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निजी कोविड अस्पतालों का रवैया ठीक नहीं, कोरोना मरीजों को हो रही काफी दिक्कतें

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में कोरोना के बढ़ते मरीजों को देखते हुए 9 निजी अस्पतालों को कोरोना मरीजों की जांच के आदेश दिए गए हैं. इसके बावजूद निजी अस्पतालों के रवैये की वजह से कोरोना संक्रमित मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

case of negligence with corona patients
निजी अस्पताल
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Published : Aug 10, 2020, 6:08 AM IST

लखनऊ: राजधानी में कोरोना वायरस मरीजों को निजी अस्पताल में इलाज मिल रहा है. राजधानी के 9 निजी अस्पतालों को इसके लिए चयनित किया गया है. इसके अलावा 3 होटलों को भी कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए चुना गया है, जिनमें कोविड केअर सेन्टर बनाया गया है. इसके बावजूद निजी अस्पतालों के रवैये की वजह से कोरोना संक्रमित मरीजों की मौत हो रही है.

निजी अस्पताल कर रहे कोरोना मरीजों से कर रहे खराब व्यवहार.

इन अस्पतालों को जिम्मेदारी
कोरोना के इलाज के लिए जिन अस्पतालों को चुना गया है उनमें हिन्द अस्पताल, विद्या अस्पताल, अथर्व अस्पताल, मेयो अस्पताल, वेगा अस्पताल, चरक अस्पताल, अल्टिस अस्पताल, निशात अस्पताल, मेकवेल अस्पताल शामिल हैं. इन सभी अस्पतालों में कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज किया जा रहा है. इन 9 अस्पतालों में कुल 663 बेड कोरोना मरीजों के लिए आरक्षित किए गए हैं.

यह है अस्पतालों में इलाज की व्यवस्था
एनएबीएच सर्टिफाइड अस्पताल व नॉन एनएबीएच सर्टिफाइड अस्पतालों में इलाज के अलग-अलग खर्च हैं. इनमें एनएबीएच सर्टिफाइड अस्पतालों में इलाज के लिए तीन श्रेणियां हैं, जिनमें (10,000, 15000, 18000) शुल्क प्रतिदिन के हिसाब से है. इसके अलावा नॉन एनएबीएच सर्टिफाइड अस्पतालों में (8000, 13000, 15000) प्रतिदिन का खर्चा कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज में आएगा.

663 बेडों में सिर्फ 20 बेड पर ही वेंटिलेटर उपलब्ध
राजधानी में 9 निजी अस्पताल में कोरोना संक्रमितों को इलाज देने के लिए कुल 663 बेड आरक्षित किए गए हैं, लेकिन इनमें से सिर्फ 20 बेडों पर ही वेंटिलेटर उपलब्ध है. जिसकी वजह से आए दिन कई ऐसे मामले सामने आ रहे हैं कि वेंटिलेटर ना होने की वजह से मरीजों की मौत भी हो रही है.

बेड होने के बाद भी भर्ती में आनाकानी करते हैं निजी अस्पताल
राजधानी में कोरोना संक्रमित मरीजों को बेहतर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं मिल पाए, इसके लिए निजी अस्पतालों को इलाज की अनुमति दी गई. लेकिन इस कोरोना काल के दौरान इन निजी अस्पतालों का रवैया बिल्कुल भी नहीं बदला है. इसकी वजह से आए दिन एंबुलेंस में ही मरीजों की मौत हो रही हैं. दरअसल, कई बार ऐसा मामला सामने आता है कि जब मरीज को किसी निजी अस्पताल में भर्ती होने के लिए भेजा जाता है. तब निजी अस्पताल द्वारा भर्ती को लेकर के तमाम दिक्कतें बता दी जाती हैं. इसकी वजह से कई बार इलाज समय पर ना मिलने पर एंबुलेंस में ही मरीज दम तोड़ दे रहे हैं.

एंबुलेंस में हुई थी मरीज की मौत

बीते दिनों एक ऐसा मामला सामने आया था जिसमें खुर्रम नगर निवासी मरीज को वेंटिलेटर की सख्त आवश्यकता थी. जिसके बाद मरीज को राजधानी के विद्या अस्पताल में भेजा गया था, जहां पर वेंटिलेटर की सेवा उपलब्ध थी. मरीज की हालत गंभीर थी और मरीज को आनन-फानन में एंबुलेंस से विद्या अस्पताल ले जाया गया था, लेकिन अस्पताल के गैर जिम्मेदाराना व्यवहार की वजह से मरीज को भर्ती करने में समय लग गया. इसके वजह से एंबुलेंस में ही कोरोना संक्रमित ने दम तोड़ दिया.

कोविड-19 कमांड सेंटर में तैनात डॉ. रवि पाण्डेय बताते हैं कि निजी अस्पतालों से कोरोना संक्रमित मरीजों की भर्ती के लिए गुजारिश करनी पड़ती है, तब जाकर निजी अस्पताल कोरोना वायरस मरीज को भर्ती करते हैं.

निजी अस्पतालों पर लगाएंगे लगाम
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. आरपी सिंह बताया कि आने वाले दिनों में कई अन्य निजी अस्पताल भी इस महामारी के दौरान कोरोना संक्रमित मरीजों को इलाज देने के लिए जुड़ेंगे. इसके साथ-साथ कोरोना संक्रमितों को बेहतर इलाज मिल पाए, इसके लिए रणनीति बना रहे हैं. यदि किसी भी निजी अस्पताल द्वारा गैर जिम्मेदाराना व्यवहार की शिकायत मिलेगी तो तत्काल कार्रवाई की जाएगी.

