैं, लेकिन वर्तमान में उत्तर प्रदेश में जो बिल्डिंग प्रोसेस से टेंडर की उच्च दरें आई हैं उसे स्मार्ट प्रीपेड मीटर के टेंडर की अन्य राज्यों की दरों से मिलान करने के बाद प्रदेश की बिजली कंपनियां अपने स्तर से ही निर्णय लें."

उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि "एक तरफ यह बात भी आरईसी मान रहा है कि बेंचमार्किंग रुपया 6000 की है, लेकिन उत्तर प्रदेश में निकले टेंडर की दर रुपया 10 हजार प्रति मीटर वाले टेंडर को निरस्त करने का आदेश देने की सलाह पर ऊर्जा मंत्रालय के पसीने क्यों छूट रहे हैं? शायद वह इसलिए क्योंकि उसे भी पता है यह देश के बडे़ निजी घराने का टेंडर है. यह पूरा मामला बहुत गंभीर है. ऐसे में पूरे मामले की उत्तर प्रदेश सरकार या केंद्र सरकार को सीबीआई से जांच कराना चाहिए. देश का कोई भी ऐसा कानून नहीं है जो ऐस्टीमेटेड कॉस्ट से 65 प्रतिशत अधिक दर वाले टेंडर को अवार्ड कराने का आदेश दे सके. सभी को पता है कि इस पूरी योजना में भारत सरकार ने मनमाने तरीके से बनाई गई स्टैंडर्ड बिल्डिंग गाइडलाइन के आधार पर पूरे देश में कुछ निजी घरानों ने आपस में तालमेल करके उच्चदर पर टेंडर डाला है. ऐसे में दूसरे राज्यों की तुलना ऐस्टीमेटेड कॉस्ट से अधिक दर वाले टेंडर की करना ही अपने आप में बडे़ भ्रष्टाचार को बढ़ावा देगा, क्योंकि सभी राज्य में ज्यादातर यही निजी घराने हैं और सबकी दरें यही हैं."


उन्होंने कहा कि "सबसे बड़ा चौंकाने वाला मामला है कि इस पूरी योजना पर होने वाले 90 फीसद खर्च की भरपाई प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं से की जाएगी और बड़ा लाभ देश के बडे़ निजी घराने कमाएंगे, ऐसे में उत्तर प्रदेश सरकार को पूरे मामले पर हस्तक्षेप करते हुए अविलंब टेंडर को निरस्त कराने का आदेश देना चाहिए. पूर्व में आरडीएसएस योजना के अन्य टेंडर जो निरस्त किए गए थे उनकी दरें पांच से 28 प्रतिशत तक अधिक आई थीं. अब जब टेंडर दोबारा खुला तो उसकी दरें 10 से 12 प्रतिशत कम हो गईं, यानी उत्तर प्रदेश में अभी तक जो भी निर्णय लिया गया वह उपभोक्ताओं के हित में था. ऐसे में इस टेंडर को निरस्त करने में आखिर क्या दिक्कत है?

यह भी पढ़ें : PM Modi in Varanasi : गंगा विलास क्रूज को दिखायी हरी झंडी, टेंट सिटी का आगाज

लखनऊ : उत्तर प्रदेश की सभी बिजली कंपनियों के लगभग 2.5 करोड स्मार्ट प्रीपेड मीटर के टेंडर की उच्च दरों पर अभी भी गतिरोध बना हुआ है. उपभोक्ता परिषद के विरोध के बाद 25 हजार करोड़ की लागत के उच्च दरों वाले टेंडर पर पावर काॅरपोरेशन के प्रबंध निदेशक की तरफ से दिसंबर के आखिरी सप्ताह में भारत सरकार ऊर्जा मंत्रालय के अधीन रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन काॅरपोरेशन लिमिटेड (आरईसी) को प्रस्ताव भेजा था.

अब भारत सरकार ऊर्जा मंत्रालय के अधीन रूलर इलेक्ट्रिफिकेशन काॅरपोरेशन लिमिटेड के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर की तरफ से पावर काॅरपोरेशन के प्रबंध निदेशक को जो जवाब आया है, उसमें आरईसी ने कहा है कि "जब पुनरुत्थान वितरण क्षेत्र सुधार योजना (आरडीएसएस) स्कीम बनाई जा रही थी उस समय जो स्टैंडर्ड बिल्डिंग गाइडलाइन में बेंचमार्क की दरें तय की गई थीं वह 6000 रुपए ही हैं, लेकिन वर्तमान में उत्तर प्रदेश में जो बिल्डिंग प्रोसेस से टेंडर की उच्च दरें आई हैं उसे स्मार्ट प्रीपेड मीटर के टेंडर की अन्य राज्यों की दरों से मिलान करने के बाद प्रदेश की बिजली कंपनियां अपने स्तर से ही निर्णय लें."

उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि "एक तरफ यह बात भी आरईसी मान रहा है कि बेंचमार्किंग रुपया 6000 की है, लेकिन उत्तर प्रदेश में निकले टेंडर की दर रुपया 10 हजार प्रति मीटर वाले टेंडर को निरस्त करने का आदेश देने की सलाह पर ऊर्जा मंत्रालय के पसीने क्यों छूट रहे हैं? शायद वह इसलिए क्योंकि उसे भी पता है यह देश के बडे़ निजी घराने का टेंडर है. यह पूरा मामला बहुत गंभीर है. ऐसे में पूरे मामले की उत्तर प्रदेश सरकार या केंद्र सरकार को सीबीआई से जांच कराना चाहिए. देश का कोई भी ऐसा कानून नहीं है जो ऐस्टीमेटेड कॉस्ट से 65 प्रतिशत अधिक दर वाले टेंडर को अवार्ड कराने का आदेश दे सके. सभी को पता है कि इस पूरी योजना में भारत सरकार ने मनमाने तरीके से बनाई गई स्टैंडर्ड बिल्डिंग गाइडलाइन के आधार पर पूरे देश में कुछ निजी घरानों ने आपस में तालमेल करके उच्चदर पर टेंडर डाला है. ऐसे में दूसरे राज्यों की तुलना ऐस्टीमेटेड कॉस्ट से अधिक दर वाले टेंडर की करना ही अपने आप में बडे़ भ्रष्टाचार को बढ़ावा देगा, क्योंकि सभी राज्य में ज्यादातर यही निजी घराने हैं और सबकी दरें यही हैं."


उन्होंने कहा कि "सबसे बड़ा चौंकाने वाला मामला है कि इस पूरी योजना पर होने वाले 90 फीसद खर्च की भरपाई प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं से की जाएगी और बड़ा लाभ देश के बडे़ निजी घराने कमाएंगे, ऐसे में उत्तर प्रदेश सरकार को पूरे मामले पर हस्तक्षेप करते हुए अविलंब टेंडर को निरस्त कराने का आदेश देना चाहिए. पूर्व में आरडीएसएस योजना के अन्य टेंडर जो निरस्त किए गए थे उनकी दरें पांच से 28 प्रतिशत तक अधिक आई थीं. अब जब टेंडर दोबारा खुला तो उसकी दरें 10 से 12 प्रतिशत कम हो गईं, यानी उत्तर प्रदेश में अभी तक जो भी निर्णय लिया गया वह उपभोक्ताओं के हित में था. ऐसे में इस टेंडर को निरस्त करने में आखिर क्या दिक्कत है?

यह भी पढ़ें : PM Modi in Varanasi : गंगा विलास क्रूज को दिखायी हरी झंडी, टेंट सिटी का आगाज

For All Latest Updates

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.