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सीबीआई कोर्ट ने सेंट्रल बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष को किया बरी

सीबीआई के विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट ने सेंट्रल बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष शिवशरण उपाध्याय को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया है. सेंट्रल बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष पर सिविल कोर्ट में तोड़-फोड़ और गार्ड को पीटने का आरोप लगा था.

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Published : Jan 15, 2021, 10:18 PM IST

सीबीआई कोर्ट.
सीबीआई कोर्ट.

लखनऊ: सीबीआई के विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट सुब्रत पाठक ने कैसरबाग स्थित सिविल कोर्ट में तोड़-फोड़ और गार्ड को पीटने के मामले में सेंट्रल बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष शिवशरण उपाध्याय को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया है. इस मामले की जांच सीबीआई ने की थी. इस मामले की एफआईआर 6 नवम्बर 2008 को सिविल कोर्ट के चौकीदार मोहम्मद अनीस ने थाना वजीरगंज में दर्ज कराई थी.

4 नवंबर 2010 को हाईकोर्ट ने इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी थी. सीबीआई ने अपनी जांच के बाद शिवशरण के खिलाफ आईपीसी की धारा 323, 332, 353, 504, 506, 193, 465, 468, 471 और 420 के साथ ही लोक सम्पत्ति क्षति निवारण अधिनियम की धारा 3 के तहत आरोप पत्र दाखिल किया था. मोहम्मद अनीस ने आरोप लगाया था कि धरना-प्रदर्शन के दौरान वकीलों ने उससे लिफ्ट की चाभी मांगी. उसने देने से मना कर दिया. इस पर उसे पीटा गया और चाभी छीन ली गई. उसे आंतरिक चोटें आईं और वह इस घटना से डर गया. उसका जीवन खतरे में है.

इस घटना में सीबीए के तत्कालीन अध्यक्ष शिवशरण उपाध्याय पर भी शामिल होने का आरोप लगाया गया था. अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि अनीस ने जिरह में कहा है कि सीबीआई के जांच अधिकारी ने नाजायज दबाव बनाकर शिवशरण उपाध्याय के खिलाफ उसका बयान दर्ज किया था. गवाह के अनुसार सीबीआई अधिकारियों ने कहा था कि यदि उनके मुताबिक शिवशरण के खिलाफ बयान नहीं दूंगा, तो उसे इस मुकदमे में अभियुक्त बनाकर जेल भेज देंगे.

लखनऊ: सीबीआई के विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट सुब्रत पाठक ने कैसरबाग स्थित सिविल कोर्ट में तोड़-फोड़ और गार्ड को पीटने के मामले में सेंट्रल बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष शिवशरण उपाध्याय को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया है. इस मामले की जांच सीबीआई ने की थी. इस मामले की एफआईआर 6 नवम्बर 2008 को सिविल कोर्ट के चौकीदार मोहम्मद अनीस ने थाना वजीरगंज में दर्ज कराई थी.

4 नवंबर 2010 को हाईकोर्ट ने इस मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी थी. सीबीआई ने अपनी जांच के बाद शिवशरण के खिलाफ आईपीसी की धारा 323, 332, 353, 504, 506, 193, 465, 468, 471 और 420 के साथ ही लोक सम्पत्ति क्षति निवारण अधिनियम की धारा 3 के तहत आरोप पत्र दाखिल किया था. मोहम्मद अनीस ने आरोप लगाया था कि धरना-प्रदर्शन के दौरान वकीलों ने उससे लिफ्ट की चाभी मांगी. उसने देने से मना कर दिया. इस पर उसे पीटा गया और चाभी छीन ली गई. उसे आंतरिक चोटें आईं और वह इस घटना से डर गया. उसका जीवन खतरे में है.

इस घटना में सीबीए के तत्कालीन अध्यक्ष शिवशरण उपाध्याय पर भी शामिल होने का आरोप लगाया गया था. अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि अनीस ने जिरह में कहा है कि सीबीआई के जांच अधिकारी ने नाजायज दबाव बनाकर शिवशरण उपाध्याय के खिलाफ उसका बयान दर्ज किया था. गवाह के अनुसार सीबीआई अधिकारियों ने कहा था कि यदि उनके मुताबिक शिवशरण के खिलाफ बयान नहीं दूंगा, तो उसे इस मुकदमे में अभियुक्त बनाकर जेल भेज देंगे.

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