लखनऊ: जल्द सीबीएसई और आईसीएसई बोर्ड एग्जाम शुरू होने जा रहे हैं. इस बार अगर कोई स्टूडेंट एग्जाम में नकल करता पकड़ा गया तो उसे पूरी परीक्षा से बाहर का रास्ता दिखा दिया जाएगा. पहले सिर्फ उसी विषय में डिबार किया जाता था. इस बार बदले नियमों के तहत परीक्षा होगी. सीबीएसई व आईसीएसई काउंसिल की तरफ से एग्जाम के दो दिन पहले लिखित निर्देश जारी हो सकता है. उसके बाद इसी नियम के तहत इस बार की परीक्षा होगी. आईसीएसई कॉर्डिनेटर माला मेहरा ने कहा कि हर साल हर स्कूल से हर परीक्षा के दिन दो चार स्टूडेंट्स नकल करते हुए या आगे पीछे वाले स्टूडेंट्स को परेशान करते हुए पकड़े जाते हैं. इसलिए इस नियम की जरूरत पड़ी.
सीबीएसई हाईस्कूल और इंटर की परीक्षा 26 अप्रैल से शुरू हो रही है, जबकि आईसीएससी बोर्ड की परीक्षा 25 अप्रैल से शुरू हो रही है. इस बार परीक्षा का नियम थोड़ा सा अलग रखा गया है. सीबीएसई कोऑर्डिनेटर जावेद आलम ने बताया कि वैसे तो सीबीएसई बोर्ड में ज्यादा केस सामने नहीं आते हैं. एग्जाम पूरी तरह से नकलविहीन हो इसका पूरा ध्यान रखा जाता है. सभी क्लासरूम में सीसीटीवी कैमरे लगे होते हैं, जिससे कंट्रोल रूम से पूरी तरह निगरानी होती रहती हैं. लेकिन, इस बार नियम में जो चेंज हुए हैं इसकी जरूरत इसलिए पड़ी, क्योंकि कई बच्चे अपनी परीक्षा को लेकर सीरियस नहीं होते हैं.
सीसीटीवी कैमरे लगे होने के बावजूद बार-बार टीचर को यह बोलना पड़ता है कि आप अपनी परीक्षा पर ध्यान दें. इस वजह से होता क्या है कि जिस बच्चे को कुछ नहीं आता है वह अपने से आगे वाले को परेशान करता है. जब आगे वाला बच्चा पीछे मुड़कर देखता है, उतने ही समय में टीचर उस निर्दोष बच्चे को देख लेती है तो कभी-कभी जो बच्चा नकल नहीं कर रहा होता है उसको सजा मिल जाती है, इसलिए इस बार इस नियम की जरूरत पड़ी है.
ऐसा बिल्कुल भी नहीं है कि सीबीएसई बोर्ड परीक्षा के दौरान बच्चे खूसुर-फूफुर नहीं करते हैं. यह हर कहीं होता है और हर बोर्ड एग्जाम में होता है. बशर्ते कितनी सिक्योरिटी के तहत परीक्षा कराई जाए यह काउंसिल के ऊपर निर्भर करता है. उन्होंने कहा कि हर साल हाईस्कूल और इंटर की परीक्षा के दौरान प्रदेश में 200 से अधिक स्टूडेंट्स नकल करते पकड़े जाते हैं. हालांकि कई बार उन्हें वार्निंग देकर परीक्षा देने दिया जाता है.
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आईसीएसई बोर्ड कोऑर्डिनेटर माला मेहरा बताती है कि दो साल से बच्चों को प्रमोट कर दिया जा रहा है या ऑनलाइन एग्जाम लिया जा रहा था. ऐसे में होता क्या है कि बच्चे ऑनलाइन एग्जाम में नकल भी कर लेते हैं. लेकिन, अब की बार ऑफलाइन एग्जाम हैं. ऐसे में जरूरी है कि परीक्षा को नकलविहीन कराने की पूरी तैयारी हो. बच्चों में भी अगर इस बात का डर होगा तो वह भी अपनी परीक्षा पर ध्यान देंगे, पढ़ाई करके परीक्षा देंगे. इस समय बच्चे पूरी तरह से मोबाइल पर निर्भर हो गए हैं.
हमने कई बार ऑनलाइन पढ़ाई के दौरान देखा कि बच्चे दूसरे मोबाइल से नकल कर रहे होते हैं. कई बार वीडियो कॉल पर समझ में आ जाता है और कई बार कई बच्चों के पैरंट्स ने हमें इस बात की सूचना दी. इसलिए जरूरी है कि बच्चे इमानदारी से परीक्षा दें, क्योंकि इस बार उन्हें वार्निंग नहीं मिलेगी बल्कि सीधे सारे पेपर से रद्द कर दिया जाएगा. एक साल बाद ही बच्चा उस परीक्षा में बैठ पाएगा. यानी कि उसका एक साल पूरा बर्बाद हो जाएगा.
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