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लखनऊ: फाइलेरिया के लिए प्रदेश भर में शुरू हो रहा है अभियान, जानिये क्या हैं तारीखें - filaria awareness

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत प्रदेश में फाइलेरिया की रोकथाम के लिए अभियान चलाया जाएगा. इस कार्यक्रम की जानकारी लखनऊ सीएमओ ने दी.

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राजधानी में चलाया जाएगा फाइलेरिया के रोकथाम के लिए अभियान.
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Published : Jan 12, 2020, 7:50 AM IST

लखनऊ: राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत प्रदेश में अब फाइलेरिया के लिए दोबारा कमर कसी जाएगी. इसके तहत राजधानी समेत 31 जिलों में 17 फरवरी से 29 फरवरी तक फाइलेरिया के रोकथाम के लिए अभियान चलाया जाएगा. इस कार्यक्रम के बारे में जानकारी देने के लिए शनिवार को सीएमओ कार्यालय में प्रेस कांफ्रेंस का आयोजन किया गया.

स्वस्थ दिखने वाले लोगों में माइक्रो फाइलेरिया के लक्षण मिलते
प्रेस कॉन्फ्रेंस में लखनऊ के सीएमओ डॉक्टर नरेंद्र अग्रवाल ने बताया कि स्वस्थ दिखने वाले लोगों में भी माइक्रो फाइलेरिया के लक्षण मिलते हैं. यह लक्षण 8 से 10 साल बाद हाथी पाव या फिर हाइड्रोसील का रूप लेकर बीमारी बन जाते हैं. हाइड्रोसील का तो इलाज मुमकिन होता है, लेकिन हाथी पांव का इलाज नहीं मुमकिन होता. फाइलेरिया के रोकथाम के लिए हर साल उन्मूलन कार्यक्रम चलाया जाता है.

राजधानी में चलाया जाएगा फाइलेरिया के रोकथाम के लिए अभियान.

बच्चों में अधिक पाए जाते हैं संक्रमण
डॉ. अग्रवाल ने बताया कि कम उम्र के बच्चों में या संक्रमण अधिक होते हैं और लापरवाही के कारण बीमारी अधिक बढ़ जाती है. एक खास बात यह है कि इसके बचाव के रूप में हम फाइलेरिया की एक खुराक खिलाकर हम प्रत्येक व्यक्ति को साल भर के लिए फाइलेरिया से मुक्त रख सकते हैं. 4 से 5 साल लगातार एक व्यक्ति या खुराक खाता है तो उसे जीवन पर्यंत फाइलेरिया नहीं होगा, यह सुनिश्चित किया जा सकता है.

फाइलेरिया उन्मूलन अभियान चलाया जाएगा
डॉ. अग्रवाल के अनुसार 17 फरवरी से 29 फरवरी तक विशेष फाइलेरिया उन्मूलन अभियान को लखनऊ, गोरखपुर, वाराणसी समेत 31 जिलों में चला जाएगा. इसके तहत 98 लाख की जनसंख्या को कवर करने का लक्ष्य रखा गया है. इस अभियान के लिए 80,000 टीमें सभी जनपदों में लगाई जाएंगी और संक्रमण की स्थिति को जांचने के लिए 248 लैब टेक्नीशियन स्कोर राज्य स्तर पर प्रशिक्षित किया गया है. इसके अलावा फाइलेरिया के मरीजों को जानने के लिए एक सर्वे भी करवाया जाएगा, जो आशा और एएनएम घर-घर जाकर करेंगे.

71 इकाइयों में फाइलेरिया की दवा खिलाई जाएंगी
लखनऊ की बात की जाए तो यहां पर 71 इकाइयों की ओर से फाइलेरिया की दवा खिलाई जाएगी. हर जिले में 8 जगह स्लाइड बनेगी और हर जगह तकरीबन 500 स्लाइड बनाई जाएंगी. दवा खिलाने के बाद बाएं हाथ की पहली उंगली पर मार्क भी किया जाएगा ताकि दवा खिलाए जाने की पुष्टि हो सके.

