लखनऊः प्रदेश में इन दिनों जहां बड़े अपराधियों पर पुलिस की कार्रवाई हो रही है. वहीं भ्रष्ट पुलिस कर्मियों पर भी लगातार मुकदमे दर्ज हुए हैं. कानपुर के बिकरू कांड, महोबा के मणिलाल पाटीदार या पशुधन घोटाले में डीआईजी अरविंद सिंह का मामला हो, सभी भ्रष्ट पुलिसकर्मियों पर मुकदमें दर्ज किए गए हैं. 1 जनवरी 2020 से 31 अक्टूबर 2020 तक प्रदेश में भ्रष्ट पुलिसकर्मियों पर 42 मुकदमें दर्ज किए गए हैं. साथ ही 250 पुलिसकर्मियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई भी की गई है.
42 भ्रष्ट पुलिसकर्मियों पर दर्ज हुए मुकदमें
उत्तर प्रदेश में इन दिनों प्रदेश सरकार जीरो टॉलरेंस की नीति के तहत काम कर रही है, जिसके चलते चाहे अपराधी हो या सरकारी कर्मचारी या पुलिसकर्मी ही क्यों न हो. सभी के दोषी पाए जाने पर तुरंत कार्रवाई हो रही है. उत्तर प्रदेश में 1 जनवरी 2020 से लेकर 31 अक्टूबर 2020 तक पुलिसकर्मियों के विरुद्ध मुकदमें दर्ज किए गए हैं. वहीं इस साल अब तक पुलिसकर्मियों के विरुद्ध बड़ी संख्या में दंडात्मक कार्रवाई भी की गई है. अब तक 250 पुलिसकर्मियों पर कठोर कार्रवाई हो चुकी है. यह मुकदमे उन लोगों के खिलाफ हैं जो किसी घोटाले या भ्रष्टाचार में लिप्त पाए गए हैं.
कौन-कौन है चर्चित भ्रष्ट पुलिस अधिकारी
भ्रष्टाचार के मामले में उत्तर प्रदेश की योगी सरकार इन दिनों जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम कर रही है. जिसके चलते अब तक 42 भ्रष्ट पुलिसकर्मियों के खिलाफ मुकदमें दर्ज किए गए हैं. वही चार पुलिसकर्मियों को सेवा से बर्खास्त भी किया गया है. उत्तर प्रदेश के चर्चित पुलिसकर्मियों में महोबा के निलंबित एसपी मणिलाल पाटीदार पर 25,000 का इनाम घोषित किया गया है. वहीं पशुधन घोटाले में वांछित डीआईजी अरविंद सेन, डीआईजी दिनेश चंद्र दुबे भी निलंबित हैं. कानपुर के बिकरू कांड में डीआईजी अनंत देव पर भी मुकदमा दर्ज हो चुका है.
उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक हितेश चंद्र अवस्थी ने बताया कि पुलिसकर्मियों के विरुद्ध भ्रष्टाचार के मामले को गंभीरता से लिया जा रहा है. इस पूरे मामले की जांच के बाद लगातार दोषी पुलिसकर्मियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई भी हो रही है.