लखनऊ: बसपा सुप्रीमो मायावती ने उत्तराखंड में पार्टी संगठन को मजबूत करने तथा हर स्तर पर जनाधार बढ़ाने के लिए ढांचे में बदलाव करने के निर्देश दिए हैं. शुक्रवार को उत्तराखंड राज्य समीक्षा बैठक के दौरान बसपा सुप्रीमो मायावती ने राज्य के संगठन कार्यों में आ रही कमियों को दूर करने के लिए, विभिन्न स्तर पर फेरबदल कर बसपा के मिशन से जुड़े लोगों को संगठन में शामिल करने के निर्देश दिए.
बहुजन समाज पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने उत्तराखण्ड स्टेट यूनिट से जुड़े सीनियर पदाधिकारियों व पार्टी की अन्य जिम्मेदारी संभाल रहे लोगों के साथ शुक्रवार को बैठक की. इसमें पार्टी गतिविधियों की प्रगति रिपोर्ट के अलावा वहां के राजनीतिक हालात का फीडबैक लिया. बैठक के दौरान मायावती ने कहा कि उत्तराखण्ड में बीएसपी के आगे बढ़ने की काफी संभावनाएं हैं.
इस समीक्षा के दौरान उत्तराखण्ड की भाजपा सरकार के कामकाज, उनके द्वारा विकास की योजनाओं में हो रही कमियों को जनता के बीच में ले जाने के निर्देश पदाधिकारियों को दिए गए. साथ ही उत्तराखंड के पदाधिकारियों ने बसपा सुप्रीमो को अवगत कराया कि उत्तराखंड की मौजूदा भाजपा सरकार लोगों को बसाने का काम नहीं, उन्हें उजाड़ने पर ज्यादा ध्यान दे रही है. विकास व पर्यटन को बढ़ावा देने के नाम पर भाजपा सरकार लोगों के आवास वह उनके रोजगार छीन रही है.
फीडबैक के आधार पर मायावती ने सभी पदाधिकारियों को कहा कि पर्यटन के विकास को लेकर व्यवसायिक दृष्टिकोण अधिक होने के कारण पहाड़ी राज्य के लोग आपदाओं आदि से दुखी व परेशान हैं. इन मामलों में मौजूदा धामी सरकार द्वारा लोगों की बुनियादी जरूरतों की अनदेखी की जा रही है. उन्होंने कहा कि उत्तराखंड बसपा संगठन वहां की हर एक समस्या को उठाने के साथ ही करने सरकार से विकास को जनहित के साथ बैलेन्स करके चलने की मांग करें.
अपने लोगों की कमी के कारण पार्टी उभर नहीं पा रहीः बसपा सुप्रीमो ने पदाधिकारियों से कहा कि उत्तराखण्ड अलग राज्य बन जाने के बाद भी महंगाई, गरीबी व बेरोजगारी आदि से लड़ रहा है. राज्य समुचित जनहित, जनकल्याण व आपेक्षित विकास के लिए तरस रहा है. मायावती ने अपने पदाधिकारियों को निर्देश दिया कि वह लोगों के बीच में जाएं, उनसे जुड़ी समस्याओं को सुनें और उसे उठाकर जनता के बीच में अपनी पैठ बनाएं. उत्तराखंड की जनता के विश्वास से ज्यादा यह अपने लोगों की ही कमी मानी जाएगी कि बीएसपी वहां भारी संभावनाओं के बावजूद अपना सही राजनीतिक दबदबा नहीं बना पाई है.