इस प्रेस वार्ता के दौरान सीएमओ कार्यालय में मलेरिया और डॉक्टर बॉन्ड सीरीज के डॉक्टर वी पी सिंह ने बताया कि पहले फाइलेरिया के रोकथाम के लिए 30 जिलों में डबल डोज और वाराणसी में पिछले साइकिल की तरह ही ट्रिपल ड्रग या आईडीए को जारी रखा जाएगा.

इसे भी पढ़ें- संसद आदेश दे, पीओके हमारा होगा : आर्मी चीफ

लखनऊ: राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत प्रदेश में अब फाइलेरिया के लिए दोबारा कमर कसी जाएगी. इसके तहत राजधानी समेत 31 जिलों में 17 फरवरी से 29 फरवरी तक फाइलेरिया के रोकथाम के लिए अभियान चलाया जाएगा. इस कार्यक्रम के बारे में जानकारी देने के लिए शनिवार को सीएमओ कार्यालय में प्रेस कांफ्रेंस का आयोजन किया गया.

स्वस्थ दिखने वाले लोगों में माइक्रो फाइलेरिया के लक्षण मिलते
प्रेस कॉन्फ्रेंस में लखनऊ के सीएमओ डॉक्टर नरेंद्र अग्रवाल ने बताया कि स्वस्थ दिखने वाले लोगों में भी माइक्रो फाइलेरिया के लक्षण मिलते हैं. यह लक्षण 8 से 10 साल बाद हाथी पाव या फिर हाइड्रोसील का रूप लेकर बीमारी बन जाते हैं. हाइड्रोसील का तो इलाज मुमकिन होता है, लेकिन हाथी पांव का इलाज नहीं मुमकिन होता. फाइलेरिया के रोकथाम के लिए हर साल उन्मूलन कार्यक्रम चलाया जाता है.

राजधानी में चलाया जाएगा फाइलेरिया के रोकथाम के लिए अभियान.

बच्चों में अधिक पाए जाते हैं संक्रमण
डॉ. अग्रवाल ने बताया कि कम उम्र के बच्चों में या संक्रमण अधिक होते हैं और लापरवाही के कारण बीमारी अधिक बढ़ जाती है. एक खास बात यह है कि इसके बचाव के रूप में हम फाइलेरिया की एक खुराक खिलाकर हम प्रत्येक व्यक्ति को साल भर के लिए फाइलेरिया से मुक्त रख सकते हैं. 4 से 5 साल लगातार एक व्यक्ति या खुराक खाता है तो उसे जीवन पर्यंत फाइलेरिया नहीं होगा, यह सुनिश्चित किया जा सकता है.

फाइलेरिया उन्मूलन अभियान चलाया जाएगा
डॉ. अग्रवाल के अनुसार 17 फरवरी से 29 फरवरी तक विशेष फाइलेरिया उन्मूलन अभियान को लखनऊ, गोरखपुर, वाराणसी समेत 31 जिलों में चला जाएगा. इसके तहत 98 लाख की जनसंख्या को कवर करने का लक्ष्य रखा गया है. इस अभियान के लिए 80,000 टीमें सभी जनपदों में लगाई जाएंगी और संक्रमण की स्थिति को जांचने के लिए 248 लैब टेक्नीशियन स्कोर राज्य स्तर पर प्रशिक्षित किया गया है. इसके अलावा फाइलेरिया के मरीजों को जानने के लिए एक सर्वे भी करवाया जाएगा, जो आशा और एएनएम घर-घर जाकर करेंगे.

71 इकाइयों में फाइलेरिया की दवा खिलाई जाएंगी
लखनऊ की बात की जाए तो यहां पर 71 इकाइयों की ओर से फाइलेरिया की दवा खिलाई जाएगी. हर जिले में 8 जगह स्लाइड बनेगी और हर जगह तकरीबन 500 स्लाइड बनाई जाएंगी. दवा खिलाने के बाद बाएं हाथ की पहली उंगली पर मार्क भी किया जाएगा ताकि दवा खिलाए जाने की पुष्टि हो सके.