लखनऊ: राजधानी में कोरोना वायरस मरीजों को निजी अस्पताल में इलाज मिल रहा है. राजधानी के 9 निजी अस्पतालों को इसके लिए चयनित किया गया है. इसके अलावा 3 होटलों को भी कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए चुना गया है, जिनमें कोविड केअर सेन्टर बनाया गया है. इसके बावजूद निजी अस्पतालों के रवैये की वजह से कोरोना संक्रमित मरीजों की मौत हो रही है.

निजी अस्पताल कर रहे कोरोना मरीजों से कर रहे खराब व्यवहार.

इन अस्पतालों को जिम्मेदारी
कोरोना के इलाज के लिए जिन अस्पतालों को चुना गया है उनमें हिन्द अस्पताल, विद्या अस्पताल, अथर्व अस्पताल, मेयो अस्पताल, वेगा अस्पताल, चरक अस्पताल, अल्टिस अस्पताल, निशात अस्पताल, मेकवेल अस्पताल शामिल हैं. इन सभी अस्पतालों में कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज किया जा रहा है. इन 9 अस्पतालों में कुल 663 बेड कोरोना मरीजों के लिए आरक्षित किए गए हैं.

यह है अस्पतालों में इलाज की व्यवस्था
एनएबीएच सर्टिफाइड अस्पताल व नॉन एनएबीएच सर्टिफाइड अस्पतालों में इलाज के अलग-अलग खर्च हैं. इनमें एनएबीएच सर्टिफाइड अस्पतालों में इलाज के लिए तीन श्रेणियां हैं, जिनमें (10,000, 15000, 18000) शुल्क प्रतिदिन के हिसाब से है. इसके अलावा नॉन एनएबीएच सर्टिफाइड अस्पतालों में (8000, 13000, 15000) प्रतिदिन का खर्चा कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज में आएगा.

663 बेडों में सिर्फ 20 बेड पर ही वेंटिलेटर उपलब्ध
राजधानी में 9 निजी अस्पताल में कोरोना संक्रमितों को इलाज देने के लिए कुल 663 बेड आरक्षित किए गए हैं, लेकिन इनमें से सिर्फ 20 बेडों पर ही वेंटिलेटर उपलब्ध है. जिसकी वजह से आए दिन कई ऐसे मामले सामने आ रहे हैं कि वेंटिलेटर ना होने की वजह से मरीजों की मौत भी हो रही है.

बेड होने के बाद भी भर्ती में आनाकानी करते हैं निजी अस्पताल
राजधानी में कोरोना संक्रमित मरीजों को बेहतर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं मिल पाए, इसके लिए निजी अस्पतालों को इलाज की अनुमति दी गई. लेकिन इस कोरोना काल के दौरान इन निजी अस्पतालों का रवैया बिल्कुल भी नहीं बदला है. इसकी वजह से आए दिन एंबुलेंस में ही मरीजों की मौत हो रही हैं. दरअसल, कई बार ऐसा मामला सामने आता है कि जब मरीज को किसी निजी अस्पताल में भर्ती होने के लिए भेजा जाता है. तब निजी अस्पताल द्वारा भर्ती को लेकर के तमाम दिक्कतें बता दी जाती हैं. इसकी वजह से कई बार इलाज समय पर ना मिलने पर एंबुलेंस में ही मरीज दम तोड़ दे रहे हैं.

एंबुलेंस में हुई थी मरीज की मौत

बीते दिनों एक ऐसा मामला सामने आया था जिसमें खुर्रम नगर निवासी मरीज को वेंटिलेटर की सख्त आवश्यकता थी. जिसके बाद मरीज को राजधानी के विद्या अस्पताल में भेजा गया था, जहां पर वेंटिलेटर की सेवा उपलब्ध थी. मरीज की हालत गंभीर थी और मरीज को आनन-फानन में एंबुलेंस से विद्या अस्पताल ले जाया गया था, लेकिन अस्पताल के गैर जिम्मेदाराना व्यवहार की वजह से मरीज को भर्ती करने में समय लग गया. इसके वजह से एंबुलेंस में ही कोरोना संक्रमित ने दम तोड़ दिया.

कोविड-19 कमांड सेंटर में तैनात डॉ. रवि पाण्डेय बताते हैं कि निजी अस्पतालों से कोरोना संक्रमित मरीजों की भर्ती के लिए गुजारिश करनी पड़ती है, तब जाकर निजी अस्पताल कोरोना वायरस मरीज को भर्ती करते हैं.

निजी अस्पतालों पर लगाएंगे लगाम
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. आरपी सिंह बताया कि आने वाले दिनों में कई अन्य निजी अस्पताल भी इस महामारी के दौरान कोरोना संक्रमित मरीजों को इलाज देने के लिए जुड़ेंगे. इसके साथ-साथ कोरोना संक्रमितों को बेहतर इलाज मिल पाए, इसके लिए रणनीति बना रहे हैं. यदि किसी भी निजी अस्पताल द्वारा गैर जिम्मेदाराना व्यवहार की शिकायत मिलेगी तो तत्काल कार्रवाई की जाएगी.

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