इस प्रेस वार्ता के दौरान सीएमओ कार्यालय में मलेरिया और डॉक्टर बॉन्ड सीरीज के डॉक्टर वी पी सिंह ने बताया कि पहले फाइलेरिया के रोकथाम के लिए 30 जिलों में डबल डोज और वाराणसी में पिछले साइकिल की तरह ही ट्रिपल ड्रग या आईडीए को जारी रखा जाएगा.

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Intro:लखनऊ। राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के तहत प्रदेश में अब फाइलेरिया के लिए दोबारा कमर कसी जाएगी इसके तहत लखनऊ समेत 31 जिलों में 17 फरवरी से 29 फरवरी तक फाइलेरिया के रोकथाम के लिए अभियान चलाया जाएगा इस कार्यक्रम के बारे में जानकारी देने के लिए आज सीएमओ कार्यालय में प्रेस कांफ्रेंस का आयोजन किया गया।


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प्रेस कॉन्फ्रेंस में लखनऊ के सीएमओ डॉक्टर नरेंद्र अग्रवाल ने बताया कि स्वस्थ दिखने वाले लोगों में भी माइक्रो फाइलेरिया के लक्षण मिलते हैं। यह लक्षण 8 से 10 साल बाद हाथी पाव या फिर हाइड्रोसील का रूप लेकर बीमारी बन जाते हैं। हाइड्रोसिल का तो इलाज मुमकिन होता है लेकिन हाथी पांव का इलाज नहीं मुमकिन होता। इसलिए फाइलेरिया के रोकथाम के लिए हर साल उन्मूलन कार्यक्रम चलाया जाता है।

अग्रवाल ने बताया कि कम उम्र के बच्चों में या संक्रमण अधिक होते हैं और लापरवाही के कारण बीमारी अधिक बढ़ जाती है एक खास बात यह है कि इसके बचाव के रूप में हम फाइलेरिया की एक खुराक खिलाकर हम प्रत्येक व्यक्ति को साल भर के लिए फाइलेरिया से मुक्त रख सकते हैं और यदि 4 से 5 साल लगातार एक व्यक्ति या खुराक खाता है तो उसे जीवन पर्यंत फाइलेरिया नहीं होगा यह सुनिश्चित किया जा सकता है।

डॉ अग्रवाल के अनुसार 17 फरवरी से 29 फरवरी तक विशेष फाइलेरिया उन्मूलन अभियान को लखनऊ, गोरखपुर, वाराणसी समेत 31 जिलों में चला जाएगा। इसके तहत 90000000 98 लाख की जनसंख्या को कवर करने का लक्ष्य रखा गया है इस अभियान के लिए 80000 टीमें सभी जनपदों में लगाई जाएंगी और संक्रमण की स्थिति को जांचने के लिए 248 लैब टेक्नीशियन स्कोर राज्य स्तर पर प्रशिक्षित किया गया है। इसके अलावा फाइलेरिया के मरीजों को जानने के लिए एक सर्वे भी करवाया जाएगा जो आशा और एएनएम घर-घर जाकर करेंगे।

लखनऊ की बात की जाए तो यहां पर 71 इकाइयों के द्वारा फाइलेरिया की दवा खिलाई जाएगी हर जिले में 8 जगह स्लाइड बनेगी और हर जगह तकरीबन 500 स्लाइड बनाई जाएंगी। दवा खिलाने के बाद बाएं हाथ की पहली उंगली पर मार्क भी किया जाएगा ताकि दवा खिलाए जाने की पुष्टि हो सके।



Conclusion:इस प्रेस वार्ता के दौरान सीएमओ कार्यालय में मलेरिया और डॉक्टर बॉन्ड सीरीज के डॉक्टर वी पी सिंह ने बताया कि पहले फाइलेरिया के रोकथाम के लिए 30 जिलों में डबल डोज और वाराणसी में पिछले साइकिल की तरह ही ट्रिपल ड्रग या आईडीए को जारी रखा जाएगा।

बाइट- डॉ नरेंद्र अग्रवाल, सीएमओ लखनऊ

PTC- रामांशी मिश्रा

रामांशी मिश्रा
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